शरीर में चोट किसी को भी, कभी भी लग सकती है. विशेषकर बच्चों में तो यह एक आम बात है, खेलते हुए गिर जाना, साइकिल चलाते हुए चोट लगना, दीवार से टकरा जाना, पलंग से सोते समय करवट लेने वक्त गिर जाना. मगर कम लोग जानते हैं कि हड्डी के चोट में भी होमियोपैथिक दवाएं बेहद असरदार हैं. टूटी हड्डी को जोड़ने में जितनी जल्दी होमियोपैथिक दवा असर करती है, शायद ही कोई और दवा का असर होगा.
बच्चे तो बच्चे हैं. खेल-कूद में चोट लगा बैठते हैं. मगर चिंता की कोई बात नहीं. होमियोपैथी में असरदार उपाय है. कुछ दवाओं का आकस्मिक चोट में बेङिाझक इस्तेमाल कर आराम पा सकते हैं. विभिन्न अंगों की चोट की विभिन्न दवाएं हैं. इन्हें घर पर रखें और निश्चित हो जायें, किसी भी चोट से निजात पाने के लिए. प्रत्येक दवा का चोट के मामले में भी अपना दायरा है, इसलिए शरीर के विभिन्न अंगों की चोट में अलग-अलग दवाएं लाभ देती हैं, इसलिए यह जानें की चोट कहां की है, तभी सटीक दवा का चयन कर पायेंगे.
सड़क दुर्घटना या लोहे की चोट में : किसी भी तरह की चोट की अचूक दवा है अर्निका मोनटाना. कहीं गिरने पर, लोहे, डंडे की चोट, सड़क पर, घर में गिर जाने पर चोट लगने पर, शरीर पर खरोंच, चोट की जगह पर नीलापन आ जाना, सूजने पर तुरंत ‘अर्निका 30’ शक्ति की दवा तीन-तीन घंटे पर दें. जादुई असर दिखेगा. पुरानी चोट में भी यह अत्यंत लाभदायक है. यहां तक की मेंटल यानी दिमागी चोट में भी यह बेजोड़ दवा है.
ग्लैंड की चोट : किसी भी ग्लेडुलर टिशु जैसे स्तन, मदरे के टेस्टीकल में चोट लगे तब ‘कोनियम’ नामक औषधि की 30 शक्ति को 6-6 घंटे पर दें.
नस की चोट : जब कभी नर्व या नर्व तंतु में चोट लगे, जैसे- किसी की अंगुली या हाथ दरवाजे में कुचल जाये या भारी वस्तु के गिरने पर अंग दब जाये तो हायपेरिकम 30 शक्ति दवा 4-4 घंटे पर दें और तुरंत आराम पाएं.
टेंडन की चोट : जब कभी टेंडन में चोट लग जाये (यह वह तंतु है जो किसी मांसपेशी को हड्डी से जोड़ता है), उसमें खिंचाव या चोट लग जाये तब एनाकार्डियम ओरियेंटलिस 200 औषधि सुबह, रात को रोजाना दें. कम-से-कम 3 महीनों तक लें.
कार्टिलेज की चोट : कार्टिलेज वह तंतु जो दो हड्डियों के बीच में उपस्थित रहता है और उन्हें जोड़ने का काम करता है. आमतौर पर घुटने के जोड़ों के बीच में यह चोट लगती है. तब उसे जोड़ने में आरजेंटम मेट 200 दवा-जादू सा काम करती है.
आंखों में चोट : यह चोट भी साधारण-सी गलती से लग जाती है तब आंख लाल, आंख से पानी एवं दर्द उत्पन्न हो जाता है. ऐसे में आप देर न करें और ‘सिम्फाइटम’ 200 शक्ति की दवा 3-3 घंटे के अंतराल में दें और आंखों की चोट के दुष्परिणाम से आंखों को बचाएं.
पेरिओस्टीयम की चोट : हड्डी की जो बाहरी सतह होती है, अगर वह चोट से ग्रसित हो जाये तब हड्डी में संक्रामक रोग (आस्टियोमेलाइटिस) होने की संभावना हो जाती है. अगर यह चोट पेरिओस्टीयम की है तब ‘रूटा’ दवा को 200 शक्ति में 4-4 घंटे पर दें और हड्डी को संक्रमित होने से बचाएं.
मोच आना : कभी-कभी अचानक ऊपर-नीचे पैर होने पर, सीढ़ियों से उतरते समय पैर में मोच या भारी सामान उठाने पर हाथों या कमर में मोच (स्प्रेन) आ जाती है. ऐसे में ‘बेलिस पेरेंसीस’ 200 एवं रक्स टक्स 200 शक्ति दवा 2-2 घंटों के अंतराल पर दें.
आग या गर्म तेल-पानी से जलने पर: आग से जलने पर जब तक फफोले पैदा नहीं हुए हैं तब तक कैन्थरिस मूल अर्क छ: बूंदे 3-3 घंटे पर एक कप पानी के साथ दें.
दर्द, लहर में तत्काल आराम मिलेगा और फफोले नहीं होंगे. गर्म तेल या पानी से जलने पर ‘अर्टिका यूरेन’ मूल अर्क 6 बूंदे 4-4 घंटे पर एक कप पानी के साथ दें. इन उपायों से हड्डी संबंधित तकलीफों में लाभ मिलेगा.
प्रो (डॉ) एस चंद्रा
एमबीबीएस (पैट) एमडी (होमियो) चेयरमैन, बिहार राज्य होमियोपैथी चिकित्सा बोर्ड, पटना