दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने मोबाइल यूज कम करने के मकसद से डिजिटल वेलबीइंग के तहत छह एक्सपेरिमेंट एप्स-अनलॉक क्लॉक, वी फ्लिप, पोस्ट बॉक्स, मॉर्फ, डेजर्ट आईलैंड और पेपर फोन लॉन्च किये हैं. ये सभी एप्स गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं. गूगल ने पिछले साल आई/ओ डेवेलपर कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना डिजिटल वेलबीइंग प्रोग्राम लॉन्च किया था.
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गूगल के डिजिटल वेलबीइंग एप्स स्मार्टफोन की लत से दिलायेंगे छुटकारा
दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने मोबाइल यूज कम करने के मकसद से डिजिटल वेलबीइंग के तहत छह एक्सपेरिमेंट एप्स-अनलॉक क्लॉक, वी फ्लिप, पोस्ट बॉक्स, मॉर्फ, डेजर्ट आईलैंड और पेपर फोन लॉन्च किये हैं. ये सभी एप्स गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं. गूगल ने पिछले साल आई/ओ डेवेलपर कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना डिजिटल वेलबीइंग प्रोग्राम […]
तब से इस प्रोग्राम ने अपना विस्तार कर इसमें विंड डाउन जैसे नये फीचर, अनेक एप्स और सेवाओं को शामिल किया है और अपनी पहुंच बढ़ायी है. अब कंपनी ने अपने इसी वेलबीइंग प्रोग्राम के तहत कुछ एक्सपेरिमेंट एप्स लॉन्च किये हैं.
ये प्रोग्राम यूजर्स को अपने स्मार्टफोन को बेहतर तरीके से समझने और स्क्रीन टाइम को कम करने में मदद करेंगे. स्मार्टफोन में गूगल डिजिटल वेलबीइंग फीचर न होने पर भी यूजर्स इन प्रोग्राम्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उनका एंड्रॉयड स्मार्टफोन 8.0 ओरियाे या इसके ऊपर के वर्जन का होना चाहिए.
अनलॉक क्लॉक
यह एक्सपेरिमेंट एक लाइव वॉलपेपर है जो इस बात की गिनती करता है कि आपने एक दिन में कितनी बार अपना स्मार्टफोन अनलॉक किया है. शून्य से शुरू होकर यह गिनती वहां तक जाती है, जितनी बार एक दिन में आपने अपने फोन को एक्सेस किया है. गूगल की मानें तो यह एक्सपेरिमेंट एक एप की तरह दिखाई नहीं देगा. प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड करने के बाद यूजर्स इसे अपने स्मार्टफोन के लाइव वाॅलपेपर लाइब्रेरी सेक्शन से एक्सेस कर सकेंगे.
वी फ्लिप
इस एप का उद्देश्य एक समूह में बैठे होने पर यूजर्स को उनके फोन के साथ डिस्कनेक्ट करने में मदद करना है. हालांकि इसके लिए दूसरे स्मार्टफोन में भी इस एप का होना जरूरी है. जब वी फ्लिप एप वाले सभी फोन आसपास होते हैं तो वे एक दूसरे से जुड़े होते हैं. सत्र की शुरुआत करने के लिए यूजर्स स्विच को फ्लिप कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति अपने फोन को अनलॉक करेगा तो सत्र समाप्त हो जायेगा. यूजर्स हर वक्त फोन का इस्तेमाल न करें, बल्कि कुछ समय इससे दूर भी रहें, इसके लिए इस एप को लाया गया है.
डेजर्ट आईलैंड
इस एप का उद्देश्य एक दिन में आपकी प्राथमिकता के आधार पर एप्स की सूची तैयार करना है, ताकि आप उन पर ध्यान केंद्रित कर सकें. डेजर्ट आईलैंड के तहत यूजर्स सात आवश्यक एप चुन सकते हैं. इसे आप 24 घंटे के लिए सेट कर सकते हैं.
24 घंटे के बाद यूजर्स यह देख सकेंगे कि उन्होंने दूसरे एप्स को एक्सेस किये बिना चुने हुए एप्स को ही एक्सेस किया या नहीं. इन एप्स को डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर में जाकर गूगल क्रिएटिव लैब सर्च करना होगा. यहां इस सूची में आपको ये सभी एप्स मिल जायेंगे.
पेपर फोन
इस सूची का अंतिम एप पेपर फोन है. इस एप का उद्देश्य आवश्यक सूचनाओं का प्रिंटआउट लेने में मदद करके यूजर्स के फोन उपयोग में कटौती करना है.
इसके लिए यूजर्स उस दिन के लिए अपने पसंदीदा कॉन्टैक्ट्स, मैप्स और मीटिंग्स जैसी आवश्यक सूचनाओं का चुनाव कर सकते हैं और फिर उन्हें सीधे कागज की शीट पर प्रिंट कर सकते हैं. इससे उन्हें बार-बार फोन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी.
पोस्ट बॉक्स
पोस्ट बॉक्स एप के तहत यूजर्स को अनचाहे अलर्ट्स से दूर रखा जायेगा, ताकि बार-बार उनकी एकाग्रता भंग न हो. इसके लिए यूजर्स को इसमें यह निर्धारित करना होगा कि किस अंतराल पर उनके फोन में नोटिफिकेशंस डिलिवर हों. ऐसा होने के बाद जितनी समयावधि यूजर्स ने निर्धारित की होगी, उसी अंतराल पर वे करीने से व्यवस्थित सभी नोटिफिकेशंस एक साथ देख सकेंगे.
गूगल ने हासिल की क्वांटम सुपरमेसी
गूगल ने कहा है कि उसने क्वांटम कंप्यूटिंग जिसे क्वांटम सुपरमेसी कहा जाता है, हासिल कर ली है. कंपनी का कहना है कि इसकी मदद से कंप्यूटिंग पूरी तरह बदल जायेगी. पिछले महीने गूगल के कंप्यूटर साइंटिस्टों का पेपर नासा के वेबसाइट पर देखा गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उनके क्वांटम कंप्यूटर ने क्वांटम सुपरमेसी का प्रदर्शन किया है. हालांकि बाद में यह पेपर वेबसाइट से गायब हो गया. अब गूगल ने आधिकारिक तौर पर इस बात का दावा किया है. गूगल की यह उपलब्धि साइंटिफिक जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है.
क्या है क्वांटम सुपरमेसी
क्वांटम सुपरमेसी एक ऐसी तकनीक है, जिसकी मदद से बड़े डेटा और इन्फॉर्मेशन को बहुत कम वक्त में प्रोसेस किया जा सकेगा, जिसे साधारण कंप्यूटर के जरिये करना मुश्किल है. दूसरे शब्दों में कहा जाये तो क्वांटम कंप्यूटर बेहद जटिल कंप्यूटेशन को महज 200 सेकेंड यानी लगभग तीन मिनट में पूरा कर सकता है, जिसे करने में मौजूद कंप्यूटर को 10,000 साल लगेंगे.
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के अनुसार, ‘क्वांटम कंप्यूटिंग की मदद से जलवायु परिवर्तन से लेकर तमाम तरह की बीमारियाें जैसी वैश्विक समस्याओं से निपटने में हम सक्षम हो पायेंगे. इस उपलब्धि के साथ हम क्वांटम कंप्यूटिंग को लागू करने के एक कदम और करीब पहुंच चुके हैं. उदाहरण के लिए, अधिक कुशल बैटरी डिजाइन करना, कम ऊर्जा का उपयोग करके उर्वरक बनाना, प्रभावी दवाइयां तैयार करना आदि काम कर सकते हैं.’
क्यूबिट में रजिस्टर होती हैं सूचनाएं
साधारण कंप्यूटर जहां किसी भी सूचना और डेटा को बिट्स, जिनकी वैल्यू 0 या 1 हो सकती है, में रजिस्टर करते हैं. वहीं क्वांटम कंप्यूटर में सूचनाएं व डेटा क्यूबिट्स में रजिस्टर होते हैं, जिनकी वैल्यू एक ही समय 1 व 0 दोनों हो सकती है. गूगल के अलावा माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और इंटेल जैसी बड़ी टेक कंपनियां भी इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं.
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