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सशक्त महिला,विकसित राष्ट्र: नाजिया ने छू लिया आसमान

-अमिताभ कुमार- रांची विश्वविद्यालय के गेट से अंदर आती एक महिला चेहरे को नकाब से ढके हुए है. वह अपने परिवार में पहली लड़की हैं, जिन्होंने कॉलेज की दहलीज पर कदम रखा. इतना ही नहीं उन्होंने अपने कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में भी कामयाबी के झंडे गाड़े और आज रांची विश्वविद्यालय में संयुक्त सचिव […]

-अमिताभ कुमार-

रांची विश्वविद्यालय के गेट से अंदर आती एक महिला चेहरे को नकाब से ढके हुए है. वह अपने परिवार में पहली लड़की हैं, जिन्होंने कॉलेज की दहलीज पर कदम रखा. इतना ही नहीं उन्होंने अपने कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में भी कामयाबी के झंडे गाड़े और आज रांची विश्वविद्यालय में संयुक्त सचिव के पद पर हैं. उस लड़की का नाम है : नाजिया तब्स्सुम. नाजिया ने यह कामयाबी अपने कड़े संघर्ष से पायी.

आज वह दूसरों को अधिकार दिलाने के काम में व्यस्त हैं. नाजिया ने वर्ष 2007 में मौलाना आजाद कॉलेज का चुनाव लड़ा और सचिव पद के लिए उनका चुनाव हुआ. यह उनके जीवन की पहली कामयाबी थी. उनका कहना है कि मुसलिम समाज में लड़कियों को ज्यादा पढ़ने नहीं दिया जाता है. वैसे में मेरा घर के बाहर आकर इस तरह चुनाव लड़ कर जीतना सचमुच मेरे जीवन की बड़ी कामयाबी थी. उन्होंने इसके बाद वापस मुड़ कर पीछे नहीं देखा. उन्होंने झारखंड छात्र संघ का दामन थामा और रांची विश्वविद्यालय का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्हें 65 वोट से जीत मिली.

छात्रों के हित के लिए लड़ीं
झारखंड लोक सेवा आयोग में हुए घोटाले को उजागर करने में नाजिया ने भी अभियान चलाया. उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित 35 जगहों पर न्याय के लिए दरवाजा खटखटाया. जिसके पश्चात जेपीएससी नियुक्ति घोटाले का उद्भेदन हुआ. इतना ही नहीं रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं के लिए भी इन्होंने आवाज उठाई. कॉलेजों में 180 दिन की पढ़ाई लागू करवाने का श्रेय इनको जाता है. इन्होंने राम लखन सिंह यादव कॉलेज की जमीन को बचाने के लिए भी लड़ाई लड़ी. अल्पसंख्यक युवक-युवतियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना इनके रोज के दिनचर्या में शामिल है. आदिम जनजाति के छात्रों की फीस कॉलेज में कम करवाने का काम इन्होंने किया.

सामाजिक कल्याण के कार्य में
नाजिया ने महिलाओं को उनका हक दिलाने की लड़ाई भी लड़ी. महिला सशक्तीकरण और सामाजिक उत्थान की मांगों को इन्होंने अंजुमन इस्लामिया में रखा और रांची में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करवाई. इतना ही नहीं इन्होंने मुंबई आतंकी घटना के विरुद्ध मानव श्रृंखला का आयोजन किया. वर्ष 2008 मे बिहार में आयी बाढ़ के लिए कॉलेजों में राशि इकट्ठा करके राज्यपाल को सौंपा.

मिला है कई सम्मान
नाजिया को इनके काम के कारण कई सम्मान मिल चुके हैं. लोकसेवा समिति ने महिला सशक्तीकरण और युवा नेतृत्व के लिए इन्हें झारखंड रत्न (2011) से सम्मानित किया. इसी तरह अल-हिलाल(2012), महिला रत्न अवार्ड 2010, इंसाफ दोस्त सम्मान 2010, सर सैयद अहमद खां कौमी एकता अवार्ड जैसे सम्मान से इन्हें नवाजा जा चुका है.

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