Advertisement
रांची में पढ़ीं, अब विदेशों में कर रहीं जॉब
उड़ान. रांची की बेटियां अपनी मेहनत के बल पर विदेशों में बना रही हैं पहचान रांची की बेटियाें का परचम अब सिर्फ अपने देश में ही नहीं, विदेशों में भी लहरा रहा है. झारखंड की बेटियां विदेशों में रांची और झारखंड का मान बढ़ा रही है़ं इन्होंने अपनी प्रतिभा और सफलता के हौसले के दम […]
उड़ान. रांची की बेटियां अपनी मेहनत के बल पर विदेशों में बना रही हैं पहचान
रांची की बेटियाें का परचम अब सिर्फ अपने देश में ही नहीं, विदेशों में भी लहरा रहा है. झारखंड की बेटियां विदेशों में रांची और झारखंड का मान बढ़ा रही है़ं इन्होंने अपनी प्रतिभा और सफलता के हौसले के दम पर विदेशों में अपनी पहचान बनायी है़ विदेशों में बड़ी कंपनियों में अपनी पहुंच बना कर अपने देश का डंका बजा रही है़ं कुछ बेटियों ने तो अपनी मेहनत और लगन के बदौलत आर्थिक तंगी और विपरित परिस्थितियों को मात देकर अपनी पहचान बनायी है़ रांची की कुछ ऐसी ही होनहार बेटियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो विदेशों में बड़ी कंपनियों में कार्यरत रह कर सफलता का उड़ान भर रही हैं. पेश है लता रानी की िरपोर्ट
वर्जिनिया विवि में रोबोटिक्स में कर रही हैं स्पेशलाइजेशन
श्रीया ने अपनी आर्थिक तंगी को मात देते हुए अपनी मेहनत और लगन के दम पर विदेशों तक अपनी पहुंच बनायी है़ श्रीया के पिता का देहांत तब गया था, जब वह दसवीं की छात्रा थी.
ऐसे में उसकी परवरिश की जिम्मेवारी उनकी मां पर आ गयी. मां को आर्थिक तंगी से जूझते देख उसने जी-तोड़ मेहनत की और आगे स्कॉलरशिप हासिल कर पढ़ाई पूरी की़ उसने दुर्गापुर से बीटेक की डिग्री हसिल की़ फिर दुर्गापुर सीएमइआरआई में दो वर्ष जेआइएफ के पद पर काम किया़ काम के साथ जीआरई की परीक्षा की तैयारी भी की और इसमें वह पास कर गयी.
फिर उसे अमेरिका के वर्जिनिया टेक यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमएस के लिए दाखिला मिला़ वहां श्रीया आज रोबोटिक्स में स्पेशलाइजेशन कर रही है़ श्रीया का थिसिस रोबोटिक्स एक्सो स्केलेटन बनाना है़ इसे इक्विपमेंट को पहन कर एक व्यक्ति जिसके कमर के नीचे का हिस्सा बेजान हो गया है, वह चल सकता है़ श्रीया अपनी थिसिस टीम की इलेक्ट्रोनिकल हेड है़ इस काम के लिए उन्हें ग्रैजुएट रिसर्च अस्सिटेंट के तहत यूनिर्वसिटी की ओर से सौ प्रतिशत फंड दिया जा रहा है.
यूएसए के लाइफ इंश्याेरेंश कंपनी में कर रही हैं जॉब
रांची की अपर बाजार निवासी कविता वर्मा यूएसए के लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में काम करती है. बचपन से ही प्रतिभा उनमें कूट-कूट कर भरी थी़ उनकी क्रियेटिविटी ने उन्हें विदेशों में भी पहचान दिलायी़ कविता लोरेटो कॉन्वेंट की छात्रा है़ उन्होंने चंडीगढ़ के एमएच यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया़ फिर अमेटी यूनिवर्सिटी, दिल्ली से एमबीए की पढ़ाई की़ दिल्ली में जॉब के दौरान ही मुंबई के करण पनवार से उनकी शादी हो गयी़ शादी के बाद पति के साथ यूएसए जाना हुआ़ पति यूएसए में एरेक्शन कंपनी में काम करते है़
वहीं कविता यूएसए के प्लेनो के टेक्सास स्थित इंश्योरेंस कंपनी में कार्यरत है़ वह यूएसए में ही इवेंट मैनेजमेंट का काम भी देख रही है़ इसके अलावा ज्वेलरी का काम भी डील कर रही है़ कविता एक साथ कई तरह के काम करना जानती है़ विदेशों में वह काम की बदौलत अपनी छाप वहां छाेड़ रही है़
अमेरिका के पीडब्ल्यूसी में दे रही हैं अपनी सेवा
कांके रोड निवासी जूही गाड़ोदिया ने अमेरिका से मास्टर इन इनफॉरमेशन सिस्टम की पढ़ाई पूरी की़ वह लॉरेटो की छात्रा है़ वहीं प्लस टू की पढ़ाई उसने तमिलनाडू से पूरी की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गयी़ पिछले दस वर्षों से वह वाशिंगटन स्थित पीडब्ल्यूसी में योगदान दे रही है़ं जूही के पति दीपक मोदी भी रांची के अपर बाजार के ही रहनेवाले है़ उन्होंने भी अपनी पढ़ाई अमेरिका से पूरी की़ अमेरिका में ही कंपनी में सीनियर कंप्यूटर इंजीनियर के पद पर कार्यरत है़ं दोनों शादी के बाद अब अमेरिका में ही सेटल है़ं जूही और दीपक की एक वर्ष की बेटी है़ जूही अपने घर और अपने नौकरी को आसानी से टैकल करना जानती है़ दोनों जगहों पर वह अपना किरदार बखूबी निभा रही है़ जूही कहती है कि इंडिया की तुलना में विदेशों में काम करने के तौर-तरीके अलग है़ं विदेशों में स्कोप और एक्सपोजर ज्यादा है़
हांगकांग के इंटरनेशनल चिल्ड्रेन स्कूल में है टीचर
शहीद चौक निवासी मेघा इन दिनों हांगकांग में इंटरनेशनल चिल्ड्रेन इंस्टीट्यूट ऑफ स्कूल में टीचर है़ मेघा मूल रूप से एक सीए है़ उन्होंने हांगकांग में ही दाे वर्ष तक केपीएमजे कंपनी में बतौर सीए की नौकरी की़ फिर बेटी होने के बाद टीचर का जॉब अपनाया़ बच्चों को पढ़ाना उनका शाैक रहा है़ अपने शौक को पूरा करने के लिए वह अब एक शिक्षिका का किरदार निभा रही है़
मेघा रांची स्थित मोदी बुटिक्स की संचालिका संगीता मोदी की बेटी है़ फैशन व बुटिक्स का भी उन्हें उतना ही ज्ञान है़ शादी के पहले बुटिक्स में भी अपना योगदान देती रही है. फिर शादी के बाद पिछले दस वर्षों से हांगकांग में रहना हो रहा है़ मेघा के पति भी हांगकांग में सीए का जॉब कर रहे है़ं मेघा की स्कूलिंग लॉरेटो कॉन्वेंट, रांची से हुई़ वहीं मेओ कॉलेज अजमेर से आगे की पढ़ाई उसने पूरी की़ फिर संत जेवियर्स कॉलेज से सीए किया़
न्यूयॉर्क के मैनहटन में सीए के पद पर हैं कार्यरत
कांके रोड निवासी सुचिता रांची के डीएवी हेहल की छात्रा है़ उसने मारवाड़ी कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद रांची से ही सीए की पढ़ाई पूरी की़ कुछ समय के लिए उन्होंने यहां सीए की नौकरी भी की़ शादी के बाद वह यूएसए चली गयी़ वहां उन्होंने सीपीए किया़ फिर जॉब. कुछ वर्ष काम करने के बाद न्यूयॉर्क के मैनहैटन में न्यू बर्गर एसोसिएट कंपनी में बतौर सीए कार्यरत है़ सुचिता के पति भी अमेरिकन कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत है़ं दोनों की ढाई साल की एक बेटी है़ दोनों पूरी तरह से अब वहीं सेटल है़ं सुचिता बताती हैं कि मैनहैटन में काम कर उसे बहुत अच्छा लग रहा है़ वहां जिंदगी काफी खुशनुमा है़
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement