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कर्ज से मुक्ति के लिए रची खुद के अपहरण की साजिश, घर में सुरंग बना कर 13 माह से छुपा था संजय

सीतामढ़ी : कर्ज से बचने और कर्ज देनेवाले से लाखों रुपये ऐठने की नीयत से संजय सिंह नाम के व्यक्ति ने अपने परिजनों के साथ मिल कर खुद के अपहरण की साजिश रची और अपने ही घर में सुरंग बना कर उसमें छुप गया. इसमें उसका साथ भाई धीराचंद्र सिंह, भोला सिंह व भाभी निधि […]

सीतामढ़ी : कर्ज से बचने और कर्ज देनेवाले से लाखों रुपये ऐठने की नीयत से संजय सिंह नाम के व्यक्ति ने अपने परिजनों के साथ मिल कर खुद के अपहरण की साजिश रची और अपने ही घर में सुरंग बना कर उसमें छुप गया. इसमें उसका साथ भाई धीराचंद्र सिंह, भोला सिंह व भाभी निधि देवी ने दिया. इस तरह वो लगभग 13 माह तक सुरंग में छुपा रहा, लेकिन पुलिस की जांच से बच नहीं पाया. उसकी सच्चई सामने आयी, तो पुलिसवालों ने भी दातों तले उंगली दबा ली. इस मामले में संजय राय नाम का व्यक्ति पिछले छह माह से जेल में है.
जानकारी के मुताबिक सहियारा थाने के जलसी गांव के रहनेवाले संजय सिंह ने मैवी गांव के संजय राय से एक लाख रुपये ब्याज पर लिये थे. संजय ने समय से रुपये नहीं लौटाये, जिसकी वजह से ब्याज के साथ रुपये बढ़ कर 1.75 लाख हो गये. जब संजय राय को रुपया नहीं मिला, तो उसने पंचायत बैठायी, जिसमें संजय सिंह को रुपये वापस करने को कहा गया, लेकिन इसके बाद भी संजय सिंह रुपये वापस नहीं कर पाया. इसी बीच एक दिन संजय राय ने पैसा वापसी का दबाव बनाने के लिए संजय सिंह को अपने घर में बंधक बना लिया, लेकिन रात में किसी तरह से वो वहां से भाग आया.
संजय सिंह ने अपने परिजनों से बात की. इसमें उसके भाई धीराचंद्र सिंह ने उससे अपहरण का नाटक करने को कहा. इसके बाद ही संजय सिंह अपने घर में सुरंग बना कर उसमें छुप गया.
इसके बाद 29 मई 2014 को धीराचंद्र सिंह की ओर से सहियारा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी, जिसमें भाई संजय सिंह के अपहरण की बात कही गयी. इसमें संजय राय, राज किशोर राय, सुरेश राय, राम प्रताप राय, मकसूदन राय, राम बहादुर राय समेत दस लोगों को आरोपित बनाया गया.
मामले में संजय राय को लगभग छह माह पूर्व गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया, लेकिन मामले की जांच कर रहे सहियारा थानाध्यक्ष को शुरू से ही मामला संदेहास्पद लग रहा था, क्योंकि धीराचंद्र सिंह प्राथमिकी के बाद से मामले में सुलह की बात कर रहा था. इसकी एवज में पांच लाख रुपये की मांग कर रहा था.
यहीं से पुलिस का शक धीराचंद्र सिंह व उसके परिजनों पर बढ़ गया. उधर, पुलिस संजय सिंह की बरामदगी के लिए कई जगह छापेमारी भी कर चुकी थी, लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिल रहा था.
बताया जाता है कि समय बीतने के साथ संजय सिंह के परिजन लगातार आरोपितों पर मामले में सुलह के लिए दबाव डाल रहे थे.
इसी पर थानाध्यक्ष राजीव कुमार तिवारी ने धीराचंद्र सिंह के घर में ही तलाशी का फैसला लिया. पुलिस बल के साथ थानाध्यक्ष जब धीराचंद्र सिंह के घर की तलाशी ले रहे थे, घर के एक कमरे में अंधेरा था. उसके कोने में पटरे से जमीन ढकी हुई थी, जिस पर मिट्टी का लेप लगा हुआ था. पूजा स्थान लगे. इसलिए मिट्टी के ऊपर सिंदूर आदि लगा दिया गया था. पुलिस ने पटरा हटाने का फैसला किया.
बताया जाता है कि जैसे ही पुलिस ने लकड़ी का पटरा हटाया, उसके अंदर संजय सिंह बैठा मिला. ज्यादा दिनों से घर के अंदर ही छुपे रहने के कारम उसे बाल व दाढ़ी बढ़ गयी थी.
पुलिसवालों ने उसे सुरंग से बाहर निकाला और पूछताछ शुरू की, तो पूरा मामला सामने आ गया. इस मामले की जानकारी मंगलवार को पुलिस अधीक्षक हरि प्रसाद एस ने पत्रकारों को दी. उन्होंने बताया कि झूठा मामला दर्ज कराने की एवज में संजय सिंह, भाई भोला सिंह, धीराचंद्र सिंह एवं भाभी निधि देवी को गिरफ्तार किया है.

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