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”ट्रेन का डिब्बा उछलकर मेरे घर पर गिरा, जैसे फ़िल्मों में होता है”

कुलदीप मिश्राबीबीसी संवाददाता, मुज़फ़्फ़रनगर खतौली रेल हादसा सिर्फ ट्रेन के यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनकर नहीं आया बल्कि रेल ट्रैक के आस-पास बसे कुछ घरों और एक इंटरकॉलेज भी इसकी चपेट में आ गए.कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस का एस-5 डिब्बा काफ़ी दूर उछलकर एक इंटर कॉलेज और कई मकानों के पास जा गिरा. इंटर कॉलेज […]

कुलदीप मिश्रा
बीबीसी संवाददाता, मुज़फ़्फ़रनगर

खतौली रेल हादसा सिर्फ ट्रेन के यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनकर नहीं आया बल्कि रेल ट्रैक के आस-पास बसे कुछ घरों और एक इंटरकॉलेज भी इसकी चपेट में आ गए.
कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस का एस-5 डिब्बा काफ़ी दूर उछलकर एक इंटर कॉलेज और कई मकानों के पास जा गिरा. इंटर कॉलेज को बहुत नुकसान होने की ख़बर नहीं है. लेकिन पिंटू चौधरी नाम के एक किसान के घर पर एस-2 डिब्बा गिरा और उनके घर को काफ़ी नुकसान हुआ है.
पिंटू चौधरी ने बताया, ”मैं, मेरे पिता और मां गैलरी में बैठे हुए थे और हमने ये ट्रेन हादसा देखा. ये इतना बड़ा रेल हादसा था कि शायद किसी ने न देखा हो. इसमें मेरे पिता के पैर की हड्डी टूट गई. एक डिब्बा हवा में उछलता हुआ मेरे घर के अंदर घुस गया. आगे से मेरा घर पूरा टूट गया है. अंदर भी दरारें आ गई हैं.”
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पिंटू ने बताया, ”करीब साढ़े पांच बजे ये हादसा हुआ. पुरी-हरिद्वार एक्सप्रेस खतौली में नहीं रुकी क्योंकि पर उसका स्टॉपेज नहीं है इसलिए वहां ट्रेन की गति ज़्यादा होती है. डिब्बा बिल्कुल मेरे पास आकर गिरा था, ये डिब्बा मैंने अपनी आंखों से उड़ता हुआ देखा है जैसे फ़िल्मों में होता है.”
रेल हादसा
पिंटू ने पहले तो अपने पिता को बचाया. वो कहते हैं, ”काफ़ी अंधेरा हो चुका था और काफ़ी धूल उड़ रही थी. करीब दस मिनट के बाद जब धूल छंटी तब तक काफ़ी लोग मदद के लिए आ चुके थे और उन्होंने यात्रियों की मदद शुरू कर दी. प्रशासन बहुत देर से यहां पहुंचा लेकिन स्थानीय लोगों ने मदद की.”
वो बताते हैं कि जिस वक्त उनके घर पर ट्रेन का डिब्बा गिरा वहां तेज़ चीख-पुकार मची हुई थी.
रेल हादसा
उन्होंने बताया, ” ट्रैक पर शनिवार को भी मरम्मत का काम चल रहा था, डेढ़-दो महिने पहले यहां हादसा होते होते बचा था. यहां पर ट्रैक टूट गया था, मेरा नौकर वहां से गुज़र रहा था, उसने अपनी कमीज़ निकाली और ट्रेन के आगे भागा. इस तरह से वो हादसा टाला गया था.”
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