।। दक्षा वैदकर।।
आप अपने ग्राहकों के साथ किये गये वादों को कितना निभाते हैं, यही बात आपके बिजनेस की ग्रोथ तय करती है. पिछले दिनों मुङो इसके दो उदाहरण देखने को मिले. मैं एक बहुत बड़ी बुक शॉप में गयी और वहां मैंने एक खास किताब मांगी. शॉप वाले ने कहा कि अभी यह किताब उपलब्ध नहीं है. आप अगर एडवांस दें, तो हम उसे तीन दिन में मंगवा देंगे. मैंने एडवांस दे दिये. उस दुकानदार ने वह किताब मुङो 18 दिन बाद ला कर दी. साथ ही, मुझसे दुकान के तीन चक्कर लगवाये. अब मुङो कोई भी दोस्त बुक शॉप के बारे में पूछता है, तो मैं यही हिदायत देती हूं कि उस दुकान से बिल्कुल भी मत लेना. वह वादे का पक्का नहीं है.
एक अन्य उदाहरण लें. मेरी एक दोस्त का जन्मदिन आने में एक सप्ताह का समय बचा था. उसे जन्मदिन में पहनने के लिए सूट सिलवाना था. इत्तफाक से उसका टेलर शहर में नहीं था, इसलिए उसने मुझसे पूछा कि तुम सूट कहां सिलवाती हो? मैं उसे अपने टेलर की दुकान पर ले गयी. टेलर ने नाप लेने के बाद पूछा, ‘कब चाहिए सूट?’ दोस्त ने कहा, ‘छह दिन में चाहिए, ताकि सातवें दिन मैं नया सूट ऑफिस पहन कर जा सकूं.’ टेलर ने कहा, ‘इतनी जल्दी सूट बनाना मुमकिन नहीं है. मेरे पास बहुत ऑर्डर हैं.’ टेलर से बहुत देर रिक्वेस्ट करने के बाद आखिरकार वह सूट छठे दिन देने को राजी हो गया. मैं और मेरी दोस्त ऑफिस आये और डरे-डरे हमने दो-तीन दिन निकाले. हमें डर था कि छठे दिन दुकान में जाने पर वह यह न कह दे कि सूट नहीं सिल पाया. वक्त नहीं मिला. दोस्त और मैं भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि यह टेलर वादे का पक्का निकले. भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली.
छठे दिन सुबह-सुबह टेलर ने मुङो फोन कर के कहा, ‘आपकी सहेली का सूट तैयार हो गया है. मैंने सोचा फोन लगा कर बता दूं. आप लोग परेशान हो रहे होंगे.’ मैंने सहेली को यह सूचना दी और वह तुरंत जा कर सूट ले आयी. इस घटना के बाद से हम दोनों ने ही उस टेलर के पास न जाने कितनी सहेलियों को सूट सिलवाने के लिए भेजा है. हमारे द्वारा ग्राहक बढ़ाये जाने की वजह से वह हमें सिलाई में कुछ रुपयों की छूट भी देता है.