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सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद नहीं होगा रेलवे का निजीकरण: प्रभु

नयी दिल्ली: सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खडा कर रहे हैं जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते. उन्होंने कहा कि निजीकरण की धारणा भ्रामक संकेत देती है और इसमें किसी उद्यम […]

नयी दिल्ली: सरकारी समिति की सिफारिश के बावजूद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे के निजीकरण को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह हौआ वे लोग खडा कर रहे हैं जो किसी प्रकार का बदलाव नहीं चाहते.

उन्होंने कहा कि निजीकरण की धारणा भ्रामक संकेत देती है और इसमें किसी उद्यम का मालिकाना हक किसी दूसरी इकाई या प्रबंधन को हस्तांतरित करने का विचार होता है जो रेलवे में संभव नहीं है.

प्रभु ने पीटीआई भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘रेलवे लगातार भारत सरकार के नियंत्रण में बनी रहेगी और सरकार ही इसका प्रबंधन करेगी. हम बदलाव चाहते हैं पर मालिकाना हक में नहीं. हम ऐसा बदलाव नहीं चाहते कि कोई रेलवे की मूल्यवान संपत्ति को चलाये. हम रेलवे के कामकाज में सुधार के लिये निजी निवेश या प्रौद्योगिकी चाहते हैं ताकि रेलवे और मूल्यवान बने.’’

सरकार द्वारा गठित बिबेक देवराय की अध्यक्षता वाली समति ने घाटे में चल रही रेलवे के निगमीकरण की सिफारिश की है और सुझाव दिया है कि रेल मंत्रालय को केवल नीति निर्माण के लिये जिम्मेदार होना चाहिए और निजी कंपनियों को यात्री, माल ढुलाई का जिम्मा दिया जाना चाहिए. इन सुझावों पर जारी चर्चा के बीच प्रभु ने यह बात कही है.

रेलवे पर कैग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे अपनी यात्री परिचालन लागत तथा अन्य कोच सेवाओं की लागत को पूरा करने में विफल रही है और 2011-12 में इस मद में 23,643 करोड रुपये का नुकसान हुआ.

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