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सरकार के पास पड़ी है और उद्यमी खोज रहे जमीन
उद्योगों के लिए अधिग्रहित 399 एकड़ भूमि का नहीं हो सका इस्तेमाल सुनील चौधरी रांची : बरही में उद्योग लगाने के लिए सरकार के पास 399 एकड़ जमीन पड़ी हुई है. दूसरी ओर छोटे-बड़े कई उद्यमी जमीन की तलाश में इधर-उधर जा रहे हैं. रियाडा के अधीन यह जमीन उद्योगों के इंतजार में बेकार पड़ी […]
उद्योगों के लिए अधिग्रहित 399 एकड़ भूमि का नहीं हो सका इस्तेमाल
सुनील चौधरी
रांची : बरही में उद्योग लगाने के लिए सरकार के पास 399 एकड़ जमीन पड़ी हुई है. दूसरी ओर छोटे-बड़े कई उद्यमी जमीन की तलाश में इधर-उधर जा रहे हैं. रियाडा के अधीन यह जमीन उद्योगों के इंतजार में बेकार पड़ी हुई है. हालांकि अब रियाडा द्वारा इसके लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है.
चारों तरफ से बाउंड्री करायी जायेगी. मामला औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन नीति को लेकर लंबित है. लैंड एलॉटमेंट पॉलिसी को कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही बरही में उद्योगों को जमीन देने की प्रक्रिया रियाडा द्वारा की जायेगी.
1992 में अधिग्रहण हुआ था
बरही में रियाडा द्वारा मेगा ग्रोथ सेंटर के निर्माण के लिए वर्ष 1992-93 में बरही प्रखंड के कोनरा मौजा में खेती वाली 525 एकड़ जमीन ली गयी थी. ग्रोथ सेंटर में मझोले व लघु स्तर के 300 औद्योगिक इकाई लगायी जानी थी. कल – कारखानों के निर्माण से पहले अधिग्रहित भूमि पर सड़क, पानी, बिजली सहित अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाना था.
आधारभूत संरचना के निर्माण के लिए रियाडा को उस समय 30 करोड़ की राशि भी केंद्र सरकार ने उपलब्ध करायी थी. वर्ष 17 सितंबर 1996 को हजारीबाग जिला प्रशासन द्वारा यह भूमि रियाडा को हस्तांतरित की गयी. पर स्थिति यह है कि अभी तक मेगा ग्रोथ सेंटर की दिशा में कोई काम नहीं हो सका. हालांकि कई बार मेगा ग्रोथ सेंटर के लिए पहल हुई, पर सारे प्रयास बेकार गये. न कोई उद्योग बसा न ही औद्योगिक आधारभूत संरचना का निर्माण हुआ.
उद्योगों के लिए हर तरह की सुविधा
बरही जीटी रोड, एनएच-31 व एनएच-33 पर स्थित है. कच्च माल लाने व औद्योगिक इकाइयों के उत्पादित माल को बड़े शहरों के बाजारों तक लाने ले जाने में तीन-तीन राष्ट्रीय राज्य मार्गो की सहूलियत है. इसके ठीक बगल में तिलैया डैम है. वह डीवीसी का पावर प्लांट भी है.
यानी एक उद्योग के लिए जो भी आवश्यक शर्ते होती है, वह यह स्थल पूरा करता है. पर सरकार की उदासीनता से अबतक इस क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं लग सका.
रियाडा की पॉलिसी से होगा कायाकल्प
रियाडा से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सबकुछ लैंड एलॉटमेंट पॉलिसी को लेकर लंबित है. राज्य सरकार औद्योगिक क्षेत्रों में लैंड एलॉटमेंट के लिए नयी पॉलिसी बना रही है.
ड्राफ्ट मंजूर हो चुका है. कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही इस क्षेत्र में ही सरकार का ध्यान जायेगा, क्योंकि रियाडा के क्षेत्रों में यह सबसे बेहतर साइट है. जहां उद्योग लगाने की सारी सुविधाएं पहले से मौजूद है. इस क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है. इसी वित्तीय वर्ष में बाउंड्री कराने की योजना है. इसके बाद मारुति को भी शीघ्र ही भूमि आवंटित कर दी जायेगी. मारुति द्वारा बड़े पैमाने पर रोजगार दिये जाने की संभावना है.
कोबरा बटालियन और एनएचएआइ को भी यहां मिली जमीन
एनएच 33 और जीटी रोड के करीब ही औद्योगिक क्षेत्र की जमीन है, जिसके चलते जमीन का बड़ा हिस्सा एनएचएआइ ने भी लिया.
जिस पर जीटी रोड की बाइपास सड़क बनायी गयी. वहीं वर्ष 2009 में कोबरा बटालियन के हेडक्वार्टर निर्माण के लिए 100 एकड़ 50 डिसमिल जमीन राज्य सरकार ने आवंटित कर दी. अब रियाडा के पास कुल 399 एकड़ जमीन बची है, जिसमें मारुति उद्योग लिमिटेड को 80 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव है.
राज्य में 27 लाख एकड़ सरकारी भूमि
राज्य के लैंड बैंक के आंकड़े वेबसाइट पर अपलोड किये गये
रांची : झारखंड सरकार ने सरकारी वेबसाइट पर राज्य में उपलब्ध सरकारी भूमि से संबंधित आंकड़े अपलोड कर दिये हैं. इस वेबसाइट में जिलावार आंकड़ा दिया गया है.
सरकार की तरफ से उपलब्ध कराये गये आंकड़ों में कहा गया है कि पूरे झारखंड में 27 लाख एकड़ से अधिक सरकारी भूमि है. इनमें से सरकारी विभागों के पास 83 हजार एकड़ जमीन है. सरकार की तरफ से सिर्फ 16 लाख एकड़ भूमि ही बंदोबस्त की गयी है. आंकड़ों में 29.13 लाख एकड़ भूमि में सरकारी जंगल होने की बात कही गयी हैं, जो जंगल-झाड़ी की श्रेणी में आरक्षित हैं.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से राज्य भर से गैर मजरूआ (खास) और गैर मजरूआ (आम) जमीन की अलग-अलग विवरणी तैयार की गयी है. सरकार का मानना है कि इस विवरणी से राज्य में उद्योग लगानेवाली कंपनियों को जमीन का लेखा-जोखा खोजने में दिक्कत नहीं होगी. मुख्य सचिव राजीव गौबा के निर्देश पर यह कार्रवाई की गयी है.
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