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वर्षांत 2018 : संतुलन में रही अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2018 बेहद महत्वपूर्ण रहा है. अब भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर है और यहां की जीडीपी का आकार उल्लेखनीय वृद्धि दर से विस्तारित हो रहा है. इस वर्ष देश ने कई अहम पड़ाव पूरे किये हैं और विश्व की सबसे तेजी […]

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2018 बेहद महत्वपूर्ण रहा है. अब भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर है और यहां की जीडीपी का आकार उल्लेखनीय वृद्धि दर से विस्तारित हो रहा है.

इस वर्ष देश ने कई अहम पड़ाव पूरे किये हैं और विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा भी हासिल किया. हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हैं, जिनका निवारण देश के भविष्य की दिशा तय करेगा. साल 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विशेष प्रस्तुति…

भारत की जीडीपी का आकार

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जिस तेजी से वह बढ़ रही है, जल्द ही ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पांचवें स्थान पर आ जायेगी. भारत की जीडीपी का आकार फिलहाल लगभग 2.6 ट्रिलियन डॉलर है.

भारतीय अर्थव्यवस्था ने साल 2007 से 2018 के बीच एक ट्रिलियन से बढ़कर 2.6 ट्रिलियन डॉलर का सफर तय किया है. अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत से आगे सिर्फ अमेरिका और चीन ही हैं. जानकारों के अनुसार, इस रफ्तार से भारत साल 2025 तक 05 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है.

पिछले दो साल में भारत की अर्थव्यवस्था में 337 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई. देश की जीडीपी वृद्धि दर (7.1) चीन की वृद्धि दर से आगे बनी हुई है. इस आधार पर भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था कहा जा रहा है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 33.98 लाख करोड़ रुपये रही , जो एक साल पहले इसी तिमाही में 31.72 लाख करोड़ रुपये थी.

सूचकांकों में भारत

30 वें स्थान पर आया भारत वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग सूचकांक 2018 में, कुल 100 देशों में, विश्व आर्थिक मंच के अनुसार.

77वां स्थान आया भारत का इज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक 2018 में, कुल 190 देशों में, विश्व बैंक तथा विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम के मुताबिक.

130 वां स्थान हासिल किया भारत ने मानव विकास सूचकांक 2018 में कुल 188 देशों में, संयुक्त संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार.

58 वें स्थान पर आया भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक 2018 में, कुल 140 देशों में विश्व आर्थिक मंच के अनुसार.

115 वें नंबर पर रहा भारत वैश्विक मानव पूंजी सूचकांक 2018 में कुल 157 देशों में विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक.

103 वां स्थान आया भारत का वैश्विक मानव भुखमरी सूचकांक 2018 में कुल 119 देशों में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार.

130 वें स्थान पर रहा भारत आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक 2018 में कुल 186 देशों में हेरिटेज फाउंडेशन एवं वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक.

44 वें नंबर पर आया भारत लॉजिस्टिक्स कुशलता सूचकांक 2018 में कुल 160 देशों में विश्व बैंक के अनुसार.

कृषि उत्पादन के आंकड़े

2.4 प्रतिशत लगभग हिस्सा विश्व के भौगोलिक क्षेत्र का भारत के पास ही आता है.

17.5 प्रतिशत लगभग हिस्से को पोषण प्रदान करना होता है, भारत को विश्व की कुल जनसंख्या का.

141.59 मिलियन टन खरीफ खाद्यान्न के कुल उत्पादन का अनुमान, यह पिछले साल हुए 140.73 मिलियन टन के खरीफ खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 0.86 मिलियन टन अधिक है.

99.24 मिलियन टन होने का अनुमान खरीफ चावल के कुल उत्पादन का, यह पिछले साल की 97.50 मिलियन टन की पैदावार से 1.74 मिलियन टन अधिक है.

7.1 प्रतिशत रही जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 की जुलाई-सितंबर तिमाही में, चीन की इस दौरान वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही.

7.6 प्रतिशत रही वृद्धि दर अप्रैल-सितंबर की छह माह की अवधि में, इसे दुनिया में सबसे ऊंची वृद्धि दर माना गया है इस कालखंड में.

6.8 प्रतिशत रही निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में

2.4 प्रतिशत घटा खनन उत्पादन जुलाई-सितंबर तिमाही में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, जबकि एक साल पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में इसमें 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी.

7.4 प्रतिशत की वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई-सितंबर तिमाही में दर्ज की गयी, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 7.1 प्रतिशत थी.

3.8 प्रतिशत कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर तिमाही में रही, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.6 प्रतिशत थी.

7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई निर्माण क्षेत्र में जुलाई-सितंबर तिमाही में, एक साल पहले जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी.

33.13 मिलियन टन रहा देश में पौष्टिक/मोटे अनाजों का कुल उत्पादन, वर्ष 2017-18 के 33.89 मिलियन टन की तुलना में, मक्का उत्पादन 21.47 मिलियन टन रहने का अनुमान, पिछले साल के 20.24 मिलियन टन की तुलना में इतना ही नहीं, यह पिछले पांच वर्षों में हुए औसत मक्का उत्पादन से 4.40 मिलियन टन अधिक है.

9.22 मिलियन टन खरीफ दालों के कुल उत्पादन का अनुमान, जो पिछले वर्ष के 9.34 मिलियन टन की तुलना में 0.12 मिलियन टन कम.

22.19 मिलियन टन खरीफ तेलहन का देश में कुल उत्पादन होने का अनुमान, जो वर्ष 2017-18 की तुलना में 1.19 मिलियन टन अधिक है.

383.9 मिलियन टन गन्ना उत्पादन का अनुमान लगाया गया, जो पिछले साल की तुलना में 6.99 मिलियन टन अधिक. यह उत्पादन पांच वर्षों में हुए औसत उत्पादन की तुलना में 41.85 मिलियन टन अधिक.

32.48 मिलियन गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) कपास का उत्पादन और जूट एवं मेस्ता का उत्पादन 10.17 मिलियन गांठ (प्रत्येक 180 किलोग्राम) होने का अनुमान.

जलवायु परिवर्तन से नुकसान

भारत की जीडीपी को जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों के कारण प्रतिवर्ष 1.5 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ रहा है. वैश्विक तापन में मौजूदा इजाफे से हमारे कृषि क्षेत्र के पैदावार में 4 से 5 की कमी दर्ज की जा चुकी है. ऐसे में अगर तापमान को 1.5 डिग्री से अधिक बढ़ने दिया जाता है, तो भारत में गरीबी में बढ़ोतरी दर्ज की जायेगी. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 68.47 करोड़ लोग भुखमरी की स्थिति में रहती हैं, जिसमें से 19.59 करोड़ लोग भारत में रहते हैं. दुनियाभर के 5.05 करोड़ कुपोषित बच्चों में से 2.55 करोड़ बच्चे भारत में रहते हैं. इसलिए, कृषि और खाद्य सुरक्षा देश के लिए अहम मुद्दा है.

नवीनतम व्यापार आंकड़े

अप्रैल से अक्तूबर 2018-19 के समग्र निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17.17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं, अप्रैल से अक्तूबर 2018-19 के समग्र आयात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 18.88 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

निर्यात 191.01 117.30 308.32

आयात 302.47 72.41 374.88

व्यापार घाटा 111.46 44.89 66.57

स्रोत : वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार

देशवार आयात-निर्यात आंकड़े

(बिलियन अमेरिकी डॉलर में)

निर्यात

देश 2017-18 2018-19 (अप्रैल से अक्तूबर)

चीन 13,333.53 9,306.10

अमेरिका 47,878.48 30,750.08

ईरान 2,625.37 1,765.92

बांग्लादेश 8,614.35 5,165.23

पाकिस्तान 1,924.28 1,179.91

आयात

देश 2017-18 2018-19 (अप्रैल से अक्तूबर)

चीन 76,380.70 42,584.73

अमेरिका 26,611.03 20,655.60

ईरान 11,111.52 10,189.08

बांग्लादेश 685.65 516.63

पाकिस्तान 488.56 338.65

नोट : इराक और सऊदी अरब के बाद भारत ईरान से सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है. भारत में करीब 12 प्रतिशत कच्चा तेल ईरान से आता है.

स्रोत : वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार

3.5 प्रतिशत बेरोजगारी दर

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के ताजा अांकड़े के अनुसार, वर्ष 2016 व 2017 की ही तरह अगले वर्ष भी बेरोजगारी दर 3.5 प्रतिशत पर बनी रहेगी. इस रिपोर्ट की मानें तो इस वर्ष भारत में जहां 1.86 करोड़ (18.6 मिलियन) लोग बेराजगार रहे, वहीं अगले वर्ष यह संख्या बढ़कर 1.89 करोड़ (18.9 मिलियन) हो जायेगी. बढ़ती बेरोजगारी से निबटने के लिए विश्व बैंक ने भारत से 81 लाख (8.1 मिलियन) नौकरियां प्रतिवर्ष सृजित करने को कहा है.

रुपये की गिरावट

वर्ष 2018 में देश ने रुपये में ऐतिहासिक गिरावट देखी और 70 के आंकड़े को पार करते हुए एक डॉलर के मुकाबले अक्तूबर में 74.33 रुपये तक चला गया था. इसकी एक वजह रही डॉलर की मांग में बढ़ोतरी.

डॉलर एक मजबूत करेंसी है और विभिन्न देशों के बीच लेन-देन के लिए आमतौर पर डॉलर की जरूरत होती है. इस स्थिति में डॉलर की मांग बढ़ने और आपूर्ति कम होने पर देश की स्थानीय करंसी में गिरावट आने लगती है. भारत में कच्चे तेल का आयात करने के लिए डॉलर का इस्तेमाल होता है. इसलिए, जब तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, तो डॉलर की मांग भी बढ़ी. दूसरी तरफ, विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश बाहर ले जाने से भी संकट की स्थिति पैदा हुई और डॉलर की आपूर्ति घटी.

आयात ज्यादा और निर्यात कम होने से चालू खाते का घाटा भी बढ़ा, जो रुपये की कमजोरी की बड़ी वजह बना तथा देश का चालू खाता घाटा बढ़कर लगभग 18 अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया. अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार ने भी अपना असर दिखाया था और भारत ही नहीं, दुनिया की कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुईं.

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