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अंगरेजी की कॉपी जांच रहे उर्दू के शिक्षक

बड़ा सवाल. न सिलेबस की जानकारी और न कोर्स पता, कर रहे मूल्यांकन पटना : मुमताज बेगम मध्य विद्यालय रकसिया में उर्दू की शिक्षिका हैं. लेकिन वह जेडी वीमेंस कॉलेज में अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर रही हैं. इन्हें इंटर या मैट्रिक के सिलेबस की जानकारी तक नहीं है. अंगरेजी पढ़ाने का अनुभव […]

बड़ा सवाल. न सिलेबस की जानकारी और न कोर्स पता, कर रहे मूल्यांकन
पटना : मुमताज बेगम मध्य विद्यालय रकसिया में उर्दू की शिक्षिका हैं. लेकिन वह जेडी वीमेंस कॉलेज में अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर रही हैं. इन्हें इंटर या मैट्रिक के सिलेबस की जानकारी तक नहीं है. अंगरेजी पढ़ाने का अनुभव भी इन्हें नहीं है.
मो मुजफ्फर आलम वीआइयारा उच्च माध्यमिक विद्यालय वीर, पटना में उर्दू के शिक्षक हैं. मो आलम पीएन एंग्लो उच्च माध्यमिक विद्यालय, नया टोला मूल्यांकन केंद्र पर मैट्रिक के अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर रहे हैं. मो आलम को अंगरेजी के सिलेबस का पता नहीं है. उन्होंने बताया कि मैट्रिक में इंगलिश के अंक थोड़े ही जुड़ते हैं. बस पास होना जरूरी होता है.
इंटर-मैट्रिक मूल्यांकन में यह हाल किसी एक मूल्यांकन केंद्र का नहीं है. बल्कि प्रदेश भर के मूल्यांकन केंद्रों पर धड़ल्ले से दूसरे विषयों के शिक्षकों को इंगलिश और हिंदी की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में लगाया जा रहा है. जिला शिक्षा कार्यालय में जब कोई शिक्षक मूल्यांकन में योगदान के लिए आते हैं, तो बस उनसे मौखिक विषय की जानकारी ली जाती है. न तो डॉक्यूमेंट देखा जा रहा है और न ही विषय संबंधित जानकारी ली जा रही है. अब प्रश्न यह उठता है कि इन शिक्षकों को न तो सिलेबस की जानकारी है और न ही ये स्कूल में इन विषयों को पढ़ाते हैं. ऐसे में ये शिक्षक उत्तर पुस्तिकाओं के साथ ईमानदारी कैसे रख पा रहे हैं.
तीन साल का अनुभव नहीं और जांच रहे उत्तर पुस्तिका
गणित, साइंस के साथ खास कर भाषा विषय में ऐसे शिक्षकों को मूल्यांकन में लगाया गया है, जिन्हें इंटर और मैट्रिक के मूल्यांकन का कोई अनुभव नहीं है. समिति के परीक्षा नियम के अनुसार जिन शिक्षकों को कम-से-कम तीन साल के मूल्यांकन का अनुभव होगा, उन्हें ही मूल्यांकन में लगाया जायेगा. लेकिन सैकड़ों ऐसे शिक्षक मूल्यांकन कर रहे हैं, जिन्हें एक साल का भी अनुभव प्राप्त नहीं है.
कर रहे एवरेज मार्किंग
मैट्रिक की कॉपी की जांच कर रहे माे मुजफ्फर आलम के अनुसार मैट्रिक में केवल एपियरिंग के तौर पर ही परीक्षार्थी के लिए अंगरेजी विषय रहता है. ऐसे में इसके अंक का कोई फर्क नहीं पड़ेगा. वहीं कई शिक्षकों ने बताया कि मूल्यांकन में परेशानी भी आ रही है. ग्रामर की तो जैसे-तैसे जांच हो जा रही है, लेकिन लिटरेचर का सिलेबस शिक्षकों को पता नहीं है. बिना नाम बताये, कई शिक्षकों ने बताया कि हम एवरेज मार्किंग कर रहे हैं.
चार से पांच शिक्षक
उर्दू के अलावा म्यूजिक के शिक्षक भी उत्तर पुस्तिकाएं जांच रहे हैं. क्षेत्रीय उच्च विद्यालय, फतेहपुर पटना की लक्ष्मी कुमारी गुप्ता इतिहास की शिक्षिका हैं. पहले इन्होंने सामाजिक विज्ञान की उत्तर पुस्तिकाएं जांचीं. उसके बाद अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाएं राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुलजारबाग, पटना सिटी में जांची. अब वे कॉलेज ऑफ कॉमर्स में अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाएं जांच रही हैं.
एक्सपर्ट होते हुए भी आठ हजार मूल्यांकन से बाहर
इंटर और मैट्रिक के मूल्यांकन में प्रदेश भर के लगभग आठ हजार लाइब्रेरियन और फिजिकल शिक्षकों को अलग रखा गया है. इन शिक्षकों की नियुक्ति स्कूल में लाइब्रेरियन और फिजिकल शिक्षक के रूप में हुई है, लेकिन विषय विशेषज्ञ के रूप में ये शिक्षक हर दिन स्कूल में क्लास लेते हैं. लेकिन बिहार बोर्ड ने इन शिक्षकों को मूल्यांकन से बाहर रखा है.
सामाजिक विज्ञान के ऐसे शिक्षकों को जिन्होंने स्नातक में अंगरेजी विषय रखा है, उन्हें मूल्यांकन में शामिल करने को कहा गया है. चूंकि अंगरेजी के शिक्षकों की कमी है. इसलिए इन्हें लगाया गया है.
आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
पटना : इंटर-मैट्रिक की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच जल्द-से-जल्द की जानी है. इसको लेकर बिहार बोर्ड के अध्यक्ष ने एक आदेश जारी किया कि सामाजिक विज्ञान के स्नातक स्तर के ऐसे शिक्षक, जिनका एक विषय इंगलिश हो, काॅपी जांच में लगाये जाएं. जिला स्तर पर अध्यक्ष के आदेश का पालन तो अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि उपयुक्त शिक्षकों का चयन करें. इसका असर है कि उर्दू के शिक्षक अंगरेजी की उत्तर पुस्तिकाएं, तो इतिहास के शिक्षक सामाजिक विज्ञान की उत्तर पुस्तिकाएं जांच रहे हैं.
पैसे के लिए शिक्षक मूल्यांकन में शामिल तो हो रहे हैं. लेकिन मूल्यांकन करने में उन्हें परेशानी भी हो रही है. हाल यह है कि मूल्यांकन बहिष्कार खत्म होने के बाद सैकड़ाें शिक्षकों ने अपना नाम वापस ले लिया. मध्य और प्राइमरी के सैकड़ों शिक्षक मूल्यांकन में योगदान करने के बाद भी मूल्यांकन नहीं कर पाये और अपना नाम वापस ले लिया. भले शिक्षक अपना नाम वापस ले रहे हैं, लेकिन पदाधिकारी किसी को भी मूल्यांकन में लगा दे रहे हैं. इस लापरवाही से नुकसान सिर्फ मैट्रिक और इंटर के परीक्षार्थियों का ही होगा.

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