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आज मिल्क डे पर विशेषः कहीं आप दूध के रूप में जहर तो नहीं पी रहे?

आज वर्ल्ड मिल्क डे है. दुनिया के कई देशों में यह दिवस मनाया जा रहा है. दरअसल, दूध को पूर्ण आहार माना गया है. दूध में हर वो तत्व पाया जाता है, जिसकी इनसान को जरूरत होती है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आॅर्गेनाइजेशन ने भी इसके महत्व को समझा और 1 […]

आज वर्ल्ड मिल्क डे है. दुनिया के कई देशों में यह दिवस मनाया जा रहा है. दरअसल, दूध को पूर्ण आहार माना गया है. दूध में हर वो तत्व पाया जाता है, जिसकी इनसान को जरूरत होती है. इसलिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आॅर्गेनाइजेशन ने भी इसके महत्व को समझा और 1 जून, 2001 को विश्व दुग्ध दिवस (वर्ल्ड मिल्क डे) के रूप में मनाने की घोषणा की.

तब से हर साल यह दिवस मनाया जाता है. इस दिन दुग्ध के व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों के अलावा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाअों और रेस्टोरेंट्स के लोग ताजा दूध पीने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं. अाज दूध के उत्पादन में भारत दुनिया में नंबर वन है. फिर भी लोगों को असली दूध पीने को नहीं मिलता.

सरकार भी मानती है कि भारत के तीन में से दो नागरिक डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, यूरिया और पेंटवाला दूध पीते हैं. देश में बिकनेवाला 68 प्रतिशत दूध देश की खाद्य उत्पाद नियंत्रक संस्था एफएसएसएआइ के मापदंडों पर खरा नहीं उतरता.

मिलावटी दूध के कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि यूरिया, कास्टिक सोडा और इसमें मौजूद फोरमेलिन से गैस्ट्रोएंट्राइटिटिस से लेकर इम्पेयरमेंट, दिल के रोग और कैंसर हो सकते हैं. यहां तक कि मिलावटी दूध पीने से इनसान की मौत तक हो सकती है.

दूध में मिलावट के लिए इस्तेमाल किये जानेवाले डिटर्जेंट से पाचन तंत्र की गड़बड़ियां और फूड प्वायजनिंग हो सकती है. हाई एल्केलाइन से शरीर के तंतु क्षतिग्रस्त और प्रोटीन नष्ट हो सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि दूध की गुणवत्ता जांचने के बाद ही उसका इस्तेमाल करें.

भारत में दूध की महत्ता के बारे में सभी जानते हैं. वर्ल्ड मिल्क डे से करीब पांच दशक पहले ही भारत ने दुग्ध क्रांति की शुरुअात कर दी थी. आज दुग्ध के उत्पादन में भारत दुनिया का सिरमौर है. 2,00,000 से अधिक गांवों से हर दिन दूध एकत्र किया जाता है. इस वक्त भारत में 1555 लाख टन से अधिक दूध का उत्पादन हो रहा है. वर्ष 2001-02 में यह 844.06 लाख टन ही था.

दूध के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है. इस समय देश के इस सबसे बड़े प्रदेश में 233.30 लाख टन दूध का उत्पादन होता है. बिहार इस मामले में 10वें स्थान पर है. यहां 68.45 लाख टन दूध का उत्पादन होता है. झारखंड में इस समय 18.12 लाख टन दूध का उत्पादन हो रहा है.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि संयुक्त राष्ट्र मई के अंत में वर्ल्ड मिल्क डे मनाना चाहता था, लेकिन चीन ने कहा कि उस दौरान उसके यहां कई और दिवस मनाये जाते हैं. वहीं, कुछ देशों ने कहा कि उनके यहां एक जून को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने भी इसी दिन को वर्ल्ड मिल्क डे के रूप में स्वीकार कर लिया.

दूध में मिलावट के बारे में जानिये
-दूध में पानी की मिलावट सबसे ज्यादा होती है, जिससे इसकी पौष्टिकता कम हो जाती है. अगर पानी में कीटनाशक और भारी धातुएं मौजूद हों, तो यह सेहत के लिए खतरा हैं.

-दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रयोग किये जानेवाले स्किम्ड मिल्क पाउडर में ग्लूकोज पाये जाते हैं.

-दूध के रख-रखाव और पैकेजिंग के समय साफ-सफाई का ध्यान न रखने की वजह से भी आस-पास में इस्तेमाल किया गया डिटर्जेंट दूध में चला जाता है. कई बार यह जान-बूझ कर भी डाला जाता है.

ऐसे करें दूध में मिलावट की जांच

पानी की मिलावट
-एक प्लेट या ढलानवाली सतह पर दूध की एक बूंद डालें. शुद्ध दूध की बूंद धीरे-धीरे सफेद लकीर छोड़ते हुए नीचे आ जायेंगी, जबकि पानी की मिलवाटवाली बूंद बिना कोई निशान छोड़े बह जायेंगी.

-दूध में पानी की मिलावट की जांच करने के लिए किसी चिकनी लकड़ी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो बूंद टपकायें. अगर दूध बहता हुआ नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार-सा निशान बन जाये, तो दूध शुद्ध है.

यूरिया की मिलावट
एक चम्मच दूध को टेस्ट ट्यूब में डालें. उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर का पाउडर डालें. इसे अच्छी तरह से मिला लें. पांच मिनट बाद, एक लाल लिटमस पेपर डालें. आधे मिनट बाद अगर पेपर का रंग लाल से नीला हो जाये, तो दूध में यूरिया है.

डिटर्जेंटवाला दूध
-दूध को सूंघिये. अगर उसमें साबुन जैसी गंध आये, तो समझिये कि दूध में मिलावट की गयी है.
-5 से 10 मिलीलीटर दूध को उतने ही पानी में मिला के हिलायें. अगर झाग बनते हैं, तो समझिए इसमें डिटर्जेंट है.

सिंथेटिक दूध
-सिंथेटिक दूध का स्वाद कड़वा होता है. उंगलियों के बीच रगड़ने से साबुन जैसा लगता है और गर्म करने पर पीला हो जाता है.

-सिंथेटिक दूध में प्रोटीन की मात्रा है या नहीं, इसकी जांच दवा की दुकान पर मिलनेवाली यूरीज स्ट्रिप से की जा सकती है. इसके साथ मिली रंगों की सूची दूध में यूरिया की मात्रा बता देगी.

स्वाद
-असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है.

रंग
-स्टोर करने पर असली दूध अपना रंग नहीं बदलता.नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है.

-अगर हम असली दूध को उबालें, तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है.

चिकनाहट टेस्ट

-दूध को हथेलियों के बीच रख कर उसे रगड़ें. अगर चिकनाहट महसूस नहीं होती है, तो दूध असली है. नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे, तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी.

कैसे बचें मिलावट के जहर से
यदि आप दूध की जांच नहीं कर सकते, तो मिलावटी दूध के दुष्प्रभाव से बचने का सबसे आसान उपाय है कि दूध को अच्छी तरह से उबाल कर पीयें. उबालने से दूध के बैक्टीरिया नष्ट हो जायेंगे. हालांकि, सभी तरह की मिलावट के दुष्प्रभावों से यह आपको बचायेगा, नहीं कहा जा सकता.

भारत के टाॅप-10 दुग्ध उत्पादक राज्य

1. उत्तर प्रदेश 233.30 लाख टन
2. राजस्थान 139.40 लाख टन
3. आंध्रप्रदेश 127.62 लाख टन
4. गुजरात 103.15 लाख टन
5. पंजाब 97.14 लाख टन
6. मध्यप्रदेश 88.38 लाख टन
7. महाराष्ट्र 87.34 लाख टन
8. हरियाणा 70.40 लाख टन
9. तमिलनाडु 70.00 लाख टन
10. बिहार 68.45 लाख टन

लाखों लोगों को रोजगार देता है डेयरी उद्योग
कृषि प्रधान देश भारत में डेयरी उद्योग ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है. भारत की अर्थव्यवस्था में भी डेयरी उद्योग का बड़ा योगदान है. देखिये, दूध उत्पादन करनेवाले टाॅप-10 राज्यों की क्या है स्थिति.

उत्तर प्रदेश
देश के लिए 17 फीसदी दूध की आपूर्ति अकेले उत्तर प्रदेश करता है. दुग्ध उत्पादन में यह पहले नंबर पर है. यहां 1.8 करोड़ गायें और भैंसें हैं. यहं सबसे ज्यादा दूध देनेवाली गायों की नस्लों के नाम खेरीगढ़, पंवर, गंगातिरी और केनकथा हैं. सिर्फ उत्तर प्रदेश में पायी जानेवाली इन गायों से उत्तम गुणवत्ता के दूध मिलते हैं.प्रदेश में 40 से अधिक डेयरी सहकारी समितियां हैं, जो देश को दूध की सप्लाई करती हैं.

राजस्थान
15 डेयरी को-आॅपरेटिव राजस्थान में दूध की मांग को पूरा करते हैं. सभी डेयरी सहकारियों में बीकानेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड सबसे ज्यादा दूध उपलब्ध कराता है. इसका श्रेय पाकिस्तान की ‘थरपारकर’ नस्ल की गायों को जाता है, जो सफेद और ग्रे रंग की होती हैं. मध्यम आकार की ये गायें बेहद शक्तिशाली होती हैं.

आंध्रप्रदेश
देश के कुल दुग्ध उत्पादन में आंध्रप्रदेश की हिस्सेदारी 9 फीसदी है. दूध उत्पादन के मामले में शीर्ष 10 राज्यों में तीसरे पायदान पर मौजूद इस प्रदेश में 127.62 लाख टन दूध का हर साल उत्पादन होता है.

गुजरात
दुग्ध क्रांति की शुरुअात करनेवाला यह राज्य दूध के उत्पादन में आज चौथे स्थान पर है. देश का सबसे बड़ा डेयरी सहकारी संस्थान ‘अमूल’ इसी राज्य में है. 1946 में स्थापित ‘अमूल’ को ही देश में दुग्ध क्रांति की शुरुअात करने और इसे देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का श्रेय जाता है. इस राज्य में दुग्ध व्यवसाय ने तीन लाख लोगों को रोजगार दिया है.

पंजाब
सबसे ज्यादा उपजाऊ भूमिवाला प्रदेश देश का पांचवां सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य है. सबसे ज्यादा दूध देनेवाली देशी ‘सहिवाल’ नस्ल की गाय पंजाब में ही पायी जाती है. एक बार गर्भधारण करने के बाद यह गाय औसतन 2270 किलो दूध देती है.

मध्यप्रदेश
देश के कुल दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी 6 फीसदी है. यहां सात डेयरी सहकारी समितियां हैं, जो मध्यप्रदेश स्टेट को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड के तहत संचालित होती हैं. गांवों से दूध खरीदने से लेकर प्रसंस्करण और बिक्री तक की जिम्मेवारी इनकी है.

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र राज्य सहकारी दूध महासंघ मर्यादित (एमआरएसडीएमएम) सरकारी निकाय है. इसकी स्थापना 1967 में हुई थी. इसके डेयरी उत्पाद ‘महानंद’ के नाम से बिकते हैं.

हरियाणा
हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट को-आॅपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड राज्य सरकार का दुग्ध संघ है. राज्य के अलग-अलग भागों में इसके छह (कुरुक्षेत्र, जिंद, अम्बाला, सिरसा, रोहतक और बल्लभगढ़) दुग्ध प्रसंस्करण प्लांट हैं. इन प्लांटों में हर दिन 6.45 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण होता है.

तमिलनाडु
तमिलनाडु में पिछले साल दुग्ध उत्पादन में 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी. देश में कुल दुग्ध उत्पादन में तमिलनाडु की हिस्सेदारी पांच फीसदी है. यहां 11,000 दुग्ध सहकारी समितियों और 17 दुग्ध उत्पादक संघों के जरिये 24 लाख लीटर दूध का हर दिन उत्पादन होता है. इन समितियों और संघों के जरिये चार लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

बिहार
बिहार स्टेट मिल्क को-आॅपरेटिव फेडरेशन ने बिहार में वर्ष 1983 में डेयरी सहकारिता के जरिये दुग्ध क्रांति की शुरुआत की. इसके उत्पाद ‘सुधा डेयरी’ के नाम से बाजार में बिकते हैं. डेयरी की शाखाएं 25 जिलों में हैं और हर दिन 10 लाख किलो दूध का उत्पादन हो रहा है.


ज्यादा दूध बेचने की लालच में डेयरी में मवेशियों को दी जाती है यातनाएं


हमारा देश 30 करोड़ गायों और भैंसों की वजह से दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना. इसमें बड़ी संख्या ऐसी गायों की है, जो गोशालाअों में रहती हैं. चिंता की बात यह है कि लाखों गायों को पर्याप्त आहार नहीं मिलता. पीने का साफ पानी नहीं मिलता. उनकी देख-रेख ठीक से नहीं होती.

दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दुग्ध उत्पादक गायों को प्रताड़ित करते हैं. खासकर मेट्रोपोलिटन शहरों में. छह मेट्रो सिटी में कराये गये सर्वेक्षण से पता चला है कि शहरों और उपनगरों में गायों को घोर अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं.

भारत सरकार ने मवेशियों पर होनेवाले अत्याचार की रोकथाम के लिए प्रिवेंशन आॅफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन आॅफ कैटल प्रेमिसेस रूल्स बनाये हैं, लेकिन किसी भी डेयरी में इसका अनुपालन नहीं होता. डेयरियां खुल्लमखुल्ला कानूनों का उल्लंघन करती हैं. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं, सो अलग.

वर्ल्ड एनीमल प्रोटेक्शन ने इससे जुड़ा एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें कहा गया है कि गायों से क्रूर तरीके से दूध निकाला जा रहा है. सर्वे में यह भी सामने आया है कि शहरों और उसके उपनगरों में लाखों गायों को गैरकानूनी तरीके से पाला जाता है. यहां छोटी-सी जगह में ज्यादा से ज्यादा गायों को रखा जाता है. भारत में ‘मां’ का दर्जा पानेवाली गायों पर तरह-तरह के अत्याचार होते हैं.

सर्वेक्षण में भाग लेनेवाले 90 फीसदी लोगों के लिए यह अस्वीकार्य है. इनका कहना है कि देश भर की डेयरियों में गायों पर हो रहा अत्याचार बंद होना चाहिए.

क्या कहता है सर्वे


-90 फीसदी लोगों ने कहा कि डेयरी में मवेशियों की स्थिति में सुधार के प्रयास होने चाहिए
-87 फीसदी लोगों का कहना है कि डेयरी में सुधारों के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि मवेशियों के जीवन स्तर में सुधार आये
-90 फीसदी के करीब लोगों ने कहा कि वे उस कंपनी का दुग्ध उत्पाद खरीदना पसंद करेंगे, जिसकी डेयरी में मवेशियों के लिए बेहतर माहौल होगा
-चार में से तीन लोगों ने कहा कि वह डेयरी उत्पादों के लिए 5 से 10 फीसदी तक अधिक खर्च करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते डेयरी में मवेशियों का उचित तरीके से रख-रखाव हो


मिल्क डे – पांच साल का थीम
2012 : ड्रिंक फ्रेश मिल्क, बाॅडी फिट, स्मार्ट ब्रेन
2013 : मिल्क फाॅर हेल्थ एंड प्राॅस्पेरिटी आॅफ साउथ ईस्ट एशियन रिजन
2014 : मिल्क इज द फर्स्ट फूड फाॅर ह्यूमन एंड वर्ल्ड क्लास न्यूट्रिशन
2015 : मिल्क इज द फर्स्ट फूड फाॅर ह्यूमन
2016 : बाई मिल्क वी ग्रो हेल्दी
2017 : गुड फूड, हेल्थ एंड न्यूट्रिशन




टार्गेट ग्रुप : बुजुर्ग, महिला, बच्चे, युवा और खिलाड़ी और चिकित्सक


200 मिलीग्राम दूध में होते हैं इतने पोषक तत्व
-कैल्शियम
-प्रोटीन
-आयोडीन
-पोटाशियम
-फास्फोरस
-विटामिन बी2
-विटामिन बी12

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