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बिहार में बाढ़ : बूढ़ी गंडक में उफान, घट रही कोसी

उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति अब भी भयावह बनी हुई है. जबकि सीमांचल इलाके के हालात में अब सुधार शुरू हो गया है. रजवाड़ा बांध टूटने से मुजफ्फरपुर शहर और बूढी गंडक व करेह के बांध से रिसाव होने से समस्तीपुर पर खतरा बढ़ गया है. पूर्वी चंपारण के मधुबन के कई गांवों में […]

उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति अब भी भयावह बनी हुई है. जबकि सीमांचल इलाके के हालात में अब सुधार शुरू हो गया है. रजवाड़ा बांध टूटने से मुजफ्फरपुर शहर और बूढी गंडक व करेह के बांध से रिसाव होने से समस्तीपुर पर खतरा बढ़ गया है.
पूर्वी चंपारण के मधुबन के कई गांवों में दोबारा पानी घुस गया.
दरभंगा के बहेड़ी में जीवछ नदी का तटबंध टूट गया. समस्तीपुर-दरभंगा रेल खंड पर परिचालन बंद है.
जहां पानी कम हो रहा है, वहां बीमारियां फैलने लगी हैं.
प्रशासन ने ऐसे इलाकों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराना शुरू कर दिया है.
बिहार में बाढ़ एक तरफ जहां लोगों को राहत दे रही है, वहीं दूसरी तरफ मुसीबत में डाल रही है. गोपालगंज में जहां पानी स्थिर है, वहीं कुछ इलाकों से पानी कम होने लगा है. ऐसे इलाकों में बीमारियां फैलने की आशंका बढ़ गयी है. प्रशासन इसके लिए जरुरी कदम उठा रहा है.
छपरा में स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है. सोमवार को भी तीन
लोगों की बाढ़ के चपेट में आकर मौत हो गयी. इससे पहले भी छह लोगों की मौत हो चुकी है. सीवान में सरयू नदी खतरें के निशान के ऊपर बह रही है.
सरयू कभी भी तबाही मचा सकती है. वहीं पूर्वी चंपारण के मधुबन के कई गांवों में दोबारा पानी घुस गया है. दरभंगा के बहेड़ी में जीवछ नदी का तटबंध टूट गया. समस्तीपुर-दरभंगा रेल खंड पर ट्रेनों का परिचालन अब भी बंद है. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार बाढ़ से मरने वालों की संख्या 304 हो गयी है. पिछले 24 घंटे में आधा सैकड़ा से अधिक लोगों की मौत हुई है. अब तक बाढ़ से सबसे अधिक 57 लोगों की मौत अररिया जिले में हुई है, जबकि सीतामढ़ी में 31 की मौत हो चुकी है.
मुजफ्फरपुर शहर के पांच
वार्ड के दो दर्जन मोहल्लों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. प्रशासन ने वार्ड संख्या 45, 46, 47, 48 व 49 के लोगों को सुरक्षित व ऊंचे स्थान पर चले जाने के लिए रविवार की रात माइकिंग करायी. देर रात सोडा गोदाम व बड़ी कोठिया बांध से भी रिसाव भी शुरू हो चुका था. इधर, बाढ़ का पानी लगातार पूरब व दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है.
बाढ़ से तो राहत िमली, लेकिन सरकार
की ओर से दी जा रही राहत अभी तक लोगों को नहीं िमली है. िजसके कारण उनका गुस्सा फूट रहा है. मझौिलया में लोगों ने अंचल कार्यालय पर प्रदर्शन िकया, तो योगापट्टी में बीडीओ और सीओ को बंधक बना िलया. चनपटिया में डूबने से एक बच्चे की मौत हो गयी. बाढ़ग्रस्त इलाकों में अब भी यातायात बहाल नहीं हो सका है. सरकारी स्तर पर सड़कों व पुिलयों को ठीक करने का काम हो रहा है.
उषा देवी अपने नौ वर्षीय पुत्र विशाल के साथ मिल कर कोठिया बांध पर मचान बनाने की तैयारी कर रही है. बगल में मंझला बेटा अजीत (7) उन दोनों को काम करते देख रहा है. ऊषा के एक और पुत्र भी है उजाला (05). वह बांध पर ही कहीं खेल रहा था. कहां यह मां को भी पता नहीं था. पति अशोक सहनी बांध से महज 30 मीटर की दूरी पर स्थित अपने घर में अब भी पड़े हैं. पूछने पर पता चला पिछले चार-पांच माह से बीमार है. पहले पीलिया ने पछाड़ा, फिल मलेरिया ने. काम करने के लायक नहीं है, सो उषा ही मनरेगा मजदूर के रूप में काम कर घर चला रही है. पिछले चार माह में पाई-पाई जमा कर उसने जो थोड़ा बहुत कमाया था, वह आज बांध पर मोटरी में बंधा पड़ा है.
Rs 100 देकर नदी में जा रहे एक किलोमीटर
पिछले पांच दिनों से कोठिया बांध पर ही लोग शरण लिये हुए हैं. जलावन, अनाज सहित अन्य समान अब भी घर पर ही है, जिसे ऊंचा मचान बनाकर उस पर रखा गया है. वे छोटी कोठिया के मछुआरों भाड़ा पर लेकर प्रतिदिन अपने घर जाते हैं और वहां जरूरी का सामान लाते हैं. एक खेप के लिए उन्हें सौ रुपये नाव के भाड़े के रूप में देने पड़ते हैं.
िजले में बाढ़ से राहत िमलने के बाद अब सरकार की ओर से लोगों को राहत पहुंचाने का काम जारी है, लेिकन अभी भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर लोगों को राहत नहीं िमल सकी है. लोग प्रशासन के लोगों से गुहार कर रहे हैं कि उनके यहां तत्काल मदद भेजी जाये. लोग अपने-अपने परिचितों या पहुंच वाले लोगों से भी सिफारिश कर रहे हैं.
पूर्वी चंपारण के बाढ़ प्रभावित 21 प्रखंडों में बाढ़ का पानी घटने के साथ प्रशासनिक, सामाजिक व राजनीतिक स्तर पर राहत कार्य तेज हो गया है.
सोमवार को तीसरे दिन बंजरिया, सुगौली, मोतिहारी सदर में वायु सेना के हेलीकॉप्टर से छह बार एयर ड्रॉपिंग किया गया. कम्युनिटी किचेन से लोगों को राहत पहुंचाया जा रहा है. लखौरा, बंजरिया, ढाका व शहर के अगरवा मोहल्ला में डूबने से चार लोगों की मौत हो गयी. ढाका से लावारिस शव बरामद किया गया. इधर, आक्रोशित बाढ़ पीड़ितों ने राहत के लिए पीपराकोठी में सड़क जाम किया. वहीं बंजरिया प्रखंड पर प्रदर्शन कर नाराजगी व्यक्त की. शहर के ऊपरी इलाके से बाढ़ का पानी उतर रहा है, जो निचले इलाके यथा बड़ा बरियारपुर, अगरवा, न्यू अगरवा, गोपालपुर आदि में स्थिर है.
पूसा के साथ समस्तीपुर में लगातार
दबाव बना हुआ है. िसंिघया में बूढ़ी
गंडक का पानी लगातार बढ़ रहा है. इससे लोगों में दहशत है. नये प्रखंडों िशवाजीनगर, िसंिघया और कल्याणपुर में भी बाढ़ का असर िदखने लगा है. यहां के बांधों व स्लुइस गेट पर पानी का दबाव िदख रहा है. प्रशासन की ओर से लगातार चौकसी बरती जा रही है.
िजले के सदर, बेनीपुर व िबरौल
अनुमंडलों में बाढ़ की िस्थति गंभीर है.
शहर के दोनार औद्योिगक केंद्र में
पानी भर गया है. साथ ही िबजली के
उपकेंद्र में भी पानी बह रहा है. ननुथरवा में भी िस्थति ठीक नहीं है. यहां बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन प्रशासन के प्रति लोगों की नाराजगी देखी जा सकती है.
राहत शिविरों से घर लौटने लगे हैं पीिड़त
जल स्तर में कमी आने के बाद लोग वापस अपने घरों को लौटने लगे हैं.
सरकार द्वारा संचालित राहत शिविरों में 50 हजार से अधिक लोगों ने शरण ले रखी है. जिन इलाकों में पानी कम होने लगा है, वहां लोग अब धीरे-धीरे अपने घरों की ओर जाने लगे हैं. लेकिन वहां भी स्थिति काफी खराब है.
जिले के 12 प्रखंड के 144 पंचायत के 772 गांव की 10.90 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ से दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. प्रशासनिक स्तर पर राहत का कार्य जारी है. बायसी के इलाके में जल स्तर में कमी आयी है. सरकारी स्तर पर राहत केंद्रों में कई जगह भोजन मिलने से भी लोगों की परेशानी कम हुई है. घटते जल स्तर के साथ लोगों को खाने की चिंता सताने लगी है.
पानी निकलने के बाद शहर में हर प्रकार की सुविधा मिल जा रही है, लेकिन गांव की हालत यह है कि उनके खाते में पैसे रहते हुए भी उन्हें बैंक से पैसे नहीं मिल रहे हैं. पैसे के अभाव में सामान नहीं मिल रहे हैं. यदि सामान मिल भी रहा है, तो दो गुने व तीन गुने दाम पर. गांवों में धीरे-धीरे सामान का स्टॉक घटता जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के पेट्रोल पंपों में पानी घुस गया है या फिर उनका स्टॉक अब निल होता जा रहा है.
बाढ़ ने एक बार फिर सौरबाजार, सोनवर्षा, पतरघट, बनमा इटहरी व सलखुआ में तबाही मचायी. अब पानी निकला तो कटाव ने परेशान करना शुरू कर दिया. फसलें डूब गयीं तो मवेशियों के लिए चारे का संकट है. नवहट्टा प्रखंड का केदली गांव कटाव के मुहाने पर है. लोग घर छोड़ कर दूसरे स्थान पर जा रहे हैं. हालांकि तटबंध के अंदर की स्थिति में कोई सुधार नहीं है. बाढ़ में फंसे कुछ लोग घर-द्वार छोड़ कर बाहर निकल तो गए हैं. लेकिन उन्हें भी घर व संपत्ति की चिंता सता रही है. जिला प्रशासन सलखुआ प्रखंड के चिड़ैया व बहोरवा, सिमरी बख्तियारपुर के बेलवाड़ा एवं बनमा इटहरी के सुगमा में बाढ़ राहत शिविर चला रहा है.
बाढ़ का पानी निकल गया है, लेकिन परेशानी पीछा नहीं छोड़ रही है. मरौना प्रखंड में कटाव तेज हो गया है. मरौना के रामचंद्र सदा कहते हैं बाबू यहां सब कुछ कोसी के रहमो-करम पर ही निर्भर है. किसानों को प्रकृति की मार मानो भिखारी बना दिया है. सबसे बड़ा सवाल है कि बाढ़ में सब कुछ गवां चुके लोगों की अब घर-गृहस्थी कैसे चलेगी? इसका जवाब नहीं मिल रहा है.
आलमनगर और चौसा की स्थिति में सुधार नहीं है. अरबों खर्च कर बनाया गया बाढ़ आश्रय स्थल किसी को आसरा नहीं दे सका. आलमनगर के रतवारा, सोनामुखी, सुखार घाट, गंगापुर आदि क्षेत्रों की स्थिति गंभीर है. कोसी के कटाव का शिकार हो चुके गांव मुरौत के विस्थापित फिर से विस्थापन के लिए बाध्य हैं. चौसा के फुलौत में भी स्थिति ठीक नहीं है. हालांकि राहत की बात यह है कि कोसी में पानी का बहाव बराज पर कम होता जा रहा है.
कटिहार के सात प्रखंडों की डेढ़ लाख की आबादी अब भी बाढ़ प्रभावित है. पानी घटा तो जरूर है लेकिन नये इलाकों में फैल रहा है. मनिहारी प्रखंड की पंचायतें तो बाढ़ से प्रभावित थी हीं, रविवार को मनिहारी शहर में भी पानी घुस गया.
शहर के चरवाहा विद्यालय, फार्म नया टोला, बलदियाबारी, गांधी टोला, सिंगल टोला, मारा लाइन आदि में बाढ़ का पानी से लोग परेशान हैं. महानंदा नदी के बाढ़ के तेज रफ्तार से मनिहारी-अमदाबाद मुख्य सड़क बिल्कुल बाधित हो गया हैं. मनिहारी के बलदियाबाड़ी, बाबुपूर, दीनानाथ गुप्ता के बगीचा के समीप, गुआगाछी गैस एजैन्सी मुख्य सड़क पर पानी बहने से संपर्क अमदाबाद से टूट गया है.
किशनगंज शहर से पानी निकल गया है, लेकिन ग्रामीण इलाके में अब भी कई जगहों पर पानी जमा है. लोग राहत शिविर छोड़ कर अपने-अपने गांव लौट गये हैं. गांव की स्थिति भयावह है. घर गिर गये हैं तो सड़कें टूट गयी है. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें. गाछपाड़ा के बासित अली की मानें तो अभी तक कोई पूछने भी नहीं आया है. कमारमनी प्राथमिक विद्यालय और मस्जिद में डेरा डाले सैकड़ों परिवारों में सरकारी राहत व्यवस्था के प्रति असंतोष है.
इधर,सिसवन व दरौली में कहर ढाने को बेताब सरयू
सरयू कहर बरपाने को बेताब है. केंद्रीय जल आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक सरयू नदी का जल स्तर सिसवन में खतरे के निशान से 60 सेमी ऊपर है. रविवार की दोपहर नदी का जल स्तर 57.53 मीटर रिकॉर्ड किया गया. सरयू का सैलाब सिसवन में शांत नहीं हो रहा है. पिछले 24 घंटे में नदी के जल स्तर में 11 सेमी के इजाफा होने से बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गयी है. वहीं दरौली में भी 7 सेमी जल स्तर में इजाफा देखने को मिला.
बाढ़ रूपी त्रासदी के दर्द ने लोगों को अपने आगोश में ले लिया है. खेत और गांव पानी में डूबे हैं. लोगों की जिंदगी तटबंध और सड़कों पर बीत रही है. अब भी 30 हजार से अधिक लोग बाढ़ के पानी में घिरे हुए हैं. पानी में घिरे इन लोगों के लिए एनडीआरएफ के जवान देवदूत बने हैं. फंसे लोगों को निकालना और बीमार को स्वास्थ्य कैंप पहुंचाने में ये लगे हैं. तटबंध और सड़क पर शरण लिये लोग राहत की बाट जोह रहे हैं.
जिले के तरैया थाना व एसएसबी कैंप में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया. सोमवार को भी बाढ़ के पानी में डूबने से तीन लोगों की मौत हो गयी. इसके पहले रविवार को पांच लोगों की मौत बाढ़ के पानी में डूबने से हो गयी. जिले में दो दिनों के अंदर बाढ़ की तबाही ने आठ लोगों की जान ले ली. जिले के तरैया में सोमवार को बाढ़ ने सबसे अधिक तबाही मचायी. थाना तथा एसएसबी कैंप में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से स्थिति भयावह हो गयी.

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