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शिक्षकों की कमी दूर हो

हमारे राज्य की शिक्षा व्यवस्था दयनीय है. झारखंड राज्य निर्माण के सत्रह-अठारह साल हो गये हैं. फिर भी राज्य की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. राज्य के प्लस-टू विद्यालयों में मनोविज्ञान, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, गृहविज्ञान, उर्दू एवं अन्य विषयों में विद्यार्थियों के नामांकन लिये जाते हैं, लेकिन शिक्षकों के अभाव […]

हमारे राज्य की शिक्षा व्यवस्था दयनीय है. झारखंड राज्य निर्माण के सत्रह-अठारह साल हो गये हैं. फिर भी राज्य की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है. राज्य के प्लस-टू विद्यालयों में मनोविज्ञान, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, गृहविज्ञान, उर्दू एवं अन्य विषयों में विद्यार्थियों के नामांकन लिये जाते हैं, लेकिन शिक्षकों के अभाव में ज्यादातर स्कूलाें में अध्ययन-अध्यापन की कोई व्यवस्था नहीं हैं.
दूसरी ओर इन विषयों में शिक्षक बहाली की योग्यता रखने वाले युवा अपनी उम्र सीमा को लेकर चिंता में हैं कि सरकार के स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होते-होते उनकी उम्र ही समाप्त न हो जाये. हम झारखंड सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहते हैं कि इन विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति कर विद्यार्थियों और शिक्षित युवाओं के भविष्य को अंधकार में जाने से बचाये.
उमाशंकर, कांडी, गढ़वा.

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