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‘यौन दासियों” पर वार्ता करेंगे दक्षिण कोरिया व जापान

सोल : दक्षिण कोरिया और जापान के विदेश मंत्री युद्धकालीन यौन दासी के मुद्दे पर आज बातचीत करेंगे और इसमें इस सवाल पर कुछ समाधान निकलने की उम्मीद है. दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री युन ब्युंग-से और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के बीच होने वाली बैठक से कुछ ही घंटे पहले दक्षिण कोरियाई मीडिया […]

सोल : दक्षिण कोरिया और जापान के विदेश मंत्री युद्धकालीन यौन दासी के मुद्दे पर आज बातचीत करेंगे और इसमें इस सवाल पर कुछ समाधान निकलने की उम्मीद है. दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री युन ब्युंग-से और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के बीच होने वाली बैठक से कुछ ही घंटे पहले दक्षिण कोरियाई मीडिया ने बताया कि ‘यौन दासियों’ के मुद्दे को सुलझाने के लिए दक्षिण कोरिया और जापान समझौते के शब्दों पर उलझे हुए हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने करीब दो लाख महिलाओं को यौन दासी बनाया था जिनमें से अधिकतर दक्षिण और उत्तर कोरिया से थीं और सेना में इन्हें ‘यौन दासी’ (कम्फर्ट वुमन) कहा जाता था.

दक्षिण कोरिया ने इसके लिए औपचारिक माफी की मांग करते हुए जीवित बचीं 46 कोरियाई महिलाओं को मुआवजा देने के लिए कहा है. जूंगैंग इलबो दैनिक ने दक्षिण कोरिया सरकार के एक सूत्र का हवाला देते हुए बताया, ‘दोनों पक्षों को इस कठिन मुद्दे पर सहमति के कुछ बिंदू दिखे हैं. युद्ध के दौरान यौन दासी बनाई गईं महिलाओं के प्रति जापानी सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है.’ दैनिक समाचार पत्र के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी एक पत्र लिखकर पीडितों के प्रति खेद जताएंगे जिसे दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में जापानी दूत द्वारा पीडितों में वितरित किया जाएगा.

सोमवार को तोक्यो के हानेदा हवाईअड्डा से रवाना होने से पहले जापान के विदेश मंत्री किशिदा ने इसे ‘बेहद महत्वपूर्ण’ बताते हुए बातचीत पर खुशी जतायी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहता हूं. यौन दासियों का मुद्दा बहुत मुश्किल है. इसके लिए मैं आखिरी मिनट तक अपना प्रयास करना चाहता हूं जो मैं कर सकता हूं.’ युन ने कल जापान के इस दावे को खारिज किया कि यौन दासी के मुद्दे को दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने के लिए की गई 1965 की संधि में सुलझा लिया गया था.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क गियूं-हाई ने कहा है कि संबंधों को मित्रवत करने की राह में यह मुद्दा अब तक ‘सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है.’ दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चो जूने-हायूक ने शनिवार को इन खबरों को ‘निरर्थक’ बताते हुए इन्हें खारिज कर दिया था.

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