दक्षा वैदकर
कि सी ने फेसबुक पर बताया कि बीते दिनों जब वे दिल्ली एयरपोर्ट उतरे और वहां से नोएडा अपने घर जाने के लिए उन्होंने टैक्सी बुक की, तो टैक्सी वाले ने फोन पर नोएडा सुनते ही कह दिया कि वह वहां नहीं जायेगा. तभी सामने एक आम टैक्सी वाला खड़ा था. उसने हामी भर दी. रास्ते में उन्होंने पूछा कि नोएडा के नाम से टैक्सीवाले मना क्यों कर रहे हैं? उसने कहा, वहां से जब हम लौटते हैं तो हमें टोल टैक्स देना पड़ता है, इसलिए दिल्ली के ड्राइवर नोएडा नहीं जाना चाहते.
उन्होंने पूछा, लेकिन तुम वहां जाने के लिए क्यों मान गये? टैक्सीवाले ने कहा, ‘उन टैक्सीवालों ने गलत किया साहब. हमने टैक्सी की सेवा इस शर्त के साथ ली है कि पूरे एनसीआर में टैक्सी लेकर जायेंगे. फिर कहीं जाने से मना नहीं करना चाहिए. हमारी जिम्मेदारी है कि हम किसी को मना नहीं करें और उसे सुरक्षित घर तक पहुंचा दें.’ उन्होंने ड्राइवर से पूछा, ‘तुम कहां के हो? इतनी अच्छी बातें कहां सीखीं?’ वह बोला. ‘मेरा घर नूह (हरियाणा) है.
पहले हम किसान थे. गुजारा नहीं चल रहा था, इसलिए मैं दिल्ली आ गया. और रही बात कि मैंने ये बातें कहां से सीखीं, तो साहब, वक्त सब सिखा देता है. मेरे गांव में बहुत पैसे वाला एक आदमी था. वह लोगों से झूठ बोल कर, बहाने बना कर खूब पैसे ठगता था. उसने बहुत से लोगों की जमीन भी ठग ली थी. साहब, कुछ साल पहले मैंने उसे मरते देखा. वो बहुत बीमार होकर मरा.
मरना तो सबको है, पर साहब जिस दिन वो मरा न, गांव का एक भी आदमी उसके अंतिम संस्कार में नहीं गया. जिसे खबर मिलती कि वो मर गया है, उसके मुंह से यही निकला कि अच्छा हुआ… तभी मुझे सबक मिला कि गलत पैसा आदमी को नहीं फलता. चाहे जितनी देर हो, ऊपर वाले का इंसाफ पक्का है.’
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