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कानून बनाकर उचित सजा का हो प्रावधान

नूरजहां सफिया नियाज सह-संस्थापक, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. हमारी मेहनत कामयाब हुई. हमारे लिए यह एक बड़ी जीत है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है. इसके बाद अब मुस्लिम औरतों के हक के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे […]

नूरजहां सफिया नियाज
सह-संस्थापक, भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं. हमारी मेहनत कामयाब हुई. हमारे लिए यह एक बड़ी जीत है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है. इसके बाद अब मुस्लिम औरतों के हक के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए जरूरी है कि ऐसे मसलों पर कोडिफाइड मुस्लिम लॉ बने. फिलहाल इस फैसले के बाद अब अगर कोई फौरन तीन तलाक देता है, तो उसका ऐसा करना कानूनन गलत होगा. एक अरसे से चली आ रही इस सामाजिक बुराई पर रोक लगाने के नजरिये से यह फैसला कारगर साबित होगा.
हालांकि, किसी भी प्रकार की सामाजिक बुराई को कानून बनाकर पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे कम जरूर किया जा सकता है. सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए सामाजिक परिवर्तन की जरूरत सबसे ज्यादा तो है, लेकिन अगर वह सामाजिक परिवर्तन से खत्म नहीं होती, तब यह जरूरी हो जाता है कि उस बुराई को खत्म करने के लिए सरकार कानून लाकर उचित सजा का प्रावधान करे. सिर्फ यह कह देने भर से काम नहीं चलेगा कि सामाजिक बुराई को कानून से खत्म नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसा कहना उस बुराई से लड़ने से इनकार करना है. तीन तलाक ही क्यों, इसके पहले बहुत-सी ऐसी सामाजिक कुरीतियां थीं, जिनके खिलाफ कानून बनाने की जरूरत पड़ी.
तलाक के बाद मुस्लिम औरतों के लिए मेंटेनेंस का कानून तो है ही, लेकिन अब इस फैसले के बाद जब तक एक ठोस कानून नहीं बन जाता है, तब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानना ही पड़ेगा. लेकिन, यह भी हमें समझना है कि सिर्फ यह फैसला ही काफी नहीं है ऐसी किसी भी गलत परंपरा या कुप्रथा को खत्म करने के लिए, क्योंकि न्यायपालिका के पास कानून बनाने का अधिकार नहीं है. कानून बनाने का काम संसद करती है, इसलिए अब कानून बनाने की लड़ाई संसद में लड़ी जायेगी.
इस एतबार से यह फैसला उस दिशा में एक बड़ा कदम है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फैसले का असर हलाला जैसी कुप्रथा पर भी पड़ेगा. क्योंकि जब फौरन तीन तलाक असंवैधानिक हो गया, तो फिर हलाला भी अपने-आप अवैध हो जायेगा. इस फैसले के बाद हमारी हिम्मत बढ़ी है और आगे भी हम मुस्लिम औरतों के हक के लिए लड़ाइयां लड़ते रहेंगे.

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