झारखंड राज्य के गठन के 13 साल बाद भी अभी तक मंत्री, विधायक एवं पदाधिकारी आदि के लिए न तो आवास चिह्नित किये गये हैं और न ही उनके आवंटन हेतु कोई नियम कानून एवं प्रक्रिया बन पायी है. प्रत्येक राज्य में मंत्रियों एवं पदाधिकारियों के लिए आवास चिह्नित होते हैं तथा उसी के अनुसार आवासों का आवंटन किया जाता है किंतु झारखंड में मंत्री बनने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा एवं पसंद के अनुसार आवासों का चयन कर उन्हें अपने लिए आवंटित कराने हेतु पूरी ताकत से लग जाता है.
राज्य के मुख्यमंत्री के लिए हालांकि आवास चिह्नित है किंतु वर्तमान मुख्यमंत्री ने अपने पूर्व आवंटित आवास को ही मुख्यमंत्री आवास में परिवर्तित कर दिया. इस हेतु अनुमंडलाधिकारी के आवास को भी उससे जोड़ कर मुख्यमंत्री सचिवालय से उसे जोड़ा गया है. इस परिवर्तन में करोड़ों रुपये खर्च हुए.
शायद यह पहला राज्य है जहां मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक के आवास भी पदाधिकारी के पदस्थापन के साथ बदलते रहते हैं क्योंकि पहले से पद पर रहने वाले खाली नहीं करते. राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो सहित हेमलाल मुर्मू, मथुरा महतो आदि से उनका आवास खाली कराने की बात तो दूर, उन्हें किसी ने इस कार्य हेतु नोटिस भी नहीं भेजा.
आश्चर्य की बात तो यह है कि इनके आवास को अपने लिए आवंटित करने के लिए किसी वर्तमान मंत्री ने पत्र भी नहीं लिखा जबकि बैद्यनाथ राम, राजा पीटर, विमला प्रधान, चंद्र प्रकाश चौधरी आदि पूर्व मंत्रियों के आवास अपने लिए आवंटित कराने की वर्तमान मंत्रियों में होड़ लग गयी थी. एक ओर जहां जिन पदाधिकारियों को उनके पे स्केल के अनुसार जिस कैटेगरी का आवास मिलना चाहिए था, उन्हें अभी तक या तो आवास आवंटित नहीं हुआ है अथवा कामचलाउ रूप में कोई अन्य आवास दे दिया गया है.
कुछ अधिकारियों को आवास आवंटन करने का कोई नियम नहीं है, पर वे या तो आवासों में कब्जा जमा कर अवैध रूप से रह रहे हैं या येन केन प्रकेण आवास आवंटित करा चुके हैं. धनवार के जेवीएम विधायक श्री निजामुद्दीन अंसारी एफ टाइप का आवास पाने में सफल रहे. झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष सुखदेव भगत को सुरक्षा के नाम पर आवास आवंटित किया गया है.
बोर्ड/निगम के अध्यक्ष को आवास आवंटित करने का प्रावधान नहीं है किंतु जेएमडीसी के अध्यक्ष विदेश सिंह को एफ 35 आवास आवंटित कर बाकी बोर्ड/निगम के अध्यक्ष उपाध्यक्ष आदि के लिए भी आवास देने का मार्ग प्रशस्त कर दिया गया है. एक ओर जो भी आवास जिस भी मंत्री को मिला है उनमें से कोई भी उससे संतुष्ट नहीं है. उसमें रिपेयर के अलावा अतिरिक्त कमरे/कार्यालय आदि का निर्माण हो रहा है.
भवन निर्माण विभाग प्राथमिकता के आधार पर करोड़ों रुपये स्वीकृत कर चुका है इसमें भवन निर्माण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी का आवास भी शामिल है. वे पहले भी इसी आवास में थे. उसमें रिपेयर एवं कमरों आदि के निर्माण हेतु 17 लाख 29 हजार रुपये की स्वीकृति दी गयी है. इसी प्रकार एनोस एक्का के मकान की मरम्मत हेतु भवन निर्माण विभाग ने 47 लाख रुपये से अधिक राशि के प्राक्कलन की स्वीकृति दी है.
आवासों की स्थिति का वर्तमान हाल पूरी तरह से भवन निर्माण विभाग के अधिकारी भी नहीं जानते हैं. कई पदाधिकारी एवं कर्मचारी जिस मकान में अवैध रूप से बिना आवंटन के रह रहे हैं और उन्होंने उस आवास को ही अपने नाम से आवंटित करने हेतु महीनों पहले से आवेदन दिया है. किंतु उन्हें वह मकान आवंटित नहीं हो रहा है. इसका दोहरा घाटा सरकार को हो रहा है. एक ओर जहां मकान के एवज में पदाधिकारी/कर्मचारियों के वेतन से कोई कटौती नहीं हो रही है, वहीं दूसरी ओर वे पदाधिकारी/कर्मचारी मकान भत्ता मद में सरकार से एक बड़ी राशि ले रहे हैं.
।। जयेश कुमार ।।
– प्रमुख लोगों के आवास पर खर्च
* हेमंत सोरेन के आवास को मुख्यमंत्री आवास में बदलने के बाद उसके उत्क्रमण/जीर्णोद्धार हेतु स्वीकृत राशि पांच करोड़ से अधिक .
* पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के मोरहाबादी आवास हेतु स्वीकृत राशि 57 लाख रुपये से अधिक
* पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के पुराने सर्किट हाउस के आवास हेतु स्वीकृत राशि लगभग एक करोड़.
* पूर्व मंत्री ददई दुबे के सेक्टर-3 आवास हेतु स्वीकृत राशि एक करोड़ से अधिक
* मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह के आवास हेतु स्वीकृत राशि 42 लाख.
* विधायक एनोस एक्का के आवास हेतु स्वीकृत राशि 47 लाख.