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राज्य में जमीन का नये सिरे से होगा वर्गीकरण

कौशिक रंजन पटना : राज्य में जमीन का नये सिरे से वर्गीकरण किया जायेगा. नये वर्गीकरण के आधार पर ही जमीन की रजिस्ट्री होगी और एमवीआर (रजिस्ट्री की न्यूनतम दर) का निर्धारण किया जायेगा. निबंधन विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इसे जल्द ही कैबिनेट के पास भेजा जायेगा. कैबिनेट की मंजूरी […]

कौशिक रंजन
पटना : राज्य में जमीन का नये सिरे से वर्गीकरण किया जायेगा. नये वर्गीकरण के आधार पर ही जमीन की रजिस्ट्री होगी और एमवीआर (रजिस्ट्री की न्यूनतम दर) का निर्धारण किया जायेगा. निबंधन विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इसे जल्द ही कैबिनेट के पास भेजा जायेगा.
कैबिनेट की मंजूरी के बाद नयी व्यवस्था को लागू कर दिया जायेगा. इसमें राज्य की सभी तरह जमीन को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों- शहरी, ग्रामीण एवं पटना मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में बांटा जायेगा. इसके बाद इन तीनों श्रेणियों के अंतर्गत जमीन को 6-7 उपश्रेणियों में विभाजित किया जायेगा. यह व्यवस्था पूरे राज्य में जमीन के वर्गीकरण में समरूपता लाने के लिए की जा रही है. सभी जिलों में समान वर्गीकरण लागू हो सकेगा.
नयी एमवीआर दरें होंगी तय : राज्य में जमीन का वर्गीकरण होने के बाद वर्ष 2017 में एमवीआर का निर्धारण नये वर्गीकरण के आधार पर किया जायेगा. सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में एमवीआर का निर्धारण करने के लिए गठित कमेटी नयी दर इसी वर्गीकरण के आधार पर करेगी. वर्गीकरण पर सरकार के स्तर से अंतिम सहमति प्राप्त होने के बाद सभी डीएम को जमीन के नये वर्गीकरण से संबंधित सूचना जारी कर दी जायेगी. हालांकि, एमवीआर निर्धारण का काम दिसंबर या जनवरी 2017 से ही शुरू होगा.
अभी 12 से 57 तरह की जमीन राज्य में
वर्तमान में अलग-अलग जिलों में जमीन की दर्जनों श्रेणियां हैं. पूर्वी चंपारण जिले में सबसे ज्यादा जमीन की 57 श्रेणियां हैं, तो कटिहार में 38 वर्गों में जमीन बंटी हुई है. शेष अन्य सभी जिलों में जमीन का 12 से 15 तरह का वर्गीकरण हैं. इससे रजिस्ट्री दर या एमवीआर के निर्धारण में समस्या होती है. रजिस्ट्री की दर अलग-अलग तरह की जमीन के लिए अलग-अलग होती है. किसी जिलों में समरूपता नहीं है.
इस तरह होगा जमीन का वर्गीकरण :-
क. ग्रामीण क्षेत्र-
1. व्यावसायिक भूमि- इसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है.
2. औद्योगिक भूमि- उस क्षेत्र या भूखंड, जिसे राज्य सरकार या केंद्र सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया है या इस पर कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान संचालित है.
3. आवासीय भूमि- ऐसी भूमि, जहां गांव बसा है. उस गांव के अंतिम घर से चारों ओर 200 मीटर का क्षेत्र भी आवासीय भूमि माना जायेगा.
4. विकासशील भूमि- नेशनल व स्टेट हाइवे की दोनों तरफ की पट्टी के 100 मीटर तक का क्षेत्र विकासशील श्रेणी में आयेगा. मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड (एमडीआर) की दोनों तरफ की पट्टी का 50 मीटर के क्षेत्र को विकासशील घोषित किया जायेगा. इसके अतिरिक्त अगर कोई अन्य सड़क गांव से गुजरती है, तो उससे सटी भूमि भी विकासशील क्षेत्र मानी जायेगी.
5. सिंचित भूमि- ऐसी भूमि जहां सरकारी या निजी स्रोत से सिंचाई की व्यवस्था हो और एक से अधिक फसल की उपज होती हो.
6. असिंचित भूमि- ऐसी भूमि, जिसमें साल में एकमात्र फसल होती हो.
7. बलुआही, पथरीली, दियारा एवं चंवर भूमि- ऐसी भूमि, जिसमें या तो पानी हमेशा जमा रहने के कारण अथवा अन्य कारणों से किसी प्रकार की फसल नहीं उपजायी जा सकती हो.
ख. शहरी क्षेत्र-
1. प्रधान सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि- नगर पालिका/नगर निगम/नगर पर्षद/नगर पंचायत की तरफ से अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर जो भूमि या खेसरा संख्या प्रधान सड़क की तरफ खुलती है. चाहे मकान हो या खाली भूमि हो, व्यावसायिक श्रेणी की भूमि मानी जायेगी. ऐसी भूमि के लिए व्यावसायिक एवं आवासीय दर एक ही होगी.
2. मुख्य सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि- नगर पालिका/नगर निगम/नगर पर्षद/नगर पंचायत की तरफ से अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर जमीन की दो अलग-अलग श्रेणियां होंगी. ऐसी सड़कें, जो बाजार से होकर गुजरती हैं या ऐसी सड़कें, जो बाजार होकर नहीं गुजरती हैं. बाजार से होकर गुजरनेवाली सड़क का मूल्यांकन ज्यादा होगा. इस श्रेणी की भूमि के लिए व्यावसायिक एवं आवासीय दर एक ही होगी.
3. औद्योगिक भूमि- अगर शहरी क्षेत्र में भूमि का उपयोग उद्योग लगाने के लिए या औद्योगिक भूमि के रूप में चिह्नित की गयी हो या इस भूमि पर उद्योग लगा हो, इस जमीन को औद्योगिक श्रेणी की भूमि मानी जायेगी.
4. शाखा सड़क व्यावसायिक/आवासीय भूमि- नगर पालिका/नगर निगम/नगर पर्षद/नगर पंचायत की तरफ से अधिसूचित प्रधान सड़क एवं मुख्य सड़क से निकलनेवाली शाखा सड़क के किनारे मौजूद भूमि को शाखा सड़क व्यावसायिक/आवासीय माना जायेगा. दोनों तरह की जमीन को चिह्नित कर अलग-अलग दरों का निर्धारण किया जायेगा.
5. अन्य सड़क (गली) आवासीय भूमि- नगर पालिका/नगर निगम/नगर पर्षद/नगर पंचायत की तरफ से अधिसूचित सड़कों की सूची के आधार पर जो भूमि अन्य सड़क (गली) पर मौजूद है, उसे अन्य सड़क (गली) आवासीय भूमि माना जायेगा. इस मार्ग पर चार चक्का वाहन नहीं गुजर सकते हैं.
6. विकासशील भूमि- शहरी क्षेत्र की ऐसी जमीन, जो वर्तमान में तो आबादी क्षेत्र से निकट है, लेकिन पूरी तरह से कृषि कार्य हो रहा है. लेकिन, भविष्य में विकास होने की संभावना है. उसे विकासशील भूमि की श्रेणी में रखा जायेगा. शहरी सीमा से एक किमी की परिधि तक का क्षेत्र विकासशील श्रेणी में आयेगा.
ग. पटना मेट्रोपोलिटन क्षेत्र की भूमि का वर्गीकरण-
जब तक नगर विकास एवं आवास विभाग की तरफ से पटना महानगर क्षेत्र के लिए प्रस्तावित अधिसूचना जारी नहीं होती है, तब तक पटना मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के लिए उपरोक्त श्रेणी (ख) के अनुसार ही वर्गीकरण किया जायेगा.

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