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पाकिस्तान को लेकर मनमोहन ने नहीं की ओबामा से शिकायत : खुर्शीद

न्यूयार्क : विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज यहां कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें सीमा पार से जारी आतंकवाद और उसे लेकर अपनी चिंताओं के बारे में बताया तथा यह सब शिकायत की तरह नहीं था. ओबामा के साथ मुलाकात में सिंह द्वारा पाकिस्तान का मुद्दा उठाए […]

न्यूयार्क : विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज यहां कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें सीमा पार से जारी आतंकवाद और उसे लेकर अपनी चिंताओं के बारे में बताया तथा यह सब शिकायत की तरह नहीं था.

ओबामा के साथ मुलाकात में सिंह द्वारा पाकिस्तान का मुद्दा उठाए जाने को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खुश न होने के बारे में पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के सिलसिले में पूछे जाने पर खुर्शीद ने बताया ‘‘नहीं, नहीं, यह शिकायत नहीं थी. मुझे नहीं लगता कि हमें इसे शिकायत के तौर पर देखना चाहिए.’’

विदेश मंत्री ने कहा ‘‘हमें इसे अलग संदर्भ में समझना चाहिए. वे(ओबामा और सिंह )अच्छे मित्र हैं. वे खुल कर बातचीत करना और तथ्यों को साझा करना चाहते हैं जहां तक ओबामा का सवाल है तो प्रधानमंत्री नहीं छिपाते.’’उन्होंने कहा ‘‘मेरे विचार से, ओबामा के साथ उन्हें सहूलियत रही है. उन्होंने :सिंह ने: उन्हें :ओबामा को: अपनी वास्तविक भावनाओं से अवगत कराया. मुझे नहीं लगता कि यह शिकायत की तरह था, या नवाज शरीफ अथवा पाकिस्तान को कमतर करने जैसा था.’’

नवाज शरीफ द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पद संभालने का जिक्र करते हुए खर्शीद ने कहा कि ‘‘इस उम्मीद का एक तार्किक कारण है, कि यह वार्ता बेकार नहीं जाएगी और इससे भविष्य में कुछ सुधार होगा और कुछ ठोस हासिल होगा.’’संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर कल शरीफ और सिंह के बीच हुई एक घंटे की बातचीत में सिंह ने यह स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम के उल्लंघन को समाप्त करना द्विपक्षीय वार्ता बहाली की एक पूर्व शर्त है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे खुर्शीद ने कहा कि सिंह ने शरीफ के साथ ‘‘स्वतंत्र, खुली और दोस्ताना चर्चा’’ की और मुंबई हमले, जमात उद दावा तथा उसके प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद के साथ ही नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी समेत चिंता के सभी मुद्दों को बैठक में उठाया.

मुलाकात के प्रति भाजपा के विरोध को खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ यह राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी है. भरोसा करो लेकिन जांच परख कर. आप इसे (बयान को)घुमा सकते हैं कि हम जांच परख कर भरोसा करें. अब , मैं समझता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री ने इसे इस प्रकार किया है कि जांच परख और भरोसे को, साथ साथ रखा है.’’

उन्होंने कहा कि सिंह ने यह स्पष्ट किया कि ‘‘हम जब आप पर : शरीफ : भरोसा कर रहे हैं तो हम जांच परख भी जारी रखेंगे.’’उन्होंने कहा, इसीलिए ‘‘हमारे प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान द्वारा सुझाए गए कई विकल्पों में से चुना है. उन्होंने अपने विचार को तरजीह दी है किअब यह डीजीएमओ के स्तर पर किया जाना चाहिए. और अच्छी बात यह है कि इसे पाकिस्तान ने स्वीकार किया है.’’

खुर्शीद ने पाकिस्तान द्वारा दिए गए सुझावों का ब्यौरा नहीं दिया लेकिन सूत्रों ने बताया कि वे चाहते थे कि नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन के मुद्दे के समाधान के लिए विदेश सचिवों की एक समिति गठित की जाए.

मई में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद शरीफ द्वारा संबंधों के बारे में दिए गए कुछ सकारात्मक बयानों की ओर खुर्शीद का ध्यान आकर्षित किया गया और पूछा गया कि क्या भारत इस पर उन्हें इन बयानों को अमल में लाने का मौका देना चाहता है?उन्होंने जवाब दिया, ‘‘ निश्चित रुप से. इसके बारे में कोई सवाल ही नहीं है. उन्हें इन पर अमल करना होगा. पुडिंग का असली मजा तो उसे खाने में है.’’

बैठक के नतीजों के बारे में पूछे जाने पर खुशीर्द ने कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘‘द्विपक्षीय संबंधों की पौध के लिए तापमान एक उचित स्तर पर रखा जाए.’’

पाकिस्तान द्वारा युद्धविराम के उल्लंघन और नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिकों की हत्या के कारण बाधित पड़ी वार्ता प्रक्रिया के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा कि ‘‘परिस्थतियों के कारण’’ वार्ता निलंबित की गयी. इसे खत्म नहीं किया गया है.’’

उन्होंने कहा कि शांति और नियंत्रण रेखा पर समरसता कायम होने के संदर्भ में वास्तव में कितनी सफलता मिलती है और डीजीएमओ से हमें क्या रिपोर्ट मिलती है, केवल इसका आकलन करने के बाद ही वार्ता बहाल हो सकती है.

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि मुख्य वार्ता बाधित है लेकिन ‘‘बहुत सी अन्य चीजें’’ जारी हैं. इनमें व्यापार और जल मुद्दों पर वार्ताएं शामिल हैं.

खुर्शीद ने कहा कि दोनों देशों के डायरेक्टर्स जनरल आफ मिलिटरी आपरेशंस : डीजीएमओ : को यह दायित्व सौंपा गया है कि वे ‘‘एक दूसरे के गहन संपर्क में आएंकुछ समय साथ गुजारें और उन कारणों का पता लगाएं कि ऐसा क्यों हुआ है , जिम्मेदारी तय करने की कोशिश करें और उसके बाद उन उपायों का पता लगाएं जिनसे यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसा फिर नहीं होगा.’’ उन्होंने कहा कि शांति और समरसता बनाए रखने तथा वर्ष 2003 के युद्धविराम समझौते को बनाए रखने के लिए अभिव्यक्ति के संदर्भ में पूर्ण प्रतिबद्धता है.

उन्होंने कहा कि डीजीएमओ को प्राथमिक जिम्मेदारी यह सौंपी गयी है कि वे भूत , वर्तमान और भविष्य को देखें , कुछ ठोस सुझावों के साथ आगे आएं और ऐसी व्यवस्था का पता लगाएं जिससे नियंत्रण रेखा पर शांति और समरसता बनायी रखी जा सके.

खुर्शीद ने कहा कि इसके लिए कोई तय समय सीमा नहीं है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें तुरंत कदम उठाने की जरुरत है.

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ उनके दिमाग में एक स्पष्ट विचार है कि हम अपनी सरकार के इस कार्यकाल के अंतिम चरण में हैं. यदि सरकार में रहते हुए कुछ हासिल करना है तो उन्हें काम में तेजी लानी होगी.’’खुर्शीद ने बताया कि शरीफ ने कहा है कि उन्होंने गृह मंत्रलय को 26/11 के आतंकी हमले के संबंध में सुनवाई के संदर्भ में चीजों में तेजी लाने का निर्देश दिया है. शरीफ ने संकेत दिया है कि ‘‘हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ने की जरुरत है.’’

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