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राष्ट्रमंडल को सजा देने वाले निकाय में नहीं बदला जाए: राजपक्षे

कोलंबो: श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की पृष्ठभूमि में राष्ट्रमंडल राष्ट्राध्यक्षों की बैठक :चोगम: के शुरु होने के साथ ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आज युद्धग्रस्त क्षेत्र रहे जाफना का ऐतिहासिक दौरा किया. इससे पहले मेजबान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि राष्ट्रमंडल को ‘‘सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले’’ निकाय के […]

कोलंबो: श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की पृष्ठभूमि में राष्ट्रमंडल राष्ट्राध्यक्षों की बैठक :चोगम: के शुरु होने के साथ ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आज युद्धग्रस्त क्षेत्र रहे जाफना का ऐतिहासिक दौरा किया. इससे पहले मेजबान राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा कि राष्ट्रमंडल को ‘‘सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले’’ निकाय के रुप में नहीं बदला जाना चाहिए.

साल 1948 में श्रीलंका की आजादी के बाद से कैमरन जाफना का दौरा करने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं. कैमरन वायुसेना के एक विमान से जाफना पहुंचे जहां लोगों ने श्रीलंकाई सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. तमिल समाचार पत्र ‘उद्यम’ के कर्मचारियों से मुलाकात के बाद कैमरन ने ट्वीट किया, ‘‘मैं 1948 के बाद से उत्तरी श्रीलंका का दौरा करने वाला पहला प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हूं. मैं उम्मीद की पहली रोशनी पैदा करना चाहता हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका में अपनी जान जोखिम में डालकर दैनिक अखबार निकालने वाले साहसी पत्रकारों से मुलाकात कर गौरवान्वित महसूस करता हूं.’’उल्लेखनीय है कि इस अखबार पर श्रीलंकाई सरकार ने कई बार छापेमारी की है.

राजपक्षे ने 53 देशों के समूह की शिखर बैठक में अपनी शुरुआती टिप्पणियों में कहा, ‘‘अगर राष्ट्रमंडल को प्रासंगिक रहना है तो संगठन के सदस्य देशों को राष्ट्रमंडल परंपराओं के खिलाफ निकाय में द्विपक्षीय एजेंडा ला कर इसे सजा देने वाले और फैसला सुनाने वाले निकाय में रुपांतरित नहीं करना चाहिये बल्कि अपने अवाम की जरुरतों को पूरा करने के लिये कदम उठाना चाहिए.’’ विदेश मंत्री खुर्शीद और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड तथा कई देशों के नेता उद्घाटन समारोह में मौजूद थे.

राजपक्षे ने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल को आदेशात्मक एवं विभाजनकारी तौर-तरीकों में संलग्न होने की बजाय सहयोगात्मक एकता में शिरकत का एक सच्चा और अनूठा संगठन बनाएं.’’

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