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आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ी, दर में कटौती, नीतिगत सुधारों को बढाने का दबाव

नयी दिल्ली : आर्थिक क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन को दर्शाते हुये चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पडकर सात प्रतिशत रह गयी, वहीं जुलाई में बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि तीन महीने के निम्न स्तर 1.1 प्रतिशत रह गयी. ऐसे में आर्थिक वृद्धि बढाने के लिये एक बार […]

नयी दिल्ली : आर्थिक क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन को दर्शाते हुये चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पडकर सात प्रतिशत रह गयी, वहीं जुलाई में बुनियादी उद्योगों की उत्पादन वृद्धि तीन महीने के निम्न स्तर 1.1 प्रतिशत रह गयी. ऐसे में आर्थिक वृद्धि बढाने के लिये एक बार फिर रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती और अहम नीतिगत सुधारों को आगे बढाने का दबाव बढ गया है.

भारत ने पिछली तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान 7.5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल कर चीन को पीछे छोड दिया था, लेकिन चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून की पहली तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि सात प्रतिशत और सकल मूल्य वर्धन (जीवीए: 7.1) प्रतिशत रहा.
पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि हालांकि पिछले साल की पहली तिमाही की 6.7 प्रतिशत वृद्धि से उंची रही लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा आर्थिक गतिविधियों को मापने के लिये शुरु की गई नई अवधारणा जीवीए वृद्धि पिछले साल के 7.4 प्रतिशत के मुकाबले कमजोर पडकर 7.1 प्रतिशत रह गयी.
दूसरी तरफ इस्पात उत्पादन में गिरावट और कोयला तथा रिफाइनरी उत्पादों की कमजोर उत्पादन वृद्धि से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में धीमी पड गयी. इन उद्योगों को देश के समूचे औद्योगिक उत्पादन में करीब 38 प्रतिशत योगदान है. जुलाई में बुनियादी उद्योग क्षेत्र की वृद्धि 1.1 प्रतिशत रही जो कि जून में 3 प्रतिशत रही थी. इन आंकडों को देखते हुये दूसरी तिमाही का वृद्धि परिदृश्य भी बहुत उत्साहवर्धक नहीं लगता.

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