17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ड्रैगन की बर्बरता : कैदियों के पेट से खुलेआम किडनी निकाल रहा है चीन और मौत से पहले जिंदा आदमी का दिल

चीन में वर्ष 1984 से ही मौत की सजा पाए कैदियों के शरीर से आतंरिक अंगों को निकालना कानूनी तौर पर वैध है, लेकिन अब एक मानवाधिकार समूह की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन में कुछ कैदियों की मौत से पहले ही उनके शरीर से आवश्यक स्पेशल ऑर्गन्स को निकालने का घिनौना कृत्य किया जा रहा है.

नई दिल्ली : चीन अपनी बर्बरता के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात है. अभी पिछले साल कोरोना संक्रमणग्रस्त मरीजों को स्टील के केबिन में कैद किए जाने के बाद अब खबर यह आ रही है कि वह अपने कैदियों के पेट से खुलेआम किडनी निकाल ले रहा है. उसकी बर्बरता की कहानी यहीं पर समाप्त नहीं हो जाती है. खबर यह भी है कि वह कैदियों की मौत से पहले से उनका दिल भी निकाल ले रहा है. यानी कुल मिलाकर यह कि मानवता का दुश्मन चीन मौत से पहले ही अपने कैदियों के शरीर से स्पेशल ऑर्गन निकालकर उनकी जान ले रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि वह उन कैदियों के शरीर से स्पेशल ऑर्गन निकाल रहा है, जिन्हें मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा दी गई है.

डोनर्स की कमी के बावजूद कम वक्त में ऑर्गन्स होते हैं ट्रांसप्लांट

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन में वर्ष 1984 से ही मौत की सजा पाए कैदियों के शरीर से आतंरिक अंगों को निकालना कानूनी तौर पर वैध है, लेकिन अब एक मानवाधिकार समूह की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन में कुछ कैदियों की मौत से पहले ही उनके शरीर से आवश्यक स्पेशल ऑर्गन्स को निकालने का घिनौना कृत्य किया जा रहा है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन में सबसे कम समय में शरीर के अंगों को ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है, जबकि वहां पर आतंरिक अंगों का दान करने वालों की भारी कमी है.

ब्रेन डेड घोषित करके दी जाती है मौत

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूनिवर्सिटी के मैथ्यू रॉबर्ट्सन ने अपने रिसर्च में यह पाया कि चीन की कुछ जेलों में बंद कैदियों को जिंदा रहते ऐसे ऑपरेशन किए गए, जिसके जरिए उनके शरीर से ऑर्गन्स निकाले गए. यूनिर्वसिटी की इस रिपोर्ट को अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन में प्रकाशित किया गया है, जिससे चीन के बर्बर घिनौनी कृत्य का मामला सामने आया है. इसमें पाया गया है कि कैदियों को ब्रेन डेड बताकर उनके शरीर से किडनी और दिल निकाल लिए जाते हैं. इनेमें से कई कैदियों का ऑपरेशन ब्रेन डेड घोषित किये बगैर ही कर दिया गया.

सबसे पहले 2019 में हुआ चीन की बर्बरता का खुलासा

मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई का सबसे पहले वर्ष 2019 में खुलासा किया गया. इसके बाद एनटीडी न्यूज ने 26 अप्रैल 2021 को भी इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. एनटीडी न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 2020 की जुलाई में पूर्वी चीन के चार डॉक्टरों को उनकी मौत के बाद अस्पताल के एक मरीज ली पेंग के लीवर और दो किडनी को अवैध रूप से निकालने में उनकी भूमिका के लिए दोषी पाए जाने के बाद 12 से 28 महीने के बीच जेल की सजा सुनाई गई थी.


लाश भी लेने नहीं आते फांसी की सजा पाए लोगों के परिजन

मीडिया की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि चीन में वर्ष 1984 में ऐसा कानून बनाया गया, जिसमें जिन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई हो, उनकी लाश को कोई लेने भी नहीं आता, ताकि उनके शरीर से किडनी और लीवर निकाला जा सके. 2019 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने पाया कि कैदियों को मौत से पहले ही मार दिया जा रहा है. बिना फांसी दिए ही उनके शरीर से किडनी और दिल निकाल लिये जा रहे हैं.

Also Read: चीन में कोरोना से हाहाकार, एक दिन में मिले सबसे ज्यादा मरीज, महामारी से निबटने के लिए उतारी गई सेना
चीनी सेना के दो अस्पतालों की भूमिका संदिग्ध

अमेरिका स्थित विश्व संगठन ने फालुन गोंग (डब्ल्यूओआइपीएफजी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कैदियों के शरीर से जबरन सर्जरी करने ऑर्गन्स निकालने के मामले चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के दो अस्पताल नंबर 302 हॉस्पिटल और टियांजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. डब्ल्यूओआइपीएफजी के अनुसार, चीनी सेना पीएलए के अस्पताल ने बड़ी संख्या में लीवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की है. डब्ल्यूओआइपीएफजी के अनुसार, इन सर्जरी की संख्या अप्रैल 2005 और अप्रैल 2010 के बीच 310 और मई 2010 और दिसंबर 2012 के बीच 146 तक पहुंच गई थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें