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सिलीगुड़ी : रेलवे ने बढ़ाया टर्मिनल का किराया, बिना बजट किराया वृद्धि से कारोबारी परेशान

सिलीगुड़ी : रेल बजट पेश होने से पहले ही अचानक रेलवे का टर्मिनल किराया बढ़ा दिये जाने से देश भर के साथ ही उत्तर बंगाल के कारोबारियों में भी काफी रोष देखा जा रहा है. रेलवे टर्मिनल से इन और आउट होनेवाले माल के बाबत कारोबारियों से 40 रुपया प्रति टन किराया वसूला जा रहा […]

सिलीगुड़ी : रेल बजट पेश होने से पहले ही अचानक रेलवे का टर्मिनल किराया बढ़ा दिये जाने से देश भर के साथ ही उत्तर बंगाल के कारोबारियों में भी काफी रोष देखा जा रहा है. रेलवे टर्मिनल से इन और आउट होनेवाले माल के बाबत कारोबारियों से 40 रुपया प्रति टन किराया वसूला जा रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार रेलवे टर्मिनल में माल इन होने पर भी 20 रुपया प्रति टन और आउट होने पर भी 20 रुपया प्रति टन यानी कुल 40 रुपया प्रति टन अतिरिक्त किराया अब कारोबारियों को रेलवे को देना होगा.
आंकड़ों की माने तो अगर किसी कारोबारी का 42 वैगन चीनी, सीमेंट या अन्य कोई माल रेल से न्यू जलपाईगुड़ी (एनजेपी), रांगापानी या अन्य किसी स्टेशन में आया है तो उस कारोबारी को टर्मिनल में माल रखने और वहां से बाहर करने पर 40 रुपये प्रति टन के हिसाब से तकरीबन एक लाख रुपये अतिरिक्त किराया रेलवे को देना पड़ेगा. अकेले रांगापानी में ही हर रोज दर्जनों माल गाड़ियां आती हैं. टर्मिनल इन और आउट किराये के हिसाब से अकेले रांगापानी से ही रेलवे ने प्रत्येक दिन करीब सौ करोड़ रुपये वसूली की तैयारी कर ली है. टर्मिनल किराया अचानक बढ़ाये जाने से कारोबारियों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है. आर्थिक विशेषज्ञों ने भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आखिर रेलवे अचानक इस तरह से किराया कैसे वसूल कर सकती है. जबकि इन दिनों संसद के दोनों सदनों में बहस चल रही है और दो महीने बाद ही रेलवे बजट है.
रेल बजट से पहले कारोबारियों पर इस तरह अतिरिक्त बोझ सरकार नहीं लाद सकती. अगर सरकार टर्मिनल के नाम पर यह अतिरिक्त किराया रद्द नहीं करती है तो आम लोगों को महंगायी की मार पड़ेगी. रेलवे जो अतिरिक्त किराया माल बाबत वसूल करेगी, उसका सीधा असर आम जनता पर ही पड़ेगा. कारोबारी अगर माल बाबत यह अतिरिक्त किराया रेलवे को भुगतान कर भी देते हैं तो वह इसकी भरपायी अपने पॉकेट से नहीं करेंगे. बल्कि टर्मिनल किराया माल में ही जोड़ेंगे. इससे माल के दाम में और इजाफा हो जायेगा. सरकार को यह टर्मिनल किराया लागू करने से पहले सर्वे करने की जरुरत थी.
इस मामले में नॉर्थ बंगाल मर्चेंट्स एसोसिएशन महासचिव संजय टिबड़ेवाल का कहना है कि टर्मिनल किराये के नाम पर रेलवे जो वसूलने जा रही है, यह एक तरह से दादागिरी टैक्स है. इसे लागू करने से पहले केंद्र सरकार को इसके हरेक पहलुओं पर सोच-विचार करना जरुरी था.
टर्मिनल इन और आउट 40 रुपये प्रति टन किराया का असर से कारोबार तो प्रभावित होगा ही. साथ ही आम जनता को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. पहले ही लोग पेट्रोल, डीजल व अन्य सभी रोजमर्रा के सामानों के आसमान छूते दाम से परेशान हैं.
अब इस टर्मिनल किराये से हरेक सामानों के कीमत में आग लग जायेगी और आम जनता खास तौर पर मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग के लोगों की कमर ही टूट जायेगा. उन्होंने कहा कि इस टर्मिनल किराये के विरोध में नॉर्थ बंगाल मर्चेंट्स एसोसिएशन ने जोरदार तरीके से विरोध जताया है. इस किराये को रद्द करने के लिए संगठन की ओर से रेल मंत्री पियूष गोयल को जल्द ही एक चिट्ठी भी भेजी जायेगी. इसके बावजूद इसे रद्द नहीं किया गया या इसमें कमी नहीं की गयी तो संगठन की ओर से आंदोलन किया जायेगा.

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