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…तो क्या अमेरिका-जपान के संबंधों के जख्म को भर सकेगा ”पर्ल हार्बर”?

पर्ल हार्बर : उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध वर्ष 1939-45 के दौरान हुए विश्व युद्ध ने यूं तो दुनिया की तकदीर बदल कर रख दी थी, लेकिन अमेरिकी नौसैनिक अड्डा पर्ल हार्बर पर जापान की ओर से 7 दिसंबर, 1941 को किये गये मात्र 15 मिनट के हमले ने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल कर […]

पर्ल हार्बर : उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध वर्ष 1939-45 के दौरान हुए विश्व युद्ध ने यूं तो दुनिया की तकदीर बदल कर रख दी थी, लेकिन अमेरिकी नौसैनिक अड्डा पर्ल हार्बर पर जापान की ओर से 7 दिसंबर, 1941 को किये गये मात्र 15 मिनट के हमले ने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल कर रख दी थी. जापान की ओर से अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर किये गये इस हमले में जहां 24 सौ से अधिक सैनिक मारे गये थे, वहीं इसमें आठ जंगी जहाज समेत 19 जहाज और 328 अमेरिकी विमान पूरी तरह नष्ट हो गये थे. आज जब इस हमले के करीब 75 साल बाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान के दो अहम दुश्मन देशों के राष्ट्राध्यक्षों का पर्ल हार्बर में मुलाकात हुई, तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर 75 साल पहले होने वाली यह घटना एक बार फिर चर्चा में है.

इतिहासकारों और दुनियाभर की खबरों पर पैनी नजर रखने वाले ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के अनुसार, आज के 75 साल पहले जब जापान ने पर्ल हार्बर के अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर हमला किया था, तो दूर से ही दूसरे विश्व युद्ध में तमाशा देख रहे अमेरिका सीधे तौर पर इसमें शामिल होकर मित्र राष्ट्रों के साथ मोर्चा संभाल लिया था. इसी का दुष्परिणाम रहा कि वर्ष 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला करके पर्ल हार्बर का बदला चुकाया था. इस घटना के 75 साल बाद जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात हुई, तो राष्ट्रपति ओबामा ने उनका जोरदार स्वागत किया, लेकिन इसके साथ यह भी कहा कि ये संबंध पहले इतने मजबूत कभी नहीं रहे.

इस मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने यह भी कहा कि दुनिया भर के राष्ट्रों के चरित्र की परीक्षा युद्ध में ही होती है, लेकिन इसका निर्धारण शांति के समय होता है. उन्होंने कहा कि जब घृणा अपने चरम पर होती है, जब हम कबिलाई खींचतान के दौर में वापस पहुंच जाते हैं. हमें तब भी खुद में सिमटने की इच्छा से बचना चाहिए. हमें उन लोगों को शैतान बनाने की इच्छा से बचाना चाहिए, जो हमसे अलग हैं.

ओबामा ने कहा कि मैं मित्रता की भावना के तहत आपका यहां स्वागत करता हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि हम दुनिया को संदेश देंगे कि युद्ध के मुकाबले शांति में जीतने के लिए अधिक होता है और सुलह से प्रतिकार के बजाय अधिक प्रतिफल मिलता है. वहीं, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने जापानी लड़ाकों द्वारा मारे गये 2400 से अधिक अमेरिकी सैनिकों के परिवारों के प्रति सच्चे दिल से संवेदनाएं प्रकट कीं.

पर्ल हार्बर में दूसरे विश्व युद्ध के समय के दो दुश्मन देशों के वर्तमान राष्ट्राध्यक्षों के मिलन के दौरान जपानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने कहा कि हमें युद्ध की भयावहता को दोहराना नहीं चाहिए. अबे ने बराक ओबामा के नजदीक खड़े होकर सुलह की शक्ति की प्रशंसा की और जापान के प्रति सहिष्णुता अपनाने के लिए धन्यवाद किया.

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