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कतरास: धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को लेकर जनांदोलन के 100 दिन, हर दिल में जल रही उम्मीद की लौ

भूमिगत आग के चलते धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड पर बंद ट्रेनों का परिचालन पुन: शुरू करने को लेकर जनांदोलन आज की तारीख में भी जारी है. जहां रेल दो या जेल दो के नारे के साथ धनबाद नगर निगम के पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी 100 दिनों से आंदोलन जारी रखे हैं, कतरास विकास मंच की प्रार्थना सभा […]

भूमिगत आग के चलते धनबाद-चंद्रपुरा रेलखंड पर बंद ट्रेनों का परिचालन पुन: शुरू करने को लेकर जनांदोलन आज की तारीख में भी जारी है. जहां रेल दो या जेल दो के नारे के साथ धनबाद नगर निगम के पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी 100 दिनों से आंदोलन जारी रखे हैं, कतरास विकास मंच की प्रार्थना सभा 108वें दिन में प्रवेश कर गयी. आज यह आंदोलन कतरास वासियों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है.

कतरास: वह 14 जून, 2017 की दरमियानी रात थी. कतरास ही नहीं, धनबाद से चंद्रपुरा तक, हजारों निगाहें डीसी रेल खंड पर गुजरने वाली उस आखिरी ट्रेन की ओर टकटकी लगाये हुए थीं. इतिहास जो बननेवाला था. लोग इस क्षण का गवाह बनना चाहते थे. हर दिल में दुख के साथ गुस्सा भी था. रेलवे, बीसीसीएल, राज्य सरकार, जिला प्रशासन समेत अन्य सरकारी एजेंसियाें को लोग कोस रहे थे. वह रात जैसे कतरास कोयलांचल के लिए काली रात साबित होने वाली थी. कहीं से कोई उम्मीद की लौ नजर नहीं आ रही थी.

हर दिल उत्सुकता व बेचैनी से भरा था. उनका आवागमन का साधन छिनने वाला था. रोजी-रोजगार पर काले साये मंडरा रहे थे. वह क्षण भी आया, जब सरकार के दिशा-निर्देश पर हमेशा के लिए धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंद कर दी गयी. रेल खंड से गुजरने वाली करीब 26 जोड़ी ट्रेनें बंद हो गयी. मालगाड़ियों से कोयला ढुलाई भी बंद हो गया.

फैसले से हजारों-लाखों लोग प्रभावित हुए. हजारों हाथ बेरोजगार हो गये. धनबाद रेल मंडल का राजस्व धड़ाम हो गया. और इसके बाद ही शुरू हुआ विरोध का सिलसिला. जनता, सरकारी-गैर सरकारी संगठन तथा जनप्रतिनिधि सरकार के निर्णय के खिलाफ सड़क पर उतर आये. मुखर विरोध शुरू हुआ, तो लोग-संगठन-नेता साथ आते गये और आंदोलन का सफर शुरू हो गया. जनांदोलन का दौर आज भी जारी है. जनसमस्याओं की खातिर हर स्तर पर हर प्रकार की लड़ाई लड़नेवाले धनबाद नगर निगम की वार्ड संख्या-1 से पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी एकबार फिर सामने आये. उन्होंने एक जुलाई से स्टेशन रोड में अनिश्चितकालनी महाधरना शुरू किया, जो आज भी जारी है. रविवार को महाधरना का 100वां दिन था. देखा जाये तो डॉ गोस्वामी के महाधरना को न सिर्फ विपक्ष, बल्कि हर वर्ग, संगठन, सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं का भी समर्थन मिला.

दिल्ली के दिल तक पहुंचा मैसेज : महाधरना में राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कई नेता शामिल हुए. मांगों का समर्थन कर दिल्ली तक जनता की भावनाएं पहुंचाने का काम किया. रेल मंत्रालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक बात पहुंच चुकी है. यह आंदोलन की सफलता ही कही जायेगी कि रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भूमिगत आग की जांच फिर से सिंफर से कराने का आश्वासन दिया है. पार्षद डॉ विनोद गोस्वामी कहते हैं, ‘आंदोलन के दौरान आम जनता व खास लोगों का जुड़ाव ही इसकी सफलता बयां करता है. हम मांग पर अब भी कायम हैं. चाहे कुछ हो जाये, पीछे नहीं हटने वाले.’
पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने भी भरी थी हुंकार
24 जुलाई को महाधरना में राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन पहुंचे और सरकार के खिलाफ हुंकार भरी. उन्होंने बंदी को साजिश करार दिया था. वहीं पूर्व गृह राज्य मंत्री व कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह 12 सितंबर को कतरास पहुंचे. वह महाधरना स्थल पहुंच केंद्र की भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किये.
कुछ यूं बनी अांदोलन की फिजां
वैसे महाधरना की शुरुआत से पूर्व ही विरोध के स्वर बुलंद हो चुके थे. हर वर्ग में नाराजगी थी, इसलिए इससे जुड़े किसी भी आंदोलन में लोगों का भरपूर प्यार व साथ मिला. पूर्व विधायक ओपी लाल ने निचितपुर स्टेशन पर 16 जून को राजधानी एक्सप्रेस रोकने की घोषणा की. हालांकि 15 जून को ही श्री लाल व पूर्व विधायक जलेश्वर महतो सहित दर्जनाधिक नेता हिरासत में ले लिये गये. विरोध यहीं खत्म नहीं हुआ. कतरास विकास मंच के अध्यक्ष नीतेश ठक्कर ने 440 लोगों के इच्छा-मृत्यु के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट को भेजा, जहां इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया गया.
ओपी लाल ने खड़ा किया आंदोलन
सबसे पहले आंदोलन का बिगुल फूंकने वालों में पूर्व मंत्री ओपी लाल थे. उन्होंने निचितपुर रेलवे हॉल्ट पर 16 जून को रेल चक्का जाम की घोषणा की थी. श्री लाल बाइक से पहुंचे, मगर वहां प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो, जिप सदस्य सुभाष राय को भी पुलिस ने पकड़ लिया. श्री लाल द्वारा छेड़े गये आंदोलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने जान फूंकी. 16 जून को आंदोलनकारियों ने धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस पर पथराव कर कई यात्रियों को चोटिल कर दिया. मालगाड़ी के दो चालकों को घायल कर दिया गया. इसके बाद ही कतरास में रेल परिचालन बंद होने के विरोध में बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ.

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