काठमांडो : नेपाल का राजनीतिक भविष्य तय करने वाली संविधान सभा के चुनाव के लिए आज करीब 70 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. मतदान के दौरान कुछ स्थानों पर हुई हिंसा में कई लोग घायल हो गए.
साल 2008 के चुनाव के मुकाबले इस बार अधिक मतदान हुआ. सीपीएन माओवादी के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद इतनी बड़ी तादाद में लोगों ने मतदान किया. चुनाव आयुक्त अवधी प्रसाद यादव ने बताया, ‘‘शुरुआती रुझानों के अनुसार कुल 1.247 करोड़ मतदाताओं में से करीब 70 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है.’’ अधिकारियों ने कहा कि संविधान सभा के पिछले चुनाव में 61.7 फीसदी मतदान हुआ था. राजधानी काठमांडो में 75 फीसदी मतदान हुआ.
मतदान सुबह सात बजे आरंभ हुआ और शाम पांच बजे लगभग सभी 18,438 मतदान केंद्रों में मतदान खत्म हुआ. सरकार ने इन महत्वपूर्ण चुनावों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुल दो लाख सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की है, जिनमें 60 हजार सैनिक और एक लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी थे.काठमांडो में एक मतदान केंद्र के निकट विस्फोट तथा हिंसा की कुछ दूसरी घटनाओं में एक दर्जन लोग घायल हो गए. निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता वीर बहादुर राय ने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. कुछ स्थानों पर तोड़फोड़, विस्फोट, मतदान केंद्रों पर कब्जे और हिंसा की घटनाएं हुई हैं.
नेपाल के निर्वाचन आयोग ने कहा कि एकीकृत सीपीएन-माओवादी के कार्यकर्ताओं ने गोरखा जिले में मतदान केंद्रों पर कब्जा कर लिया और काठमांडो के जुमला उवं दैलेख इलाकों में झड़पों के कारण मतदान कुछ देर के लिए बाधित हो गया.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता शंकर कोइराला ने कहा कि मतदान को बाधित करने का प्रयास करने के मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. नेपाल में करीब एक दशक तक चले गृहयुद्ध के बाद वर्षों तक बाधित रही शांति प्रक्रिया इस चुनाव के जरिए पूरी हो सकेगी. संविधान सभा के ऐतिहासिक चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्रों के बाहर उत्साहित लोगों की कतारें देखी गईं. नेपाल में नया संविधान तैयार करने के उद्देश्य से, 601 सदस्यीय संविधान सभा का निर्वाचन होगा. इनमें से 240 सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष मतदान व्यवस्था के तहत होगा. 335 सीटों के लिए अनुपातिक मतदान होगा और बचे 26 सदस्यों का नामांकन सरकार की ओर से होगा. प्रत्यक्ष मतदान के नतीजे एक सप्ताह में आने की उम्मीद है, जबकि आनुपातिक मतदान के नतीजों के आने में एक पखवाड़े का समय लग सकता है.
माओवादियों ने संविधान सभा चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था और उन्होंने चुनाव बाधित करने के लिए हिंसक प्रदर्शन शुरु किया था. मोहन वैद्य के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी ने नौ दिवसीय देशव्यापी परिवहन हड़ताल का आह्वान किया है जो आज तक प्रभावी रहेगी. माओवादियों द्वारा शुरु किए गए गृहयुद्ध के वर्ष 2006 में समाप्त होने के बाद से देश में दूसरी बार यह चुनाव हो रहा है. गृह युद्ध की समाप्ति के बाद यह हिमालयी देश धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र में बदल गया.