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प्राचीन मंदिरों के संरक्षण को प्राथमिकता दें : सेठी

पुरातत्वविज्ञों व जैन समाज के प्रमुख व्यक्तियों के बीच आयोजित हुई परिचर्चा कोलकाता. पश्चिम बंगाल की प्राचीन पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन तथा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के मंदिरों की सुरक्षा अौर बांकुड़ा जिले के पारसनाथ हिल स्थल के जीर्णोद्धार हेतु आयोजित विशेष परिचर्चा में श्री भा. दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के […]

पुरातत्वविज्ञों व जैन समाज के प्रमुख व्यक्तियों के बीच आयोजित हुई परिचर्चा
कोलकाता. पश्चिम बंगाल की प्राचीन पुरातत्व धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन तथा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के मंदिरों की सुरक्षा अौर बांकुड़ा जिले के पारसनाथ हिल स्थल के जीर्णोद्धार हेतु आयोजित विशेष परिचर्चा में श्री भा. दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष निर्मल कुमार सेठी ने कहा कि हमें, समाज को तथा सरकार को प्राचीन पुरातत्व महत्व की संपदा के संरक्षण-संवर्धन व जीर्णोद्धार को प्राथमिकता देनी चाहिए.
उन्होंने भारत के साथ-साथ विदेशों में भी उपलब्ध जैन पुरातत्व धरोहरों की जानकारी देते हुए कहा कि हम विश्व पटल पर जैन संस्कृति को पुन: प्रतिष्ठापित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें समाज का सहयोग अपेक्षित है. इस अवसर पर भा. दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा -पश्चिम बंगाल के महामंत्री अजीत पाटनी ने संस्था द्वारा किये जा रहे जीर्णोद्धार कार्यों का विस्तृत विवरण दिया. उन्होंने कहा कि श्री सेठी के नेतृत्व में अब तक भारत के लगभग 490 प्राचीन तीर्थों का जीर्णोद्धार कराया जा चुका है. उन्होंने बताया कि तेलकूपि गांव में जहां कभी 22 जैन मंदिर हुआ करते थे. दामोदर नदी पर बांध बनाने के समय अभी सभी मंदिर जल में समाहित है. वर्तमान में तीन मंदिर ही बचे है.
इन तीनों मंदिरों को बचाना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है. श्री पाटनी के अनुसार बांकुड़ा जिले में अत्यंत रमणीक दो नदियों केसंगम स्थल पर हरी-भरी वादियों के बीच पारसनाथ हिल के नाम से पुरातत्व संपदा की अनमोल धरोहर है जहां तीर्थंकरों की दो प्रतिमाएं एक वेदी पर विराजमान है तथा एक बड़ी पारसनाथ भगवान की मूर्ति चौबीसी सहित उपेक्षित पड़ी है.उन मूर्तियों के संरक्षण -संवर्धन व जीर्णोद्धार कीअविलम्ब आवश्यकता है. पुरातत्वविज्ञ फणीकांत मिश्रा ने कहा कि प्राचीन पुरातत्व संपदा की सुरक्षा करना सच्चा कर्तव्य है.
उन्होंने जैन धरोहरों की सुरक्षा में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया. भा. दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के कार्याध्यक्ष राजकुमार सेठी, पश्चिम बंगाल शाखा के अध्यक्ष अनिल बड़जात्या, संरक्षक कैलाश बड़जात्या, संरक्षक भागचंद पहाड़िया, श्रुत संरिक्षणी महासभा के अध्यक्ष भागचंद कासलीवाल, महावीर सेठी (सिलचर), विकास छाबड़ा (सीए), डॉ चिरंजीलाल बगड़ा, दयाचंद बड़जात्या, दिनेश गंगवाल, सुरेंद्र जैन, हुलासचंद सेठी के साथ साथ पुरुलिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नचिकेता बंद्योपाध्याय, इतिहासकार सुभाषचंद्र राय, यादवपुर विश्वविद्यालय की मधुमिता चट्टोपाध्याय, प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी के रुपेंद्र कुमार बर्मन, रेखा महतो, श्रावस्ति भट्टाचार्य आदि ने भी इस विषय पर अपने सुझाव दिये.

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