छत्तीसगढ़ में माओवादी होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बस्तर के पत्रकार सोमारू नाग को अदालत ने दोषमुक्त करार देते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया है.
गुरुवार को आए इस फ़ैसले ने बस्तर पुलिस के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
पत्रकार सोमारू नाग को पिछले साल 16 जुलाई को बस्तर के दरभा इलाके से गिरफ़्तार किया गया था.
पुलिस ने उन पर माओवादियों के साथ हिंसक गतिविधियों में भाग लेने का आरोप लगाया था. इसके बाद से ही वे जेल में थे.
नाग के वकील अरविंद चौधरी ने कहा-“पुलिस ने जितने भी झूठे आरोप लगाये थे, उनके पक्ष में कोई भी सबूत अदालत में पेश कर पाने में पुलिस असफल रही.”
सोमारू नाग के साथ गिरफ़्तार किए गए रामलाल और दसमन नामक दो ग्रामीणों को भी अदालत ने रिहा करने के आदेश दिए.
बस्तर में पत्रकारों की गिरफ़्तारी का मुद्दा पिछले साल भर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना रहा है.
सबसे पहले बस्तर पुलिस ने 16 जुलाई को दरभा इलाके से पत्रकार सोमारू नाग को माओवादी सहयोगी बता कर गिरफ़्तार किया था.
नाग की गिरफ्तारी पर शुरू हुआ विवाद थमा भी नहीं था कि 29 सितंबर को दरभा इलाके से ही पत्रकार संतोष यादव को पुलिस ने माओवादी मुठभेड़ में शामिल होने का आरोप लगा कर गिरफ्तार कर लिया.
इसके बाद अपने खिलाफ़ छपने वाली खबरों से नाराज पुलिस ने पत्रकार दीपक जायसवाल और पत्रकार प्रभात सिंह को भी कुछ पुराने मामलों का हवाला दे कर जेल भेज दिया गया.
पत्रकार दीपक और प्रभात सिंह को पखवाड़े भर पहले अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया, वहीं सोमारू नाग के मामले में अदालत ने पूरी सुनवाई के बाद नाग को बाइज्जत बरी करने का आदेश दे दिया.
सोमारू नाग की बाइज्जत रिहाई के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधा.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि बस्तर में हालात ख़राब हैं.
उन्होंने कहा-“ये रिहाई इस बात का जीता-जागता सबूत है कि बस्तर में पत्रकारों को पुलिस और प्रशासन की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. “
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