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पीएम की टी पार्टी के बहाने होगी राजनीति

नयी दिल्ली : आखिकार शिवसेना व भाजपा के बीच के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने के संकेत मिलने लगे हैं. इसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिनर में शिवसेना सांसदों के शामिल होने से मिल रहे हैं. शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने गुरुवार को कहा कि शिवसेना के सांसद 26 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी […]

नयी दिल्ली : आखिकार शिवसेना व भाजपा के बीच के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने के संकेत मिलने लगे हैं. इसके संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिनर में शिवसेना सांसदों के शामिल होने से मिल रहे हैं. शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने गुरुवार को कहा कि शिवसेना के सांसद 26 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर होने वाले डिनर पार्टी में शिरकत करेंगे. संभव है कि इस डिनर में खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल हों.
देसाई के मुताबिक, दोनों दलों का मकसद महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार गठित करना है. उन्होंने यह भी कहा है कि हमसे शिवसेना प्रमुख ने दिल्ली में भाजपा नेताओं से मिलने के लिए कहा था और बातचीत बहुत सकारात्मक रही थी. महाराष्ट्र के लोगों ने दोनों दलों को अच्छा जनादेश दिया है, क्योंकि वह एक स्थिर सरकार चाहते हैं. उन्होंने अपने बयान में यह जोड़ा कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हम निश्चित रूप से महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार देंगे. उन्होंने भाजपा नेताओं से मुलाकात में शुरुआती बात होने की बात कही. उन्होंने कहा है कि हमलोग एक बार फिर सोमवार को इस मुद्दे पर साथ बैठेंगे.
उधर, राजनीतिक हलकों में खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए सांसदों के साथ सहयोगी दलों के प्रमुखों को भी रात्रिभोज पर आने को कहा है. जाहिर है कि केंद्र में शिवसेना अब भी राजग में शामिल है और ऐसे में शिवसेना प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे को भी इस भोज में शामिल होना चाहिए. सूत्रों के अनुसार, उद्धव को भी पीएम के दीवाली भोज में शामिल होने का आमंत्रण भेजा गया है. ऐसे में महाराष्ट्र की भावी सरकार में अपनी हिस्सेदारी चाह रही शिवसेना के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उसके मुखिया पीएम के भोज में शामिल हों.
उद्धव के भोज में शामिल होने पर टिकी नजर
शिवसेना की ओर से ही अप्रत्यक्ष तौर पर यह संकेत मिलने लगा है कि उद्धव ठाकरे मोदी के भोज में शामिल होंगे. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उद्धव का मोदी के भोज में शामिल होने का प्रतीकात्मक मायने होगा. अगर, उद्धव मोदी के घर पहुंचेंगे तो इस यह संभावना प्रबल हो जायेगी कि शिवसेना भाजपा के नेतृत्व में महाराष्ट्र में बनने वाली सरकार में शामिल होगी और अगर ऐसा नहीं होगा तो इस बात की संभावना प्रबल हो जायेगी कि भाजपा छोटे दलों व निर्दलीयों के सहयोग से अकेले सरकार बनाये. उसे सरकार गठन के लिए मात्र 22 और विधायकों की जरूरत है, जो छोटे दलों व निर्दलीयों की संख्या से पूरी हो जायेगी. भाजपा के रणनीतिकार इस फामरूले पर भी काम कर रहे हैं.
क्या हैं इसके प्रतीकात्मक मायने
महाराष्ट्र की एनडीए राजनीति का केंद्र हमेशा मुंबई रहा है. उस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का दबदबा हमेशा कम ही रहा है. भाजपा के बड़े नेताओं को गंठबंधन व सीट बंटवारे के मुद्दे पर हमेशा दिल्ली से मुंबई का रुख करना पड़ा. शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के दबाव में हमेशा भाजपा रही, लेकिन नरेंद्र मोदी के भाजपा के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरने के बाद भाजपा अब किसी सहयोगी के दबाव को ङोलने को तैयार नहीं है. नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने के लिए दिल्ली आने को मजबूर कर यह प्रतीकात्मक संदेश महाराष्ट्र व राष्ट्र को देना चाहते हैं कि शिवसेना को ही भाजपा की जरूरत है और उसी की शर्त पर उसे चलना होगा.
28-29 अक्तूबर को वानखेड़े स्टेडियम सिल
सरकार गठन की चर्चाओं की बीच खबर है कि 28 व 29 अक्तूबर को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम सिल करने का निर्देश दिया गया है. इसको सीएम के शपथ ग्रहण से जोड़ कर देखा जा रहा है. राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि 26 के पीएम मोदी के भोज के बाद 27-28 को सरकार गठन के फामरूले पर सभी पक्षों के बीच बाज हो जायेगी और ऐसे में 29 को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है.इस बीच नितिन गडकरी ने कहा है कि वे महाराष्ट्र सीएम की दौड़ में नहीं हैं. उन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस से किसी प्रतियोगिता से इनकार करते हुए कहा है कि वे उनके सहयोगी हैं और उन्हें राजनीति में उन्होंने ही लाया है.

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