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एमडीएम से नहीं बढ़ रही उपस्थिति

खुलासा . स्कूलों से भेजी गयी रिपोर्ट से सामने आ रहा है मामला प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम से बच्चों की उपस्थिति नहीं बढ़ पा रही है. औसतन 53 प्रतिशत बच्चे ही स्कूलों में उपस्थित हो रहे हैं. अररिया : शिक्षा विभाग चाहे जितना प्रयास कर रहा हो बच्चों को स्कूल तक भेजने की सच्चाई यह […]

खुलासा . स्कूलों से भेजी गयी रिपोर्ट से सामने आ रहा है मामला

प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम से बच्चों की उपस्थिति नहीं बढ़ पा रही है. औसतन 53 प्रतिशत बच्चे ही स्कूलों में उपस्थित हो रहे हैं.
अररिया : शिक्षा विभाग चाहे जितना प्रयास कर रहा हो बच्चों को स्कूल तक भेजने की सच्चाई यह है कि बच्चों की उपस्थिति स्कूलों में नहीं बढ़ पा रही है. इसका खुलासा जिले के प्रारंभिक स्कूलों से भेजे गये एमडीएम की रिपोर्ट से हो रहा है. जिले में नामांकित कुल बच्चों में से आधे बच्चे भी स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं.
स्कूलों से भेजी गयी एमडीएम की रिपोर्ट के अनुसार एमडीएम के दौरान बच्चों की उपस्थिति औसतन 53 प्रतिशत रह रही है. यह एक दिन की बात नहीं है. बल्कि पिछले पांच माह की रिपोर्ट से जाहिर होता है. आखिर ये बच्चे कहां जा रहे हैं. ये स्कूल क्यों नहीं आते इस पर शिक्षा विभाग ने शायद समीक्षा नहीं की है.
बढ़ रही है फर्जी नामांकन की आशंका : एमडीएम की रिपोर्ट को देखते हुए ऐसी आशंका होने लगी है कि कहीं न कहीं प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों का फर्जी नामांकन तो नहीं है. हालांकि इन बच्चों को अब प्रवेश के समय आधार कार्ड संख्या देने की बात है. ये बच्चे पूर्व से ही इन विद्यालयों में नामांकित हैं. यह छीजन एक दिन में नहीं हो रहा है.
लगातार स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति से यह बात सामने आ रही है कि जमीनी स्तर पर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है. हालांकि बच्चों के छीजन को इस बात से भी बल मिल रहा है कि हाल के दिनों में विद्यालयों में आयोजित वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में लगभग दो लाख बच्चे अनुपस्थित रहे थे, जो नामांकित बच्चों का लगभग 45 प्रतिशत है. इसके अलावा छात्रों के बीच वितरित की गयी पोशाक राशि व छात्रवृत्ति की राशि भी नामांकित साढ़े पांच लाख बच्चों में से 75 प्रतिशत उपस्थिति वाले साढ़े तीन लाख बच्चों को भेजी गयी.
हालांकि आवंटित राशि में से कुछ राशि प्रत्यार्पित भी की गयी है. जो लगभग दस प्रतिशत छात्रों के बराबर होगी. बच्चों का यह छीजन या तो फर्जी नामांकन के कारण हो रहा होगा या फिर ग्रास रूट पर बच्चों को स्कूल भेजने का प्रयास नहीं हो रहा है.
बीते पांच माह में औसतन 53 प्रतिशत बच्चे खा रहे हैं मिड डे मील
मध्याह्न भोजन परियोजना कार्यालय से प्राप्त आंकड़े कुछ इसी तरह बयां कर रहे हैं.
परियोजना कार्यालय से प्राप्त आंकड़े
माह एमडीएम खाने वाले बच्चों की संख्या प्रतिशत
नवंबर 2016 293815 51
दिसंबर 2016 307048 52
जनवरी 2017 317797 53
फरवरी 2017 310768 52
मार्च 2017 336936 57
एमडीएम की रिपोर्ट पर भी लग रहा है प्रश्नचिह्न
विद्यालयों द्वारा एमडीएम की रिपोर्ट भेजे जाने में भी अनियमितता सामने आ रही है. इसका आधार यह है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में विभिन्न स्तर से कराये गये एमडीएम के अनुश्रवण व निरीक्षण के आधार पर उपस्थित बच्चों से अधिक बच्चों की रिपोर्टिंग किये जाने के कारण 251 विद्यालयों के प्रधान को लगभग साढ़े 61 लाख रुपये अर्थ दंड लगाया गया है. जो इस बात को साबित करता है कि विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति और कम हो सकती है.
फर्जी नामांकन को हटाया जायेगा
एमडीएम की जो रिपोर्ट आ रही है, वह चौंकाने वाली है. यह एक गंभीर विषय है. जल्द ही सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व जिले के टोला सेवकों से अलग-अलग बैठक करेंगे, ताकि फर्जी नामांकन को हटाया जा सके व बच्चों के छीजन को भी रोका जा सके.
फैयाजुर्रहमान, डीइओ

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