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रांची : विधानसभा में चार विधेयक पारित, छह माह तक गायब रहे, तो हटेंगे मेयर और डिप्टी मेयर

रांची : किसी भी नगर निकाय के मेयर-डिप्टी मेयर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष शारीरिक या मानसिक कारणों से छह माह से अधिक समय तक अनुुपस्थित रहेंगे, तो उनकी सदस्यता समाप्त की जायेगी. किसी आपराधिक मामलों में अभियुक्त होने पर अगर छह माह फरार रहेंगे, तो भी उनकी सदस्यता समाप्त हो जायेगी. लगातार तीन बैठक में बिना पर्याप्त […]

रांची : किसी भी नगर निकाय के मेयर-डिप्टी मेयर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष शारीरिक या मानसिक कारणों से छह माह से अधिक समय तक अनुुपस्थित रहेंगे, तो उनकी सदस्यता समाप्त की जायेगी. किसी आपराधिक मामलों में अभियुक्त होने पर अगर छह माह फरार रहेंगे, तो भी उनकी सदस्यता समाप्त हो जायेगी. लगातार तीन बैठक में बिना पर्याप्त कारण के अनुपस्थित रहनेवाले मेयर-डिप्टी मेयर और अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की सदस्यता भी समाप्त होगी.

झारखंड सरकार के नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2018 में यह प्रावधान किया गया है. मंत्री सीपी सिंह द्वारा पेश इस विधेयक को मॉनसून सत्र में गुरुवार को पारित करा दिया गया. विपक्ष के बहिष्कार और प्रदीप यादव के विरोध के बावजूद इसे ध्वनिमत से पारित कराया गया.

इस विधेयक में ऐसे मामले के दोषी जनप्रतिनिधियों से स्पष्टीकरण भी पूछा जायेगा. सरकार समुचित अवसर देने के बाद ही उनको हटा सकेगी. इस प्रकार हटाये गये मेयर-डिप्टी मेयर या अध्यक्ष-उपाध्यक्ष किसी स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेंगे.

इस संशोधन में नगरपालिका क्षेत्र के विस्तार के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है. राज्य सरकार ने गुरुवार को चार विधेयक सदन से पारित कराया. दो विधेयक वापस लिया गया. एक विधेयक राष्ट्रपति के यहां से वापस आया था. एक विधेयक राज्यपाल ने वापस किया था. सरकार ने दोनों विधेयक आवश्यक संशोधन के लिए वापस लेने की घोषणा की. झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि यह जनप्रतिनिधियों की भावना के साथ खिलवाड़ है. ऐसा भविष्य में विधायकों के साथ भी होगा. सरकार को इसको प्रवर समिति में भेजना चाहिए. प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने भी इस संशोधन को वापस लेने की मांग की.

अब बस की स्लीपर सीट पर लगेगा टैक्स : झारखंड सरकार ने विधानसभा में झारखंड मोटरवाहन करारोपण (संशोधन) विधेयक-2018 भी पारित कराया. इसमें झारखंड से आने-जाने वाली बसों में लगाये जाने वाले स्लीपर सीट पर भी टैक्स लगाने का प्रावधान किया है. स्लीपर सीट पर दो सीट के बराबर टैक्स का प्रावधान किया गया है. श्री सिंह ने कहा कि पहले स्लीपर सीट पर टैक्स का प्रावधान नहीं था. इससे राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था.

न्यायिक अधिकारियों का आर्थिक क्षेत्राधिकार बढ़ेगा

सरकार द्वारा सदन में पेश बंगाल, आगरा और असम व्यवहार न्यायालय (झारखंड संशोधन) विधेयक-2018 में न्यायिक अधिकारियों का आर्थिक क्षेत्राधिकार बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. सदन में प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने इसे पेश किया. इसमें मुद्रास्फीति को आधार मानकर पांच हजार को पांच लाख, एक लाख को सात लाख और 2.50 लाख को 25 लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है.

अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक-18 को मंजूरी

सदन ने अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक-2018 को मंजूरी दे दी. कल्याण विभाग की मंत्री ने इससे संबंधित प्रस्ताव सदन में लाया था.

विपक्ष के बहिष्कार के बाद इसको मंजूरी दी गयी. सदन में राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि विधेयक में कहा गया है कि अध्यक्ष वह होगा, जिसे अनुसूचित जातियों के बारे में विशेषज्ञता होगी. यह योग्यता किसी गैर अनुसूचित जाति के पास भी हो सकता है. सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गैर अनुसूचित जाति के लोग भी आयोग के अध्यक्ष हो सकते हैं. इस पर मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आयोग का अध्यक्ष अनुसूचित जाति के लोग ही होंगे. इसके बाद सदन ने संशोधन के साथ विधेयक को पारित कर दिया.

ये हैं विधेयक

राज्य सरकार ने झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक

-2018 में किया बदलाव

अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक को मंजूरी

बंगाल, आगरा और असम व्यवहार न्यायालय (झारखंड संशोधन) विधेयक-2018 भी हुआ पास

विधानसभा में झारखंड मोटरवाहन करारोपण (संशोधन) विधेयक-2018 भी पारित कराया गया

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