रूसी क्रांति के बाद वर्ष 1918 में रूस के अंतिम शासक जार निकोलस दो की परिवार समेत हत्या कर दी गयी थी. उस समय उनकी दो बहनें जिनिया और ओल्गा किसी तरह बच गयी थीं. ओल्गा रूस में ही व्हाइट आर्मी के संरक्षण में रहती थी, जबकि जिनिया, क्रिमिया में निर्वासित जीवन जी रही थी. ओल्गा ने अपनी बहन जिनिया को 52 चिट्ठियां लिखीं, जिनमें मित्र राष्ट्रों के प्रति उनकी नाराजगी साफ दिखती है. यह नाराजगी इसलिए भी अधिक दिखती है क्योंकि निकोलस – 2 का संबंध ब्रिटेन के शाही परिवार से भी था.
एक चिट्ठी में ओल्गा लिखती हैं – मित्र राष्ट्र सिर्फ बोलते हैं, करते कुछ नहीं हैं (ऑल वर्ड्स नो एक्शन). ओल्गा की चिट्ठियों से पता चलता है कि उनके परिवार को नहीं बचाने की वजह से मित्र राष्ट्र के प्रति उनके मन में बहुत गुस्सा है. ओल्गा ने बोल्शेविक सेना से बचने के लिए सभी चिट्ठियों को अंगरेजी में लिखा था. पहले विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद ब्रिटेन और फ्रांस रूस में वोल्शेविक के खिलाफ व्हाइट आर्मी के समर्थन में आ गये, लेकिन निकोलस दो को नहीं बचा सके.