फ्रांस के प्रधानमंत्री मैनियेल वास ने दावा किया है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां लगभग रोज़ाना आतंकी साज़िशों को बेनक़ाब कर रही हैं और आतंकी नेटवर्क के ख़ात्मे के लिए काम कर रही हैं.
फ्रांस में बीते महीनों में हुए कई चरमपंथी हमलों के बाद से वहां की सरकार जिहादी चरमपंथियों की धर-पकड़ करने का अभियान चला रही है. फ़्रांसीसी प्रधानमंत्री के मुताबिक़ चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने के शक में लगभग 15000 लोगों पर नज़र रखी जा रही है.
इससे पहले शनिवार को राजधानी पेरिस में 15 साल के एक लड़के को चरमपंथी हमला करने के शक में उसके घर से गिरफ़्तार कर लिया गया. ये गिरफ़्तारी फ्रांस की सरकार के जिहादी चरमपंथियों से निपटने के मिशन का हिस्सा है.
जांचकर्ताओं के मुताबिक़ इस लड़के पर अप्रैल से ही निगरानी रखी जा रही थी और वो ख़ुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन के एक फ़्रांसीसी सदस्य राशिद क़ासिम के संपर्क में था.
फ़्रांसीसी प्रधानमंत्री मैनियेल वास ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां रोज़ाना ही साज़िशकर्ताओं का पता लगाकर उन्हें पकड़ रही हैं.
फ्रेंच रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में वास ने कहा, "क़रीब 1350 लोगों को हिरासत में लेकर उनकी जांच की जा रही है. इनमें से क़रीब 293 लोग सीधे आतंकी गुटों के संपर्क में हैं. इसके अलावा पूरे फ्रांस में 15 हज़ार लोगों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है क्योंकि उन लोगों से उग्रवाद का बड़ा ख़तरा है.”
पिछले साल नवंबर में हुए आतंकी हमले के बाद से ही फ़्रांस इमरजेंसी की स्थिति में है.
इस्लामिक स्टेट के इस हमले में 130 लोगों की जानें गई थीं. फ्रांस के राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलांद ने इस हमले को देश के ख़िलाफ़ लड़ाई क़रार दिया था. हालांकि हाल में एक जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में लगी इमरजेंसी सुरक्षा व्यवस्था को पुख़्ता करने में पूरी तरह से असरदार साबित नहीं हुई है.
फ्रांसीसी प्रधानमंत्री ने माना कि फ्रांस पर अब भी आतंकी हमले का डर मंडरा रहा है और आगे भी ऐसे हमले हो सकते हैं. उन्होंने फ्रांस की सुरक्षा व्यवस्था कमज़ोर होने के लिए पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी को ज़िम्मेदार ठहराया.
उनका कहना था, ”एक राष्ट्रपति के तौर पर वो पूरी तरह ग़लत साबित हुए. उन्होंने हमारा सुरक्षा बजट घटाया. सुरक्षाबलों में काम कर रहे लोगों की संख्या में कटौती की. क़ानून का डर दिखाकर आतंक पर क़ाबू पाने की उनकी नीति नाकाम साबित हुई. विशेश अदालतें और ऐसे अपराधियों के लिए विशेष जेल बनाना इस समस्या का हल नहीं है. अमरीका ने ग्वांतानामो बे में जेल बनाई. इससे क्या अमरीका पर आतंकवाद का ख़तरा कम हो गया.”
फ्रांस में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. लोगों का मानना है कि सुरक्षा का मुद्दा इन चुनावों मेें अहम भूमिका निभाएगा.
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