अर्जेंटीना दुनिया में जेनेटिकली मोडिफ़ाई सोया के सबसे बड़े निर्यातक देशों में एक है लेकिन यहां के स्थानीय लोग सोया की फसल में इस्तेमाल होने वाले खर-पतवार नाशक दवाई से आतंकित हैं.
उनका मानना है कि ये दवाइयां उन्हें बीमार कर रही हैं.
होरासिओ ब्रिगनोन अर्जेंटीना के एक गांव में रहते हैं. अपने घर की खिड़की से वे सोया के खेत देख सकते हैं.
उनका बेटा तीन साल की उम्र से दमा से पीड़ित है लेकिन उनका कहना है कि जब वो हाल ही में शहर रहने गया तो उसके दमा के लक्षण गायब हो गए. उनका बेटा अब बीस साल का है.
उन्होंने बताया, "दो साल पहले जब से वो कोरडोबा पढ़ने गया तब से उसे दमा का दौरा नहीं पड़ा है. लेकिन अभी जब वो दो महीने पहले वापस घर लौटा तब उसे फिर से कफ़ की शिकायत शुरू हो गई है."
उन्होंने इसके लिए सोया के खेत में खर-पतवार नष्ट करने वाली दवाई के छिड़काव को ज़िम्मेदार ठहराया.
ब्रिगनोन का कहना है, "हम सोया के खेत से महज़ पचास मीटर की दूरी पर रहते हैं. हम निश्चित तौर पर तो नहीं कह सकते लेकिन सांस और त्वचा की बीमारी यहां के लोगों में आम है."
ब्रिगनोन की पत्नी रोसालिया रैमोंडा सालों से त्वचा पर चकत्ते होने की बीमारी से जूझ रही हैं.
उन्होंने बताया, "ये चकत्ते लाल हो जाते हैं और इनमें खुजली होती है. सालों से ऐसा हो रहा है और मैं हमेशा कहती रहती हूं कि कुछ खाने से हो गया होगा."
हाल के दशकों में अर्जेंटीना में सोयाबिन के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है. जेनेटिकली मोडिफ़ाई फ़सलों के बारे में माना जाता है कि उसमें कम मात्रा में खर-पतवार नाशक की जरूरत पड़ती है.
लेकिन जैसे ही खर-पतवार में प्रतिरोध की क्षमता विकसित हुई वैसे ही अधिक मात्रा खर-पतवार नाशक का इस्तेमाल होने लगा.
आम तौर पर अर्जेंटीना में खर-पतवार नाशक के रूप में ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल किया जाता है.
अर्जेंटीना फेडरेशन ऑफ़ मेडिकल प्रोफेशनल्स ने ग्लाइफोसेट पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग कर चुका है लेकिन इसके हानिकारक होने को लेकर बहुत सारे मतभेद हैं.
यूरोपीय संघ ने हाल ही में कहा है कि यूरोप में 18 महीनों के लिए इसके इस्तेमाल को फिर से लाइसेंस देना एक सुरक्षित कदम था.
डॉक्टर डैमियन वर्ज़िनैसी यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोसारीओ में मेडिकल साइंस के फ़ैकल्टी हैं. उनकी अगुवाई में एक टीम अर्जेंटीना के पंपास क्षेत्र में 2010 से 25 समुदायों के अस्सी हज़ार लोगों के स्वास्थ्य पर शोध कर रही है.
यह एक सर्वे आधारित शोध है ना कि मेडिकल जांच के आधार पर होने वाली.
शोध से पता चला है कि इन दूर-दराज़ के इलाकों में चालीस फ़ीसदी आबादी सांस की समस्या से जूझ रही है. अर्जेंटीना के बाकि हिस्सों से यह आकड़ा अधिक है.
लेकिन इसके बावजूद कीटनाशक और इंसान के स्वास्थ्य के बीच संबंध स्थापित करना संभव नहीं है.
कृषि उद्योग से जुड़ा अर्जेंटीना का मंत्रालय इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता है.
लेकिन सरकार समर्थक सांसद एडुआर्डो एमाडीओ ने ग्लाइफोसेट या खर-पतवार नाशक और लोगों की बीमारी के बीच कोई संबंध होने की संभावना से इंकार किया है.
उन्होंने कहा, "एक भी मामला ऐसा नहीं है जिसका ग्लाइफोसेट से संबंध को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जा सकता है. ग्लाइफोसेट जैसे खर-पतवार नाशकों की बदौलत दुनिया में कृषि उत्पादन तिगुनी हो चुकी है. अगर ये नहीं होते तो दुनिया को भूखे रहना होता."
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