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हरित क्रांति के बाद से भारत में बढ़ा बीफ का उत्पादन आैर निर्यात, हर साल 27,000 करोड़ की आमदनी

नयी दिल्लीः भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 1966-67 में हरित क्रांति की शुरुआत की गयी थी, ताकि अत्याधुनिक तकनीक पर खेती किसान खेती कर सकें. इससे देश में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुर्इ, लेकिन इसमें पशुआें का इस्तेमाल घट गया. पशुआें का इस्तेमाल घटने की वजह से देश में बीफ के […]

नयी दिल्लीः भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 1966-67 में हरित क्रांति की शुरुआत की गयी थी, ताकि अत्याधुनिक तकनीक पर खेती किसान खेती कर सकें. इससे देश में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी तो हुर्इ, लेकिन इसमें पशुआें का इस्तेमाल घट गया. पशुआें का इस्तेमाल घटने की वजह से देश में बीफ के उत्पादन आैर उसके निर्यात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी. राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (एनएसएसआे) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब आठ करोड़ लोग बीफ का सेवन करते हैं आैर यहां इसका करीब 24 लाख टन से अधिक उत्पादन किया जाता है.

इस खबर को भी पढ़ेंः राजस्थान में गौरक्षकों की पिटाई से एक शख्‍स की मौत, तीन गिरफ्तार

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तीन राज्यों को छोड़ कर प्रायः सभी जगह गोहत्या पर 1976 से ही रोक लगी हुर्इ है. इसके बावजूद कुछ राज्यों में बैल और बछड़े को काटने की इजाजत रही है. 2012 में हुए पशुओं की गणना के अनुसार, भारत में गोवंश की तादाद वर्ष 1951 में सबसे अधिक 53.04 फीसदी थी, जो वर्ष 2012 में घटकर 37.28 फीसदी पर आ गयी. मार्च, 2015 में आयी बीबीसी की रिपोर्ट में आॅल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डीबी सभरवाल बताते हैं कि प्रतिबंध की वजह से किसान अपनी दूध न देने वाली गायों को बेच नहीं पाते हैं. इसलिए उन्हें पालने या जिंदा रखने में उनकी कोई रुचि नहीं होती.

मशीनीकरण ने खेती में जानवरों के इस्तेमाल को कर दिया खत्म

इसके साथ ही, डीबी सभरवाल का यह भी कहना है कि अब खेती के मशीनीकरण के बाद जानवरों का इस्तेमाल नहीं के बराबर हो रहा, इसलिए जो बछड़े और बैल कसाइयों के जरिये किसान के काम आ सकते थे, उन्हें जिंदा रखने में किसान को कोई लाभ नहीं. यही वजह है कि संरक्षण के बावजूद गोवंश की संख्या लगतार घट रही है. हालांकि, 1951 में जहां भैंसों की संख्या सभी जानवरों में से 14.82 फीसदी थी, वह 2012 में बढ़कर 21.23 फीसदी हो गयी.

बीफ उत्पादन में भारत तीसरे स्थान पर

इंटरनेशनल मीट सेक्रेटेरियट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में हर साल करीब 5.783 करोड़ मीट्रिक टन बीफ का उत्पादन किया जाता है. इसमें अकेले अमेरिका 1.12 करोड़ मीट्रिक टन बीफ का उत्पादन करता है. इसके साथ ही 69.7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन के साथ चीन दूसरे नंबर पर आैर 22.5 लाख मीट्रिक टन बीफ के उत्पादन के साथ भारत दुनिया भर में तीसरे नंबर पर है.

बीफ निर्यात के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन है भारत

अमेरिकी कृषि विभाग की आेर से 27 मार्च, 2017 को जारी रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के बीफ निर्यातक देशों में भारत नंबर वन पर है. इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बीफ के निर्यात से भारत हर साल करीब 27 हजार करोड़ रुपये की आमदनी करता है. रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 के दौरान दुनियाभर के बीफ बाजार में भारत की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी थी.

24 लाख टन बीफ का निर्यात करता है भारत

अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, भारत 2014-15 के दौरान करीब 24 लाख टन बीफ का निर्यात कर पहले नंबर पर रहा. वहीं, 20 लाख टन का निर्यात कर ब्राजील दूसरे स्थान पर आैर 15 लाख टन बीफ का निर्यात कर आॅस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर रहा. इसके साथ ही, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया में बीफ निर्यात करने वाले बाजारों में भारत, ब्राजील आैर आॅस्ट्रेलिया की करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है.

बासमती चावल से अधिक बीफ का निर्यात करता है भारत

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच सालों के दौरान भारत ने जितना बासमती चावल का निर्यात नहीं किया, उससे कहीं अधिक बीफ का निर्यात किया है. इन पांच सालों के दौरान शुरुआत में बीफ के निर्यात से भारत को करीब 0.76 फीसदी राजस्व की आमदनी होती थी, जो 2015-16 के आते-आते बढ़कर 1.56 फीसदी हो गयी.

2017 में चीन ने पहली बार भारत से बीफ आयात की भरी हामी

चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिस सीमा विवाद को लेकर भारत आैर चीन के रिश्ते में खटास का माहौल देखा जा रहा है, उसी चीन ने 2017 की शुरुआत में भारत से बीफ के आयात की हामी भरी है. इसके लिए उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाले भारत के करीब 14 बूचड़खानों का मुआयना करने के लिए अपनी टीम को भेजा था.

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