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चुनौतियों को सफलता के अवसर में बदला पद्मश्री हर्षवर्द्धन नेवटिया ने, जानें इनकी सक्सेस जर्नी के बारे में
सीमेंट उद्योग में पद्मश्री हर्षवर्द्धन नेवटिया का नाम पूरी प्रतिष्ठा से लिया जाता है. मोदी सीमेंट के बीमारग्रस्त यूनिट को अधिग्रहित कर उसे नयी पहचान देने वाले हर्षवर्द्धन अंबुजा नेवटिया समूह द्वारा संचालित कई कंपनियों के चेयरमैन हैं, जो रियल इस्टेट, हाउसिंग, हॉस्पिटिलिटी, हेल्थ केयर व शिक्षा से संबंधित हैं. राष्ट्रपति ने उन्हें सोशल हाउसिंग […]
सीमेंट उद्योग में पद्मश्री हर्षवर्द्धन नेवटिया का नाम पूरी प्रतिष्ठा से लिया जाता है. मोदी सीमेंट के बीमारग्रस्त यूनिट को अधिग्रहित कर उसे नयी पहचान देने वाले हर्षवर्द्धन अंबुजा नेवटिया समूह द्वारा संचालित कई कंपनियों के चेयरमैन हैं, जो रियल इस्टेट, हाउसिंग, हॉस्पिटिलिटी, हेल्थ केयर व शिक्षा से संबंधित हैं.
राष्ट्रपति ने उन्हें सोशल हाउसिंग में उत्कृष्ट कार्य के लिए 1999 पद्मश्री से सम्मानित किया. 2005 में उन्हें वाइपीओएल लीगेसी सम्मान भी मिला. 2018 में विद्यासागर विश्वविद्यालय ने उन्हें डीलिट की मानद उपाधि प्रदान की. इन कामयाबियों पर उनसे पुरुषोत्तम तिवारी ने खास बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश.
Q आपकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि का आधार क्या है ?
मेरी व्यावसायिक पृष्ठभूमि का आधार संयुक्त परिवार का व्यवसाय रहा है. हमारा परिवार एक समृद्ध परिवार रहा है. सीमेंट की दुनिया में अंबुजा सीमेंट की अपनी एक विशिष्ट पहचान रही है. छत्तीसगढ़ में मोदी सीमेंट का कारखाना बीमारग्रस्त यूनिट के रूप में था, जिसका अंबुजा सीमेंट ने अधिग्रहण किया. तब मोदी सीमेंट का मुख्यालय भी कोलकाता था.
हमारा कारोबार मुख्यत: बंगाल और बिहार में था. पिताजी के कहने पर सीमेंट के कारोबार को बढ़ाने की जिम्मेदारी ली. 10 वर्षों तक संघर्ष करते हुए बीमार सीमेंट कंपनी को लाभकारी कंपनी के रूप में बदला. हमारा संयुक्त परिवार का व्यवसाय था और बाद में सबके निर्णय से अंबुजा सीमेंट को एसीसी सीमेंट को बेच दिया गया.
Q व्यवसाय के नये क्षेत्र को आपने कैसे चुना?
सीमेंट के व्यवसाय का अनुभव तो था ही, इसलिए नये व्यवसाय को चुनने के लिए विशेष माथापच्ची नहीं करनी पड़ी. पिताजी के एक दोस्त के पास एक जमीन का टुकड़ा था. मेरा भी मन भवन निर्माण के व्यवसाय से जुड़ने का था.
पिताजी से इत्तेफाक ही पूछ लिया कि क्यों न यहां एक अपार्टमेंट बनाया जाये. मेरी बात सुनकर वे बोले : जो भी करो, उसमें तुम्हारी दिलचस्पी होनी चाहिए और व्यवसाय में ईमानदारी. उन्होंने मुझे यह मंत्र दिया और कहा कि तुम्हारी सफलता का आधार यही होगा- जो कहो उसे ईमानदारी से पूरा करो. मैंने अपना पहला भवन निर्माण का प्रोजेक्ट बनाया और सब कुछ आकलन करके उन्हें कागज पर दिखाया कि इससे इतना लाभ होगा. तब पिताजी ने कहा कि भवन निर्माण का तुम्हारा उद्देश्य क्या है? इसे गहराई से समझो.
जिन लोगों के लिए फ्लैट बना रहे हो, उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए उसे पूरा करो. भले ही लाभ कम हो, लेकिन ग्राहक तुम्हारे कारोबार से संतुष्ट और आश्वस्त हों. व्यवसाय की पूंजी भरोसा ही है. भरोसा जीत लिए तो समझो व्यवसाय चल निकला. पिताजी की इन बातों को ध्यान में रखते हुए रियल इस्टेट के कारोबार की दुनिया में कदम रखा.
Qआपका कारोबार किन क्षेत्रों में है?
हमारी विभिन्न कंपनियां हाउसिंग व टाउनशिप, रिटेल, कॉमर्शियल, हाॅस्पिटिलिटी, एजुकेशन, हेल्थकेयर आदि क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कारोबार कर रही है. हाउसिंग व टाउनशिप में उदयन, उल्हास, द रेसीडेंसी, उत्तरायण, उर्वशी, उत्सा, उज्ज्वला, उजास, उपहार, उट्टालिका व उद्वैत, रिटेल में सिटी सेंटर साल्टलेक, सिटी सेंटर न्यूटाउन, सिटी सेंटर सिलीगुड़ी, सिटी रायपुर, सिटी सेंटर हल्दिया, सिटी सेंटर पटना (भावी परियाेजना), कॉमर्शियल में इकोस्पेस, इकोस्टेशन, इकोसूइट, इकोसेंटर, हास्पिटेलिटी में द फोर्ट रायचक- रायचक ऑन गंगेज, गंगा कुटीर-रायचक ऑन गंगेज, अन्या विलास – रायचक ऑन गंगेज, गंगा आवास-रायचक ऑन गंगेज, स्वीसोटेल कोलकाता नेवटिया विस्टा, द कॉन्कलेव, क्लब इकोहब बाई कॉन्कलेव, क्लब वर्दे बाई कॉन्कलेव, क्लब मोंटाना बाई कॉन्कलेव, अफरा, अफरा डेली, द ओरिएंट, टी जंक्शन, स्वभूमि- द हेरिटेज प्लाजा एवं भावी योजनाओं में चिया कुटीर, राज कुटीर, गुरास कुटीर एजुकेशन में द नेवटिया यूनिवर्सिटी नेवटिया, एकेडमी ऑफ नर्सिंग, द रवींद्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन वैल्यूज, सीआइआइ सुरेश नेवटिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर लीडरशिप हेल्थकेयर में भागीरथी नेवटिया वूमन एंड चाइल्ड केयर सेंटर, नेवटिया गेटवेल हेल्थकेयर सेंटर, जीनोम- द फर्टिलिटी सेंटर व नेवटिया मेडिप्लस आदि शामिल हैं.
Q कारोबार की सफलता में परिवार की कितनी भूमिका रही?
कारोबार की सफलता में मेरे परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पिताजी विनोद नेवटिया कहते थे कि यह समझ लो कि हर चीज तुम्हारी इच्छा के अनुकूल नहीं हो सकती, भले ही उसमें तुमने बुद्धि लगायी हो, परिश्रम किया हो. हर चीज भगवान की लीला से होता है. अपनी बुद्धि से जो अच्छा हो, वही करो और परिणाम ऊपरवाले पर छोड़ दो. श्रीमद्भागवत गीता भी यही कहती है. पिताजी व्यवसाय के साथ आध्यात्मिक सीख भी देते रहते थे.
ताउजी सुरेश नेवटिया ने मुझे लोगों से व्यवहार कुशलता सिखाया. साथ ही कला और सौंदर्य की दृष्टि दी. इसी के चलते कला की दुनिया के कारोबार को समझ सका. पत्नी मधु नेवटिया मेरे व्यवसाय में हाथ बंटाती हैं. हमारी कंपनी के हॉस्पिटिलिटी और हेल्थ केयर के कारोबार को वह देखती हैं. साथ ही कंपनी के कला एवं संस्कृति के विभाग को भी संभालती हैं.
Q चुनौतियों को आपने कैसे झेला?
व्यवसाय हो या जीवन, आपके कहने से तो चुनौती आयेगी नहीं और न ही जायेगी. हर क्षेत्र में चुनौतियां आती रहती हैं. उसका सामना करने के अलावा आपके पास कोई विकल्प नहीं है.
चुनौतियों का मुकाबला करते समय पिताजी की वह बात सहज ही याद आती है कि हर चीज तुम्हारे अनुकूल नहीं होगी. कोई भी समस्या, चाहे पारिवारिक हो, आर्थिक हो या व्यावसायिक हो, जीवन में परिवर्तन लाती है. सही परिवर्तन हो, इसके लिए सकारात्मक दृष्टि अपनानी होती है. जीवन में जो भी चुनौतियां आती हैं, धीरज और ठंडे दिमाग से उसे अवसर के रूप में बदलने का प्रयास करता हूं.
Q पद्मश्री का सम्मान मिलने पर कैसा लगा?
सन 1999 में सोशल हाउसिंग के लिए मुझे भारत सरकार की ओर से पद्मश्री का सम्मान मिला. सम्मान मिलने पर आश्चर्य और खुशी, दोनों हुई. साथ ही सम्मान से एक उत्तरदायित्व भी मिला. कोशिश करता हूं कि उसे निभाऊं.
Q ईश्वर पर आपकी आस्था है?
मैं पूजा-पाठ में ज्यादा विश्वास नहीं करता, लेकिन हां, एक असीम सत्ता है चाहे उसे ईश्वरीय सत्ता ही क्यों न कहा जाये, उस पर विश्वास करता हूं. यह मानना पड़ेगा ही कि एक शक्ति है, जो सबको संचालित करती है.
उस असीम शक्ति को मैं सादर नमन करता हूं. धर्म, अध्यात्म से अलग होता है. जीवन को कैसे चलाया जाये, यह मूल्यों पर आधारित होना चाहिए. हमारे सद्ग्रंथ रामायण, गीता, पुराण, उपनिषद आदि जीवन मूल्यों की ही बात करते हैं. संत-महात्माओं के प्रवचन एवं लेखों का अंग्रेजी अनुवाद पढ़ता रहता हूं. इससे एक मन में ढांचा तैयार होता है कि किस उसूल पर चलूं. कुछ उसूल ऐसे हैं, जो हर समय प्रासंगिक होते हैं.
Q नोटबंदी और जीएसटी ने व्यवसाय को किस तरह प्रभावित किया है?
यह सही है कि नोटबंदी और जीएसटी के चलते कुछ समय के लिए व्यवसाय में ठहराव-सा आ गया था, लेकिन इसका कुप्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है. एक समय था कि रियल इस्टेट का व्यवसाय ठप-सा हो गया था, लेकिन अब लगता है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद दीर्घकालीन लाभ होगा.
सफलता का राज क्या है?
कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. सफलता का यही मंत्र है और होना भी चाहिए. इसके साथ ही चुनौतियों को अवसर के रूप में बदलने से सफलता मिलती है. परिवार के सदस्यों और कंपनी के कर्मचारियों का सहयोग का सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है.
बचपन का सपना क्या था?
याद नहीं. संयुक्त परिवार के परिवेश में पालन-पोषण हुआ था. कॉलेज की पढ़ाई के बाद पैतृक व्यापार से जुड़ गया. समय के साथ नये व्यावसायिक क्षेत्रों में कदम बढ़ाता गया और सपने बनते गये. आज कुल 1500 करोड़ के व्यवसाय के संचालन का सौभाग्य मिला है.
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