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पाकिस्तान के लोगों में है मोदी का डर?

।। हारून राशिद ।। आम लोग भाजपा के विरोध में, तो विशेषज्ञ मानते हैं पाक के लिए बेहतर इसलामाबाद : पाकिस्तान के न्यूज चैनलों पर आतंकवाद बड़ा मुद्दा रहता है. दो-एक चैनल पड़ोसी देश भारत से आयी किसी बड़ी खबर पर भी बात कर लेता है. पाकिस्तान में फिलहाल भारत में होनेवाले आम चुनाव पर […]

।। हारून राशिद ।।

आम लोग भाजपा के विरोध में, तो विशेषज्ञ मानते हैं पाक के लिए बेहतर

इसलामाबाद : पाकिस्तान के न्यूज चैनलों पर आतंकवाद बड़ा मुद्दा रहता है. दो-एक चैनल पड़ोसी देश भारत से आयी किसी बड़ी खबर पर भी बात कर लेता है. पाकिस्तान में फिलहाल भारत में होनेवाले आम चुनाव पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है. लेकिन, जब भी कोई भारतीय राजनेता जैसे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पाकिस्तान विरोधी कोई बात करते हैं, तो उस पर यहां चर्चा होती है.

गुजरात दंगों और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त भाषा के उपयोग की वजह से मोदी को लेकर पाकिस्तान में अच्छी राय नहीं है. लाहौर के कुछ लोगों की धारणा है कि वह बहुत विवादास्पद, मुसलमान विरोधी हैं, जिनके सत्ता में आने से भारत-पाक रिश्तों में प्रगति की उम्मीद नहीं है. लेकिन, पाकिस्तानी सरकार के करीबी समझे जानेवाले व धार्मिक सोच रखनेवाले पाकिस्तानी नेता, भाजपा नेताओं के पाकिस्तान विरोधी बयानों को वोट हासिल करने की एक कोशिश करार देते हैं.

पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक के बेटे और मुसलिम लीग (जिया) के अध्यक्ष एजाज उल हक कहते हैं कि कट्टरपंथी दृष्टिकोणवाले दल दोनों देशों के लिए बेहतर साबित हुए हैं. उनके (मोदी) के बयान न तो पाकिस्तान के पक्ष में हैं, न इसलाम के पक्ष में. बयानों का उद्देश्य सिर्फ चुनाव में वोट लेना ही है. साथ ही कहा कि यदि कट्टरपंथी दल सत्ता में आते हैं, तो यह समस्या का समाधान बेहतर तरीके से कर सकते हैं. अन्य दल अक्सर सोचते रह जाते हैं कि ऐसा किया, तो यह होगा और वैसा किया, तो वह होगा. अगर हालात बेहतर हैं, तो पानी और कश्मीर के मसलों को हल करना होगा.पाकिस्तान की एक बड़ी मजहबी पार्टी जमात-ए-इसलामी ने हमेशा से सख्त रवैया अपना रखा है. उसे किसी से कोई उम्मीद नहीं है.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अब्दुल कादिर बलूच कहते हैं कि पाकिस्तान सभी पड़ोसियों के साथ शांति से रहना चाहता है. किसी के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता. भारत में जो भी दल सत्ता में आये, वह फैसला करे कि क्या वह अच्छे संबंध रखना चाहेंगे? अगर वह युद्ध करना चाहेंगे, तो हमें तैयार पायेंगे.पाकिस्तान में आम लोगों और राजनेताओं की इस सोच से विश्लेषक सहमत नहीं हैं.

पेशावर यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के निदेशक डॉक्टर हुसैन शहीद सुहरावर्दी ने कहा कि आम लोग सतही तौर पर बात करते हैं, जबकि शोधकर्ता मामले की गहराई को समझते हैं. भाजपा सरकार पाकिस्तान के लिए अच्छी साबित हुई है.

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