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योगी आदित्यनाथ के पिता ने बेटे को दिया संदेश, कहा – मुसलमानों के साथ न करना भेदभाव

नयी दिल्ली : हिंदू धर्म के प्रति संवेदनशील और कट्टर माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में नवनियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने अपने बेटे को दिये संदेश में कहा है कि वह मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण काम न करे. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले उनके माता-पिता ने उनके सीएम […]

नयी दिल्ली : हिंदू धर्म के प्रति संवेदनशील और कट्टर माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में नवनियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने अपने बेटे को दिये संदेश में कहा है कि वह मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण काम न करे. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले उनके माता-पिता ने उनके सीएम बनने पर खुशी जतायी. एक निजी चैनल से बातचीत में योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने कहा है कि आज मैं बहुत खुश हूं. मुझे अपने बेटे पर गर्व है. बच्चे अपनी इच्छा से ही काम करें, तो वही ठीक है.

वन विभाग से सेवानिवृत्त हुए उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट ने अपने पुत्र के सबसे बड़े प्रांत की कमान संभालने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि योगी बचपन से ही प्रतिभाशाली थे. उनमें शुरू से ही जनता की सेवा करने का जज्बा था. उन्होंने कहा कि महंत अवैद्यनाथ के लक्षण योगी में भी आ गये हैं. मैंने भी उसे समझाया कि सर्वसमभाव रखो. अब तुम बड़े पद पर हो. किसी से बुरा व्यवहार न करो. मुसलमानों से भेदभाव न करो.

योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि आदित्यनाथ में बचपन से ही सेवा भावना थी और उसी दिशा में आगे बढ़े हैं. योगी की बहन और मामा ने भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अपनी जनसेवा के मिशन में और सफलता पायेंगे और उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैलेगी. वहीं, जब योगी की मां सावित्री देवी से सवाल किया गया कि आपका बेटा मुख्यमंत्री बन गया है, तो उन्होंने केवल सिर हिलाकर इशारे से कहा कि अभी योगी से बात नहीं हुई है. उनका योगी से बहुत लगाव रहा है.

बता दें कि योगी आदित्यनाथ मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. गांव पंचुर में योगी आदित्यनाथ के पैतृक आवास में उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट, माता सावित्री देवी और बड़े भाई महेंद्र बिष्ट रहते हैं. चार भाइयों और तीन बहनों में दूसरे नंबर के योगी के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की सूचना मिलते ही पूरे गांव में जश्न का माहौल छा गया और गांव वालों ने आतिशबाजी करके खुशी का इजहार किया.

दीक्षा और संन्यास लेने के बाद भले ही योगी ने गोरखपुर को अपनी कर्मभूमि बना लिया, लेकिन इस दौरान उनका अपने पैतृक गांव और संबंधियों से नाता बना रहा. उन्होंने वर्ष 1998 में अपने गांव में गोरखनाथ ट्रस्ट के सहयोग से एक स्कूल की स्थापना भी की.

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