रांची: राज्य के कई अधिकारी राजनीतिक रेस में पीछे छूट गये हैं. इन अधिकारियों ने अपनी सर्विस छोड़ कर राजनीति का दामन थामा था. इनको उम्मीद थी कि चुनावी समर में जनता का साथ मिलेगा, लेकिन, ऐसा नहीं हो सका. इनकी आशाओं पर पानी फिर गया है.
पंजाब कैडर के पुलिस अधिकारी डॉ अरुण उरांव, झारखंड कैडर से आइएएस अधिकारी विमल कीर्ति सिंह, सेवानिवृत्त अधिकारी मुख्तयार सिंह तथा एचइसी के पूर्व सीएमडी जीके पिल्लई सहित कई अन्य अधिकारियों ने राजनीतिक दलों का दामन थामा था. विमल कीर्ति सिंह, जीके पिल्लई और मुख्तयार सिंह ने तो भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली थी.
तीनों चुनाव भी लड़ना चाहते थे. विमल कीर्ति सिंह के नाम की चर्चा धनबाद और जमशेदपुर सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जोरों पर थीं, लेकिन भाजपा ने धनबाद के वर्तमान सांसद पीएन सिंह व जमशेदपुर से विद्युत वरण महतो पर भरोसा दिखाया. झारखंड के विकास आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त होने वाले मुख्तयार सिंह सेवानिवृत्ति के बाद भी पलामू में सक्रिय रहे हैं. वहां कई सामाजिक संगठनों के कार्यक्रमों में शामिल भी हुए. पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म दिन के मौके पर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी. इनमें से कुछ अधिकारियों को चुनावी राजनीति में जगह मिल गयी है. भाजपा ने पलामू से पूर्व डीजीपी वीडी राम को प्रत्याशी बनाया है. हालांकि सांसद ब्रजमोहन राम ने पार्टी के इस निर्णय पर अपनी नाराजगी भी जतायी है.
गौरतलब है कि डॉ अरुण उरांव चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले वीआरएस लेकर राजनीतिक मैदान में उतरे. वे लोहरदगा संसदीय सीट से भाग्य आजमाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने वहां से वर्तमान सांसद सुदर्शन भगत पर ही विश्वास किया. हालांकि डॉ उरांव ने सार्वजनिक बयान दिया है कि वे आगे भी पार्टी की सेवा करते रहेंगे.
दो पुलिस अधिकारी सफल
चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले राजनीति में आनेवाले दो अधिकारी सफल हुए. इसमें एक पूर्व पुलिस महानिदेशक वीडी राम तथा दूसरे सुबोध प्रसाद हैं. श्री राम भाजपा की टिकट पर पलामू आरक्षित सीट से उम्मीदवार हैं. वहीं आजसू पार्टी ने सुबोध प्रसाद को गोड्डा सीट से प्रत्याशी बनाया है.