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इंडोनेशिया: 14 में से चार को मिली ‘मौत’

इंडोनेशिया में ड्रग अपराधों में मौत की सज़ा पाने वाले 14 लोगों में से चार को मृत्युदंड दे दिया है. रिपोर्टों के मुताबिक फायरिंग स्क्वैड ने स्थानीय समय के मुताबिक़ मध्य रात से कुछ देर बाद एक इंडोनेशियाई नागरिक और नाइजीरिया के तीन नागरिकों को मौत की सज़ा दी. मौत की सज़ा पर अमल नुसकम्बैंगन […]

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इंडोनेशिया में ड्रग अपराधों में मौत की सज़ा पाने वाले 14 लोगों में से चार को मृत्युदंड दे दिया है.

रिपोर्टों के मुताबिक फायरिंग स्क्वैड ने स्थानीय समय के मुताबिक़ मध्य रात से कुछ देर बाद एक इंडोनेशियाई नागरिक और नाइजीरिया के तीन नागरिकों को मौत की सज़ा दी.

मौत की सज़ा पर अमल नुसकम्बैंगन जेल द्वीप पर हुआ. अभी तक सरकार की ओर से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

ये अभी साफ़ नहीं है कि बाक़ी बचे दस लोगों की सज़ा को माफ़ कर दिया गया है या फिर उनकी सज़ा पर अमल आने वाले दिनों में होगा.

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मौत की सज़ा पर अमल की निंदा करते हुए इसे ‘निंदनीय’ कार्रवाई बताया है जिससे ‘अंतरराष्ट्रीय और इंडोनेशिया के क़ानूनों का उल्लंघन होता है.’

इंडोनेशिया में ड्रग्स से जुड़े कुछ क़ानून दुनिया में सबसे ज्यादा कड़े हैं. मौत की सज़ा की बहाली को लेकर इंडोनेशिया को दुनिया भर से कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है.

बीते साल ड्रग्स अपराधों के 14 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. इनमें से ज्यादातर विदेशी हैं.

राष्ट्रपति जोको विडोडो के पद संभालने के बाद से मौत की सज़ा पर अमल होने का ये तीसरा चरण है.

जकार्ता पोस्ट के मुताबिक अपने परिजन को अंतिम विदाई देने के लिए दिन के वक्त वहां रिश्तेदार जुटे थे. द्वीप पर 17 एंबुलेंस भेजी गईं थी जिनमें से 14 में ताबूत थे.

एक सूत्र ने स्थानीय मीडिया को बताया कि मौत की सज़ा पर अमल स्थानीय समय के मुताबिक़ शुक्रवार 00.45 बजे हुआ.

जिन लोगों को मौत की सज़ा दी गई उनमें इंडोनेशिया के फ्रेडी बडिमैन, नाइजीरिया के सेक ओसमैन, हम्फ्री जेफरसन एजिक और मिचेल टिटुज इग्वेह हैं.

मौत की सज़ा पाए लोगों में से जिनकी सज़ा पर अमल होना हैं, उनमें इंडोनेशिया के तीन नागरिक, भारत का एक नागरिक, पाकिस्तान का एक नागरिक, जिम्बाब्वे के दो नागरिक और नाइजीरिया के दो अन्य नागरिक शामिल हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता पाकिस्तान के नागरिक ज़ुल्फिकार अली के मामले को लेकर चिंतित हैं. उनका कहना है कि जुल्फ़िकार की पिटाई की गई ताकि वो मान लें कि उनके पास हेरोइन थी.

वहीं इंडोनेशिया की मेरी उतामी के बारे में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें धोखे से ड्रग तस्करी के काम में लगाया गया था.

साल 2014 में जब राष्ट्रपति विडोडो निर्वाचित हुए थे तब उन्होंने ड्रग तस्करी के ख़िलाफ़ कड़ा रुख अपनाने का वादा किया था.

उन्होंने कहा था कि दोषी ड्रग डीलरों की मौत की सज़ा को लेकर वो कोई समझौता नहीं करेंगे.

अप्रैल 2015 में ऑस्ट्रेलिया के दो नागरिकों को मौत की सज़ा दिए जाने के ख़िलाफ़ ऑस्ट्रेलिया ने पांच हफ्तों के लिए इंडोनेशिया से अपने राजदूत को हटा लिया था.

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