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#nitish kumar से स्टार्टअप कार्यक्रम में सवाल करना युवकों पर पड़ा भारी, बेवजह पुलिस ने छह घंटे तक रखा कैद

पटना : बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार को बिहार उद्यमियों के एसोसिएशन द्वारा आयोजित बिहार उद्यमिता शिखर सम्मेलन में पहुंचे दो युवाओं को पूछताछ के लिए पुलिस ने हिरासत में ले लिया. उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से स्टार्टअप्स को लेकर कुछ सवाल पूछे थे, जो […]

पटना : बिहार की राजधानी पटना में मंगलवार को बिहार उद्यमियों के एसोसिएशन द्वारा आयोजित बिहार उद्यमिता शिखर सम्मेलन में पहुंचे दो युवाओं को पूछताछ के लिए पुलिस ने हिरासत में ले लिया. उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से स्टार्टअप्स को लेकर कुछ सवाल पूछे थे, जो उन्हें नागवार गुजरा. इसके बाद पुलिस ने उन्हें बेवजह छह घंटे तक हिरासत में कैद रखा. आलम यह कि इस दौरान उन छह लोगों को पुलिस ने खाने-पीने और शौचालय जाने की भी इजाजत नहीं दी. पुलिस की हिरासत में कैद युवकों की मानें, तो उन्हें अपने परिवार के सदस्यों से भी बात करने की अनुमति नहीं दी गयी. जानकारी के मुताबिक, स्टार्टअप कार्यक्रम में बेगूसराय के छोरही के 46 वर्षीय सुरेश कुमार और मधुबनी के निमी कुमार ने कार्यक्रम के दौरान खड़े होकर नीतीश कुमार से कुछ सवाल पूछे थे.

बैंक से लोन में होने वाली परेशानी का उठाया सवाल

दोनों युवा उद्यमियों ने कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के सामने यह सवाल उठाया था कि स्टार्ट अप के लिए सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान और इसके लिए बैंकों से ऋण लेने के दौरान उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. साथ ही, किसी परियोजा के लिए ऋण मांगे जाने पर भी उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. युवकों के मुताबिक, इसके तुरंत बाद पुलिस और विशेष शाखा के अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और रात करीब आठ बजे तक हिरासत में रखा गया. युवकों ने बताया कि उनके साथ पुलिस ने अपराधियों की तरह बर्ताव किया. साथ ही, उन्हें छह घंटे से अधिक समय के लिए पुलिस स्टेशन के एक कमरे में बेवजह रखा गया.

अपराधियों जैसा हुआ सलूक

युवकों ने मीडिया को बताया कि गांधी मैदान थाने के अंदर उन्हें एक कमरे में बंद किया गया, जहां सुविधाएं नहीं थी. उनसे गांधी मैदान के थानाध्यक्ष और पुलिसकर्मियों ने लगातार पूछताछ की. उन्हें उस दौरान खाने और पीने भी नहीं दिया गया, यहां तक की परिवार वालों को सूचित तक करने नहीं दिया गया. हमारे मोबाइल फोन को भी जब्त कर लिये गये थे. नेमी ने बताया कि पुलिस अधीक्षक ने उप पुलिस अधीक्षक कैलाश प्रसाद को ऐसा निर्देश दिया था कि हमें पुलिस गिरफ्तार करे.

हमने वास्तविक मुद्दा उठाया

स्टार्ट अप कार्यक्रम में सवाल पूछने वाले युवक नेमी ने कहा कि हमने कार्यक्रम में वास्तविक और सही मुद्दों को उठाया. अगर हम यह जानते कि हमारे साथ पुलिस इतना कठोर व्यवहार करेगी तो, हम यह प्रश्न नहीं करते. युवकों के मुताबिक उन्होंने गांधी मैदान के थानाध्यक्ष से बात की और बाद में उन्हें बताया गया कि डीएसपी नहीं आयेंगे और उन्हें लगभग आठ बजे वहां से छोड़ा गया. वहीं पुलिस की ओर से डीएसपी टाउन ने मीडिया को बताया कि दोनों युवकों को जानकारी लेने के लिये हिरासत में लिया गया था. यह पूछे जाने पर कि जानकारी लेने में छह घंटे क्यों लगे, तो डीएसपी ने फोन काट दिया.

मुख्यमंत्री मिलना चाहते थे

स्पेशल ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने मीडिया से कहा कि उन्होंने दो उद्यमियों को गांधी मैदान पुलिस स्टेशन भेजा था, क्योंकि मुख्यमंत्री उनसे मिलना चाहते थे. अधिकारी उनके बारे में जानना चाहते थे, इसलिए उनसे जानकारी लेने के लिए उन्हें गांधी मैदान थाने भेजा गया था. हालांकि, सब-इंस्पेक्टर ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या जानकारी हासिल करने के लिए थाने भेजना जरूरी है. जानकारी तो कार्यक्रम स्थल पर भी ली जा सकती थी. वहीं, एडीजी पुलिस मुख्यालय सुनील कुमार ने कहा कि दोनों को सत्यापन के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया था. उन्होंने बताया कि एक युवक सुरेश कुमार शर्मा वर्तमान में जमानत पर है, जबकि नेमी के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिल पाया है.

निजी मुचलके पर युवकों को किया गया रिहा

एडीजी ने कहा कि उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है. इस मामले में बिहार के डीजीपी का कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, डीजीपी ने कहा कि पुलिस कभी-कभार पहले के मामलों को लेकर और संदेह के आधार पर लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लेती है. उन्होंने कहा कि वह पूरे मामले की जांच करेंगे.

क्या है पूरा मामला

मधुबनी के रहने वाले 43 साल का युवक नेमी हिमाचल प्रदेश के संस्थान से ग्रामीण प्रबंधन में एमबीए करने के बाद युवा उद्यमी बनना चाहता है. इसी को ध्यान में रखकर वह पटना में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचा था. कार्यक्रम में नेमी ने अपने सरकार के सामने दिये जा रहे प्रस्तावों में पारदर्शिता की कमी और बेवजह योजनाओं को अस्वीकृत करने का मुद्दा उठाया. नेमी ने कहा कि कुल मिलाकर 700 आवेदन उद्योग विभाग तक पहुंच चुके हैं, जिनमें 108 आंशिक सरकारी वित्त पोषण के लिये स्वीकार कर लिये गये हैं.लेकिन अभी तक सरकार ने चयनित प्रस्तावों की कोई सूची सार्वजनिक नहीं की है, न ही उन लोगों को कुछ बताया गया है, जिनके आवेदन और प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया है. नेमी ने अपना सवाल उठाया, उसके बाद सुरक्षाकर्मी हरकत में आये और उसे कार्यक्रम से हटाने की कोशिश की. बाद में पटना डीएम ने सुरक्षाकर्मियों को रोक दिया और मुख्यमंत्री ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वह कार्यक्रम के बाद नेमी से मिलना चाहते हैं.

बेगूसराय के सुरेश ने बैंक पर उठाया सवाल

कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री बोल रहे थे, उसी वक्त, बेगूसराय के रहने वाले सुरेश ने बैंक अधिकारियों द्वारा परेशान करने का सवाल खड़ा किया. सुरेश ने कहा कि वह बैंकों से जब ऋण लेने के लिये गया तो उसे परेशान किया गया. उसके बाद मुख्यमंत्री ने सुरेश से शांत रहने की अपील की. नीतीश ने कहा कि यदि आप कुछ कहना चाहते हैं तो आप मंच पर आइए और यहां बोलिए. नीतीश ने कहा कि विधानमंडल का सत्र चल रहा है, बहुत सारे कार्य छोड़कर यहां मैं आया हूं. नीतीश ने कहा कि युवाओं पहले व्यवहार कुशल होना जरूरी है. कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने नेमी से मुलाकात की और उसकी शिकायतों को सुना.

मुख्यमंत्री के जाने के बाद हुई गिरफ्तारी

1.45 मिनट पर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से निकलते ही बिहार पुलिस की विशेष शाखा ने दोनों उद्यमियों को रोक लिया. उसके बाद एक पुलिस की गाड़ी मंगाकर दोनों को गांधी मैदान थाने को सौंप दिया गया. दोनों युवकों ने मीडिया को बताया कि इस दौरान उनके परिवार वाले काफी परेशान हुए. उन्हें छह घंटे के लिये उनसे संपर्क नहीं करने दिया गया. नेमी ने कहा कि इस घटना से यह साफ लगता है कि हम सुशासन में नहीं बल्कि पुलिस शासन में रह रहे हैं.

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