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वर्षांत 2018 : इस वर्ष जिन्होंने दुनिया को कहा अलविदा
तमाम उपलब्धियों से इतर, साल 2018 उदास करने वाला भी रहा. इस वर्ष कला, साहित्य, संगीत, फिल्म, विज्ञान और राजनीति आदि विभिन्न क्षेत्रों की देश-दुनिया की कई महत्वपूर्ण शख्सियतें हमारा साथ छोड़कर चली गयीं. इन विभूतियों को श्रद्धांजलि आज की विशेष प्रस्तुति में… केदारनाथ सिंह समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख कवि और आलोचना के सशक्त […]
तमाम उपलब्धियों से इतर, साल 2018 उदास करने वाला भी रहा. इस वर्ष कला, साहित्य, संगीत, फिल्म, विज्ञान और राजनीति आदि विभिन्न क्षेत्रों की देश-दुनिया की कई महत्वपूर्ण शख्सियतें हमारा साथ छोड़कर चली गयीं. इन विभूतियों को श्रद्धांजलि आज की विशेष प्रस्तुति में…
केदारनाथ सिंह
समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख कवि और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर डॉ केदारनाथ सिंह का 84 वर्ष की उम्र में 19 मार्च को निधन हो गया.
अपनी कविताओं के माध्यम से सरल व सहज भाषा में जीवन की जटिलताओं की अभिव्यक्ति करने की अद्वितीय शैली के जनवादी कवि केदारनाथ सिंह के निधन से हिंदी साहित्य एक सशक्त हस्ताक्षर मिट गया.
साल 2013 में केदारनाथ सिंह को साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा वे साहित्य अकादमी पुरस्कार और व्यास सम्मान जैसे सम्मानों से भी नवाजे गये थे. उन्होंने ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘बाघ’, ‘अकाल में सारस’ और ‘उत्तर कबीर’ सहित आठ कविता संग्रह लिखे थे और आलोचना संग्रहों में ‘कल्पना और छायावाद’, ‘मेरे समय के शब्द’ प्रमुख माने जाते हैं.
प्यारेलाल वडाली
विश्व-प्रसिद्ध संगीतकार-गायकों की पंजाबी सूफी भाइयों की जोड़ी ‘वडाली ब्रदर्स’ में से एक उस्ताद प्यारेलाल वडाली का अमृतसर में 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. अमृतसर के एक छोटे से गांव के रहने वाले वडाली ब्रदर्स दुनियाभर में अपनी गायकी के लिए मशहूर थे. वडाली ब्रदर्स ने फिल्मों के लिए ‘ऐ रंगरेज मेरे’, ‘एक तू ही तू ही’ जैसे गाने भी गाये. इनका सबसे प्रसिद्ध गाना ‘तू माने या ना माने’ रहा.
अजीत वाडेकर
70 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे अजीत वाडेकर का 77 साल की उम्र में निधन हो गया. अजीत वाडेकर की गिनती भारत के सबसे सफल कप्तानों में की जाती है. वाडेकर ने 1966 से 1974 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया. साल 1971 में अजीत वाडेकर के नेतृत्व में भारत ने इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट सीरीज जीती थी. वह बायें हाथ के बल्लेबाज व कुशल फील्डर भी माने जाते थे.
श्रीदेवी
नब्बे के दशक की सर्वाधिक चर्चित व सफल अभिनेत्री श्रीदेवी की 24 फरवरी को मौत हो गयी. 13 अगस्त, 1963 को तमिलनाडु के सिवकासी में जन्मी श्रीदेवी महज चार वर्ष की उम्र में 1967 में तमिल फिल्म ‘कंधन करुणाई’ से फिल्मों.
बतौर अभिनेत्री उनके करियर की पहली फिल्म तमिल भाषा में बनी ‘मंदरू मुदिची’ थी. हिंदी फिल्मों में उनका प्रवेश बतौर बाल कलाकार 1975 में आयी फिल्म ‘जूली’ से हुआ. 1979 में आयी हिंदी फिल्म ‘सोलहवां सावन’ से उन्होंने एक अभिनेत्री के रूप में डेब्यू किया. लेकिन इस फिल्म के असफल होने के बाद वे वापस दक्षिण भारत की फिल्मों में लौट गयीं. वर्ष 1983 में एक बार फिर ‘हिम्मतवाला’ फिल्म से वो हिंदी फिल्मों में लौटीं. नगीना, मिस्टर इंडिया, चांदनी, खुदा गवाह समेत लगभग 200 हिंदी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया.
2012 में आयी फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से उन्होंने हिंदी फिल्म में कमबैक किया था. इसके बाद 2017 में एक बार फिर ‘मॉम’ फिल्म से उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा साबित की. वर्ष 2013 में वे पद्मश्री से सम्मानित हुईं.
गोपाल दास नीरज
भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में शामिल रहे कवि गोपाल दास नीरज का 19 जुलाई के दिन निधन हो गया. गोपाल दास नीरज ने फिल्मों के लिए भी गीत लिखे.
उन्हें साल 1991 में पद्मश्री, साल 1994 में यश भारती, साल 2007 में पद्मभूषण सम्मान दिया गया था. इसके अलावा, साल 1970 के दशक में लगातार तीन वर्षों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया था. उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘दर्द दिया है’, ‘आसावरी’, ‘मुक्तकी’, ‘कारवां गुजर गया’, ‘लिख-लिख भेजत पाती’ (पत्र संकलन), पंत-कला, काव्य और दर्शन (आलोचना) शामिल रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस वर्ष 16 अगस्त को दुनिया छोड़ गये. 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी जितना अपने सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते थे, उतना ही अपनी भाषण शैली के लिए.
भारतीय जनसंघ के टिकट पर जीतकर 1957 में वे पहली बार संसद पहुंचे. 1977 की जनता पार्टी सरकार में वे विदेश मंत्री बने. 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी व अन्य नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी बनायी. वे 1996 में पहली बार सिर्फ 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने. 1998 से 1999 तक 13 महीने तक वे प्रधानमंत्री रहे. इसके बाद एक बार फिर 1999 से 2004 तक वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया. बतौर प्रधानमंत्री वाजपेयी की प्रमुख उपलब्धि 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण करना रहा. वे पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की वकालत करने के लिए भी जाने जाते थे.
2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. 1992 में उन्हें पद्म विभूषण व 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान मिला. वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया.
वीएस नायपॉल
भारतीय मूल के विख्यात लेखक वीएस नायपॉल का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वीएस नायपाल को साल 1971 में बुकर प्राइज और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनकी प्रमुख रचनाएं ‘ए बेंड इन द रिवर’ और ‘अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ रहीं.
आसमां जहांगीर
पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता आसमां जिलानी जहांगीर का 11 फरवरी को निधन हो गया. आसमां पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, वंचितों के मानवाधिकार के लिए लड़ने वाली एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. आसमां जहांगीर को वर्ष 2018 के लिए मरणोपरांत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
एम करुणानिधि
तमिलनाडु की राजनीति में छह दशक तक छाये रहनेवाले प्रखर राजनेता मुथुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून, 1924 को तमिलनाडु के नागपट्टिनम में हुआ था. तमिल फिल्म में बतौर पटकथा लेखक करियर की शुरुआत करनेवाले करुणानिधि 33 वर्ष की उम्र में पहली बार तमिलनाडु विधानसभा के लिए चुने गये. 1967 में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के सत्ता में आने पर वे लोक कार्य मंत्री बने. 1969 में अन्नादुरै की मृत्यु के बाद वे पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और तकरीबन तीन वर्ष तक इस पद पर रहे. इस वर्ष अगस्त में, चेन्नई में उनका निधन हो गया.
मोहम्मद अजीज
पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में 2 जुलाई, 1954 को जन्मे मोहम्मद अजीज ने कोलकाता स्थित ‘गालिब रेस्तरां’ से अपने गायन करियर की शुरुआत की थी. बंगाली भाषा की फिल्म ‘ज्योति’ से पार्श्व गायन शुरुआत करनेवाले अजीज ने ‘अंबर’ फिल्म से हिंदी फिल्मों में कदम रखा. इसी दौरान उन्हें ‘मर्द’ फिल्म में गाने का अवसर मिला. ‘मर्द तांगेवाला’, ‘मय से मीना से न साकी से’, ‘तू कल चला जायेगा’ समेत विभिन्न भाषाओं में उन्होंने लगभग 2000 गाने गाये.
कल्पना लाजमी
31 मई, 1954 को जन्मी कल्पना लाजमी प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता, निर्देशक, व पटकथा लेखिका थीं. बतौर कॉस्ट्यूम असिस्टेंट 1977 की फिल्म ‘भूमिका’ से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली कल्पना ने 1986 में ‘एक पल’ से निर्देशन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद उन्होंने रुदाली, दमन, दरमियां, चिंगारी जैसी फिल्मों का निर्देशन किया. इसी वर्ष 23 सितंबर को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में किडनी कैंसर के कारण उनका निधन हो गया.
अंकित चड्ढा
अफसाने कहने की कला ‘दास्तानगोई’ को फिर से जिंदा करने वालों में से एक युवा दास्तानगो अंकित चड्ढा की 30 वर्ष की आयु में पुणे में मृत्यु हो गयी. अंकित कबीर की वाणी, अमीर खुसरो की दास्तान, मोबाइल फोन की दास्तान, कॉरपोरेट जगत की दास्तान, दास्तान-ए-सेडिशन और मजाज लखनवी की दास्तान सुनाने के लिए जाने जाते थे.
स्टीफन हॉकिंग
ब्रह्मांड के रहस्यों से उठाने वाले विश्व विख्यात वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का 76 वर्ष की उम्र में निधन हो गया . वे ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के लेखक भी थे. हॉकिंग 1963 में मोटर न्यूरॉन नामक लाइलाज बीमारी के शिकार हो गये थे. जिसके बाद वे जीवनभर व्हीलचेयर पर ही रहे.
स्टैन ली
स्पाइडर मैन, एक्समैन, एवेंजर्स और ब्लैक पैंथर जैसे कॉमिक्स पात्रों के निर्माता स्टैन ली का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. स्टैन ली ने अपना करियर 1939 में शुरू किया था और ‘मार्वल’ कॉमिक्स’ से 1961 से जुड़ गये थे, जिसके अंतर्गत उन्होंने विश्व प्रसिद्ध कॉमिक्स पात्रों और कहानियों का निर्माण किया.
सोमनाथ चटर्जी
पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई, 1929 को तेजपुर असम में हुआ था. वे 1973 से 2008 तक सीपीआई (एम) के सदस्य रहे. हालांकि 1971 में पहली बार वे सीपीआई (एम) के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में संसद पहुंचे. इसके बाद वे नौ बार संसद के लिए चुने गये. वर्ष 2004 में यूपीए सरकार के दौरान वे निर्विरोध लोकसभा स्पीकर चुने गये.
जीवी मावलंकर के बाद वे ऐसे दूसरे प्रोटेम स्पीकर थे, जो स्पीकर बने. अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के खजाने से चाय व प्रसाधन के लिए भुगतान करने की प्रथा को बंद कर दिया. वर्ष 2008 में यूपीए सरकार से समर्थन वापसी के बाद सोमनाथ चटर्जी द्वारा पद से इस्तीफा नहीं देने के कारण उन्हें सीपीआई (एम) से निष्कासित कर दिया गया था. 13 अगस्त, 2018 को कोलकाता में उनका निधन हो गया.
विष्णु खरे
साहित्य जगत में कविता व आलोचना की नयी जमीन तैयार करने वाले कवि-आलोचक विष्णु खरे का 19 सितंबर के दिन 78 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. अपनी बेबाकी और खरी विचार-प्रस्तुति के लिए पहचाने जाने वाले कवि विष्णु खरे विश्व साहित्य और विश्व सिनेमा के गंभीर अध्येता भी थे.
चंद्रशेखर रथ
उड़िया साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रशेखर रथ का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. चंद्रशेखर रथ भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण लेखकों में माने जाते थे. साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड, ओड़िशा साहित्य अकादमी व साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका था.
नरेंद्र झा
टीवी व फिल्म जगत के जाने-माने अभिनेता नरेंद्र झा का हार्ट अटैक से इस वर्ष 14 मार्च को नासिक में निधन हो गया. नरेंद्र ने दूरदर्शन के शो ‘आम्रपाली’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. हैदर, रईस, घायल वंस अगेन, हमारी अधूरी कहानी समेत कई फिल्मों में उन्होंने काम किया था.
शम्मी
‘दिल अपना और प्रीत परायी’, ‘हाफ टिकट’, ‘कुली नं 1’ समेत तकरीबन 200 हिंदी फिल्म व ‘देख भाई देख’, ‘जुबान संभाल के’ समेत कई हिट टीवी धारावाहिकों में अपन अभिनय का जलवा बिखेर चुकीं नरगिस रबादी यानी शम्मी आंटी का निधन 6 मार्च, 2018 को मुंबई में हो गया.
दूधनाथ सिंह
हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण कथाकार दूधनाथ सिंह का 12 जनवरी को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मूल रूप से बलिया के रहने वाले दूधनाथ सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी के प्राध्यापक भी रह चुके थे. दूधनाथ सिंह की प्रमुख रचनाएं ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘यमगाथा’, ‘धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे’ ‘लौट आओ घर’ थीं. उन्हें उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान भारत भारती व मध्य प्रदेश सरकार के शिखर सम्मान मैथिलीशरण गुप्त से भी सम्मानित किया गया था.
इन्हें भी श्रद्धांजलि
राजनेता अनंत कुमार, सीपीआई (एम) के नेता निरुपम सेन, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन, राजनेता मदनलाल खुराना, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, जैन मुनी तरुण सागर, भारतीय शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा, हिंदी फिल्मों के अभिनेता राज किशोर, अभिनेत्री सुजाता कुमार, रीता भादुड़ी, अवा मुखर्जी, श्रीवल्लभ व्यास, फिल्म निर्माता अर्जुन हिंगोरानी तुलसी रामसे, गायक नितिन बाली, टीवी कलाकार कवि कुमार आजाद और इटैलियन फिल्मकार बर्तोलुची इस वर्ष हमसे जुदा हो गये.
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