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साथी भी और सेवक भी हैं डॉगी

बच्चों को डॉगी खूब भाते हैं. डॉगी के छोटे-छोटे पप्पीज का तो कहना ही क्या. छोटे पप्पीज के साथ खेलना, उनके साथ पार्को में घूमना, गेंद खेलना यह सब बच्चों के लिए फेवरेट गेम होता है. कभी वे मम्मी-पापा से नजरें बचा कर उन्हें घर में भी ले आते हैं. डॉगी सिर्फ बच्चों के खेलने […]

बच्चों को डॉगी खूब भाते हैं. डॉगी के छोटे-छोटे पप्पीज का तो कहना ही क्या. छोटे पप्पीज के साथ खेलना, उनके साथ पार्को में घूमना, गेंद खेलना यह सब बच्चों के लिए फेवरेट गेम होता है. कभी वे मम्मी-पापा से नजरें बचा कर उन्हें घर में भी ले आते हैं. डॉगी सिर्फ बच्चों के खेलने की वस्तु नहीं, अपितु हमारे साथी और घरों के रक्षक भी होते हैं. डॉगी भावनाओं को पहचानने में बहुत तेज होते हैं. मालिक के सुख-दुख को समझते हैं और सदा उनके साथ रहते हैं.


डॉगी है तो समझो ‘ऑल इज वेल’

डॉग को मनुष्यों का साथी माना जाता है. पुराने जमाने से ही यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बना रहा है. अब हाइ-फाइ माडर्न सोसायटी के लोग हों या गरीब, डॉगीज को रखने में कोई भी पीछे नहीं. दुनिया में लगभग 500 प्रजातियों के डॉग पाये जाते हैं. इन सभी की खासियत अलग-अलग है. जानते हैं इनमें से प्रमुख प्रजातियों के बारे में सौरभ चौबे के आलेख से.

इंसान सामाजिक प्राणी है. वह अपनी जरूरतों के लिए एक -दूसरे से जुड़ा होता है. सर से पांव तक की जरूरतों के लिए उसे दूसरे इंसान या जीव पर निर्भर होना पड़ता है. इन्हीं जरूरतों ने दोस्त बनाने की शैली का विकास किया. जरूरी नहीं कि इंसान के दोस्त सिर्फ इंसान ही हों. मनुष्य दूसरे जीवों से भी दोस्ती करता है. वह दूसरे जीवों को पालता है ताकि उसकी जरूरतें पूरी हो सकें.

साथ ही उन जीवों के साथ एक भावनात्मक बंधंन में भी बंध जाता है. इंसानों के साथ जीवों का बंधन पाषाण काल से ही चला आ रहा है. गाय, बैल, भैंस, घोड़ा, हाथी, बकरी, भेड़, मुर्गी, खरगोश, बिल्ली, बत्तख, तोता और कुत्ता आदि इन जीवों में प्रमुख हैं. इनमें बहुत से जीवों से वे आहार भी लेते हैं. हालांकि, अब हाथी-घोड़ों को पालना आम नहीं है, पर बाकी जीव भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए रीढ़ का काम करते हैं. कुछ जीव जैसे- कुत्ता (डॉगी), बिल्ली, खरगोश और तोता शहरों में भी पाले जाते हैं. ये गरीब और अमीर दोनों के घरों की शोभा बढ़ाते हैं. डॉगी को सुरक्षा और उसके वफादारी के लिए भी लोग उसे घर में रखते हैं. आदिकाल में भी लोग जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए डॉगी को साथ रखते थे. रात में जब वे जंगलों में सो रहे होते थे, तब डॉगी उनके पास ही उनकी रखवाली करता था और जैसे ही किसी जंगली जानवर के पास आने की भनक उसे लगती वह भौंकना शुरू कर देता, जिससे उसका मालिक सचेत हो जाता था. यह परंपरा वह आज भी बड़े ही वफदारी से निभा रहा है.

डॉगी की प्रजातियां
विश्व में लगभग 500 डॉगीज की प्रजातियां पायी जाती हैं. इनमें से 90 प्रतिशत भारत में पायी जाती हैं. भारत में पाये जानेवाले प्रजातियों में जर्मन शेफर्ड, गोल्डेन रीट्रीवर, कॉकर स्पेनियल, पॉमेरियन, बॉक्सर, पग, सेंट बनार्ड, डॉबर मैन, लेबरा डॉग आदि प्रमुख हैं.

पग : यह बड़ा ही प्यारा डॉगी है. इसकी शोहरत हच कंपनी के ऐड बाद बहुत बढ़ गयी थी. आज भी इसका क्यूट चेहरा देखते ही इसे पुचकारने का मन करता है. पग को काफी इंटेलिजेंट और फ्रेडली डॉगी माना जाता है. यह मोटा ही पैदा होता है, इसलिए इसके खाने पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. यह हिरणों के रंग का और सफेद होता है.

पॉमेरियन : इसे भारत में झवला कुत्ता भी कहते हैं, क्योंकि इसके पूरे बॉडी पर बड़े-बड़े बाल होते हैं. यह बहुत ही इंटेलिजेंट और सेंसिबल माना जाता है. यह काफी सतर्क और चेहरे के भाव को पढ़नेवाला डॉगी है. पग की तरह ही इसकी हाइट भी कम होती है.

जर्मन शेफर्ड : भारत में इस ब्रीड के डॉगी की मांग ज्यादा है. सिक्योरिटी फोर्सेज में भी इस प्रजाति का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए ‘डॉग शेल’ बनाया जाता है, जहां इन्हें प्रशिक्षित किया जाता है. जर्मन शेफर्ड भी मूल रूप से जमर्नी की प्रजाति है. इसकी औसत ऊंचाई 24 से 26 इंच होती है. यह गहरे भूरे रंग के शेड में पाया जाता है.

गोल्डेन रिट्राइवर : इसका ओरिजन ब्रिटेन है. यह बड़े साइज का डॉगी है, जिसकी औसत ऊंचाई 26 इंच के होती है. गोल्डेन रिट्राइवर के बाल बड़े होते हैं और उसके बॉडी से लेकर पैर तक झूलते हैं. उसके बाल उसके खूबसूरती का हिस्सा भी हैं. यह सुनहरे और हल्के सुनहरे रंग का होता है. यह काफी चौकन्ना और शतर्क माना जाता है. यह खेल-कूद में भी आगे रहता है, इसलिए लोगों के मनोरंजन का केंद्र भी बना रहता है.

डोबरमैन पिनस्चर : यह जर्मनी मूल का डॉगी है. यह भी बड़े साइज का होता है, पर यह पतला-दुबला किंतु काफी एक्टिव माना जाता है. यह बहुत ही सतर्क होने के साथ ही आज्ञाकारी भी होता है. इस कारण लोग इसे सेफ्टी के लिए भी पालते हैं. यह सफेद, लाल, नीला आदि रंग का होता है.

तिब्बती स्पैनियल : यह छोटे आकार का बहुत ही क्यूट डॉगी होता है. इसके शरीर पर सर से पैर तक बाल होते हैं, जो इसकी खूबसूरती बढ़ाते हैं. यह 10 इंच से बड़ा नहीं होता. यह बहुत ही चतुर होता है और अनजान लोगों को देखते ही सतर्क हो जाता है.

लैबराडोर रिट्राइवर : यह कनाडा मूल का डॉगी है, जो भारत में भी काफी मशहूर है. यह मिडियम ऊंचाई का मोटा डॉग है. इसके बाल घने और पैर तक एक समान होते हैं, जिसके कारण यह काफी क्यूट नजर आता है. यह चॉकलेटी, क्रीम और काले रंग का होता है. लैबरा को मजबूत और चुस्त माना जाता है. यह बहुत ही फ्रेंडली होता है.

बुलडॉग : यह मिडियम हाइट का डॉग है. बुलडॉग अपने अजीब से चेहरे के कारण फेमस है. यह फ्रेंडली होता है और घरेलु परिवेश में आसानी से ढ़ल जाता है. इसका शरीर काफी डिल-डॉलवाला होता है.

प्यारे से डॉगी का केयर
आम तौर पर लोग डॉगी के काटने या उसके नाखून से इंफेक्शन को लेकर डरते हैं. पर, डॉक्टरों का मानना है कि अगर उनकी साफ -सफाई का ध्यान रखा जाये और समय पर उन्हें टीके दिलवाये जायें, तो डॉगी रखना हमेशा शेफ होता है. डॉगी को नहाने के लिए कॉरबोलिक सोप का प्रयोग करना चाहिए, जैसे- लाइफबॉय इत्यादि. डॉगी का वैक्सीनेशन उसे पालनेवाले के साथ उसे रोगमुक्त रखने के लिए भी जरूरी होता है.

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