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हाशिमपुरा नरसंहार : उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद 15 में से PAC के चार जवानों ने सरेंडर किया

नयी दिल्ली : हाशिमपुरा नरसंहार मामले में जिन 15 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है, उनमें से चार ने आज दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इन चारों को तिहाड़ भेज दिया गया है. शेष जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. गौरतलब है कि 31 […]


नयी दिल्ली :
हाशिमपुरा नरसंहार मामले में जिन 15 जवानों को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी है, उनमें से चार ने आज दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इन चारों को तिहाड़ भेज दिया गया है. शेष जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है.

गौरतलब है कि 31 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार मामले में एक अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 15 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर एवं न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को पलट दिया जिसमें उसने आरोपियों को बरी कर दिया था.

उच्च न्यायालय ने प्रादेशिक आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 15 पूर्व जवानों को हत्या, अपहरण, आपराधिक साजिश तथा सबूतों को नष्ट करने का दोषी करार दिया.अदालत ने नरसंहार को पुलिस द्वारा निहत्थे और निरीह लोगों की ‘‘लक्षित हत्या’ करार दिया.गौरतलब है कि निचली अदालत द्वारा हत्या तथा अन्य अपराधों के आरोपी 15 पुलिसकर्मियों को बरी करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.दोषी करार दिए गए पीएसी के सभी 15 जवान सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

क्या था पूरा मामला

22 मई, 1987 की रात थी को उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों को PAC के जवानों ने मौत के घाट उतार दिया था. उन सारे लोगों को पीएसी की 41वीं कंपनी ने गोली मारी थी. उस दिन नमाज के बाद हाशिमपुरा और आसपास के मुहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी अभियान चलाया गया था और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें से 42 को मारकर नहर में बहा दिया गया था.

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