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बांग्लादेश से हिंदुओं का पलायन बढ़ा

।। कृपाशंकर चौबे।। बांग्लादेश में यदि बवंडर होता है, तो उसकी आंच इस पार भी पहुंचती है. बांग्लादेश के कट्टरपंथी राजनीतिक दल जमात-ए-इसलामी के नेता अब्दुल कादर मोल्ला को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अत्याचार करने के आरोप में फांसी दिये जाने के बाद उस पार भड़की हिंसा के सबसे ज्यादा शिकार हिंदू हो […]

।। कृपाशंकर चौबे।।

बांग्लादेश में यदि बवंडर होता है, तो उसकी आंच इस पार भी पहुंचती है. बांग्लादेश के कट्टरपंथी राजनीतिक दल जमात-ए-इसलामी के नेता अब्दुल कादर मोल्ला को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान अत्याचार करने के आरोप में फांसी दिये जाने के बाद उस पार भड़की हिंसा के सबसे ज्यादा शिकार हिंदू हो रहे हैं. कट्टरपंथियों के हमले में बीते एक हफ्ते के दौरान अब तक 35 लोग मारे गये हैं और दो सौ से ज्यादा लोग आहत हुए हैं. अल्पसंख्यकों के तीन सौ घरों में आग लगायी गयी है. बांग्लादेश के हिंदू व बौद्धों की सबसे अधिक आबादी दौचंगा, मेहरपुर और ङोनाइडाह जिलों में है और उन पर हमले भी वहीं हो रहे हैं. हमलों से बचने के लिए वे भागकर भारत आ रहे हैं. जमात-ए-इसलामी तथा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों ने जेसोर में एक मंदिर को तोड़ डाला, तो जनाइडाह में हिंदुओं की सौ दुकानों में आग लगा दी. कालीगंज, टाला और कलरवा में प्राय: सभी हिंदुओं के घरों को आग लगा दी गयी. पिछले एक हफ्ते में हजारों हिंदू बांग्लादेश छोड़ने को बाध्य हुए हैं.

बांग्लादेश के लेखक सलाम आजाद कहते हैं-बांग्लादेश के हिंदुओं के पास तीन ही रास्ते हैं-या तो वे आत्महत्या कर लें या धर्मातरण कर मुसलमान बन जाएं या पलायन कर जाएं. तीसरा विकल्प सहूलियत वाला है. कट्टरपंथी मुसलिम संगठनों के अत्याचार से तंग आकर 1974 से 1991 के बीच रोज औसतन 475 लोग यानी हर साल एक लाख 73 हजार 375 हिंदू हमेशा के लिए बांग्लादेश छोड़ने को बाध्य हुए. यदि उनका पलायन नहीं हुआ होता तो आज बांग्लादेश में हिंदू नागरिकों की आबादी सवा तीन करोड़ होती. 1951 में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22 प्रतिशत थी, जो घट कर आज नौ प्रतिशत हो गयी है.

बांग्लादेश में शत्रु अर्पित संपत्ति कानून, देवोत्तर संपत्ति पर कब्जे ने अल्पसंख्यकों को कहीं का नहीं छोड़ा है. उस पार उन्हें ‘मालउन’ कहकर गाली दी जाती है. उस पार अल्पसंख्यकों पर बढ़े हमले के विरोध में पिछले दस दिसंबर को इस पार के बाशिंदों ने बनगांव बाटारमोड़ से बांग्लादेश सीमा तक लंबा जुलूस निकाला. जुलूस में शामिल लोग नारे लगा रहे थे-बांग्लादेश से हिंदुओं को भगाने की इसलामी जेहाद व्यर्थ करें. जुलूस का नेतृत्व कर रहे वीएन राय ने कहा कि बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की आड़ लेकर जिस तरह वहां के इसलामी कट्टरपंथी हिंदुओं और बौद्धों पर आक्र मण कर रहे थे, उसका एकमात्र मकसद देश को अल्पसंख्यकों से पूरी तरह खाली करा लेना है. यह अमानवीय है और लोकतंत्र पर धब्बा भी. यह बड़ा दुखद है कि मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना भी वहां अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं कर पा रही हैं.
(समाप्त)

(लेखक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर तथा कोलकाता केंद्र के प्रभारी हैं)

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