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स्टार्टअप के उभर रहे कई नये ट्रेंड
भारत में स्टार्टअप का क्रेज कुछ साल पहले ही शुरू हुआ है, लेकिन इसकी कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब इसमें व्यापक पैमाने पर निवेश हो रहा है. फिन-टेक, हेल्थ-टेक और एसएएएस (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस) जैसे स्टार्टअप्स बीते साल के दौरान अच्छी संख्या में निवेशकों को आकर्षित करने […]
भारत में स्टार्टअप का क्रेज कुछ साल पहले ही शुरू हुआ है, लेकिन इसकी कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब इसमें व्यापक पैमाने पर निवेश हो रहा है. फिन-टेक, हेल्थ-टेक और एसएएएस (सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस) जैसे स्टार्टअप्स बीते साल के दौरान अच्छी संख्या में निवेशकों को आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं. इस वर्ष जहां ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और लोकल सर्विसेज से जुड़े स्टार्टअप्स के बीच गंठजोड़ कायम हुए हैं, वहीं अधिग्रहण के 20 से ज्यादा मामले भी सामने आये हैं.
भारतीय बाजार में निजी उद्यमों द्वारा किये जानेवाले डील्स यानी लेन-देन के समझौतों, अधिग्रहण और निवेश के आंकड़ों पर नजर रखनेवाली संस्था ‘क्जेलर्स8’ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में स्टार्टअप से संबंधित कई नये ट्रेंड भी उभर कर सामने आ रहे हैं. इसमें न केवल व्यापक निवेश, बल्कि िवलय और अधिग्रहण के मसले भी शामिल हैं. इस रिपोर्ट से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता रहा है यह आलेख…
देशभर में तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के बीच नये-नये किस्म के स्टार्टअप्स लगातार शुरू हो रहे हैं, साथ ही उनकी कामयाबी से जुड़े नये पहलू भी सामने आ रहे हैं. स्टार्टअप्स से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखनेवाली एक संस्था ‘क्जेलर्स8’ ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 की पहली छमाही (जनवरी से जून) के दौरान रिकॉर्ड डील्स को अंजाम दिया गया. इस वर्ष की पहली छमाही में जहां 654 डील्स किये गये, वहीं पिछले वर्ष की दूसरी छमाही (जुलाई से दिसंबर) के दौरान 536 डील्स को अंजाम दिया गया था. पिछले वर्ष की पहली छमाही में इनकी संख्या महज 279 रही.
इस वर्ष पहली तिमाही के दौरान 304 से ज्यादा स्टार्टअप्स ने 310 डील्स को अंजाम देते हुए 1.5 अरब डॉलर की रकम हासिल करने में कामयाबी पायी है. हालांकि, पिछले वर्ष की इसी अवधि यानी पहली तिमाही के मुकाबले यह रकम कम मानी जा रही है. पिछले वर्ष 341 स्टार्टअप्स द्वारा 344 डील्स के तहत इस दौरान कुल 1.7 अरब डॉलर का निवेश हुआ था. इनके विश्लेषण से यह पता चला है कि इन डील्स का एक बड़ा हिस्सा आरंभिक दौर में होनेवाले सीड एंड एंजेल इनवेस्टमेंट के प्रारूप में हुए थे, जो कुल डील की रकम का करीब 60 फीसदी रहा था.
फिन-टेक, हेल्थ-टेक और एसएएएस में तेजी
स्टार्टअप्स की दुनिया में ई-कॉमर्स से संबंधित उद्यम सबसे आगे बने हुए हैं. इसमें पिछली तिमाही यानी अप्रैल से जून, 2016 के दौरान 100 से ज्यादा डील्स हुए. लेकिन, एक नया ट्रेंड यह उभर कर आया है कि फिन-टेक, हेल्थ-टेक और एसएएएस यानी साॅफ्टवेयर एज ए सर्विस से संबंधित स्टार्टअप्स के निवेश और डील पोर्टफोलियो में तेजी आयी है.
इस अवधि के दौरान फिन-टेक स्टार्टअप्स में 32 डील्स, हेल्थ-टेक स्टार्टअप्स में 29 डील्स और एसएएएस में 20 से अधिक डील्स को अंजाम दिया गया. बीती तिमाही में एक नयी चीज यह भी दिखी कि छह उद्यमों ने आइपीओ यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग्स जारी किये, जिसमें टेक्नोलॉजी आधारित इंडस्ट्री के अलावा कृषि सेक्टर के तहत आनेवाले उद्यम भी शामिल रहे.
कॉन्सोलिडेशन में तेजी
वर्ष 2016 की पहली छमाही के दौरान स्टार्टअप्स के कॉन्सोलिडेशन यानी समामेलन में तेजी आयी. इस दौरान विलय एवं अधिग्रहण (मर्जर एंड एक्वीजीशन) से संबंधित 88 डील्स हुए. ऐसी प्रत्येक डील को खरीदार के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है. कई स्टार्टअप्स के साथ एक से अधिक डील हुए. अधिग्रहण के मामले में दिल्ली-एनसीआर सबसे सक्रिय लोकेशन रहा, जहां ऐसे 15 डील्स को अंजाम दिया गया. इसके बाद बेंगलुरु और मुंबई का स्थान रहा, जहां इन डील्स की संख्या क्रमश: 14-14 रही थी.
निवेश की संख्या में बेंगलुरु, जबकि राशि में दिल्ली-एनसीआर आगे स्टार्टअप्स में निवेश के मामले में बेंगलुरु फिर से टॉप पर रहा है. अप्रैल से जून, 2016 के दौरान बेंगलुरु में डील्स के 85 मसले सामने आये, जबकि इसके बाद दिल्ली का स्थान रहा, जहां इस दौरान 80 डील्स को अंजाम दिया गया.
लेकिन, यदि निवेश के रकम की बात करें, तो इस मामले में दिल्ली-एनसीआर ने भारत के सिलिकॉन वैली कहे जानेवाले बेंगलुरु को पीछे छोड़ दिया. दिल्ली-एनसीआर में इस अवधि के दौरान स्टार्टअप्स में 584 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ, जबकि बेंगलुरु में 539 मिलियन डॉलर का ही निवेश हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद, जयपुर, चंडीगढ़ और कोलकाता के अलावा देश के टीयर 2 शहरों में इस लिहाज से तेजी से बढ़ोतरी देखी गयी है.
नये फंड के साथ नयी उम्मीदें
इस अवधि के दौरान 11 विविध वेंचर कैपिटल फर्म्स और इन्क्यूबेशन सेंटर्स ने पूंजी एकत्रित की, जिसने भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ाने में
व्यापक योगदान दिया.
खंडवार मर्जर एंड
एक्विजिशंस डील्स
वर्ष 2016 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान खंडवार विलय एवं अधिग्रहण के सौदों (मर्जर्स एंड एक्विजिशंस डील्स) की संख्या इस प्रकार रही :
ई-कॉमर्स 8
लोकस सर्विसेज 7
लॉजिस्टिक्स 4
फूड-टेक 4
एड-टेक 4
एसएएएस 3
एनालिटिक्स 3
एजु-टेक 3
ट्रांसपोर्ट 3
डाटा & फैक्ट्स
‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ के स्टार्टअप्स सर्वाधिक लोकप्रिय विचार
74 फीसदी के साथ सर्वाधिक लोकप्रियता आंकी गयी है ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ की श्रेणी के स्टार्टअप्स की दुनियाभर में.
65 फीसदी लोकप्रियता आंकी गयी है ‘डाटा एनालिटिक्स’ से जुड़ा स्टार्टअप्स दुनियाभर में.
65 फीसदी ही लोकप्रियता आंकी गयी है ‘एसएएएस’ यानी सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस से जुड़े स्टार्टअप्स की भी.
64 फीसदी लोकप्रियता आंकी गयी है ‘फिनटेक’ से जुड़े स्टार्टअप्स की दुनियाभर में.
77 नये एक्सेलरेटर्स प्रोग्राम लॉन्च किये गये दुनियाभर में वर्ष 2015 के दौरान. (स्रोत : न्यूयॉर्क बिजनेस जर्नल)
कामयाबी की राह
20-20 मैच की तरह नहीं है स्टार्टअप
क्या आप अपना स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं या फिर आपने इसे शुरू कर दिया है? क्या आप पार्ट टाइम उद्यमी हैं और नौकरी करते हुए अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं? ऐसे में आपको किन चीजों पर फोकस करना चाहिए और बेहद आरंभिक स्टेज में यात्रा कैसे शुरू करनी चाहिए, जानते हैं इसके लिए कुछ जरूरी बातों को :
– 20-20 क्रिकेट मैच नहीं : सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि स्टार्टअप किसी 20-20 क्रिकेट मैच की तरह नहीं है. न ही यह किसी फुटबॉल मैच की तरह है और न ही कॉमेडी नाइट्स की तरह, जहां आप रातोंरात कामयाबी हासिल कर सकते हैं. आपका स्टार्टअप उस हालत में ही कामयाब हो सकता है, जब आप आगामी कई वर्षों तक उसे पूरे मनोयोग से संचालित करेंगे. नींव मजबूत होना सबसे जरूरी है. कारोबार शुरू करने के बाद क्लाइंट से अच्छे व्यवहार बना कर रखना होता है.
– सतत एक्शन : यह सभी स्टार्टअप के लिए जरूरी है. ओला, पेटीएम और इस तरह के न जाने कितने स्टार्टअप हैं, जिन्होंने बेहद सामान्य सेवाओं से शुरुआत की, लेकिन लगातार एक्शन में बने रहे और ग्राहकों के बीच लोकप्रिय हुए. आरंभ में उनका प्रोडक्ट आइडिया कुछ अलग किस्म का था, लेकिन लंबे समय तक लगातार लोगों के बीच काम करते रहने और उनके फीडबैक के जरिये जरूरी सुधार करते हुए अब वे टॉप ब्रांड के ई-कॉमर्स प्लेटफाॅर्म बन चुके हैं.
– बिजनेस डेवलपमेंट : यह प्रक्रिया सबसे महत्वूपर्ण है और बाजार में लाॅन्च करने के बाद आपको हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि आपके ग्राहकों की जरूरतें क्या हैं? और उनमें क्या बदलाव आ रहा है? इसे आपको पुनर्परिभाषित करते रहना होगा. इससे इतर किसी अन्य चीज पर फोकस करके आप अपने बिजनेस को डेवलप नहीं कर सकते.
– संस्थापक की भूमिका : किसी भी स्टार्टअप में संस्थापक को ही हर प्रकार की भूमिका का निर्वहन करना चाहिए. प्रोडक्ट प्लानिंग, सेल्स एंड मार्केटिंग, फाइनांस, ऑपरेशंस और ऑफिस मैनेजमेंट समेत सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े संबंधित अन्य कार्यों को उसे ही देखना चाहिए. स्टार्टअप को आगे ले जाने के लिए सभी समस्याओं को सुलझाने की जिम्मेवारी आपकी ही होती है. आप इससे बच नहीं सकते.
– शुरू में इएमआइ और वित्तीय बोझ से बचें : शुरुआती दौर में लोन लेने से बचना चाहिए. जब तक आप इस बारे में आश्वस्त न हो जायें कि लोन की रकम की इएमआइ को आप आसानी से चुका पायेंगे, तब तक आप लोन लेने के बारे में नहीं सोचें. चूंकि लोन से संबंधित सारी जिम्मेवारी आप ही के कंधों पर होगी, लिहाजा उसे चुकाने की हैसियत होने के बाद ही लोन लेने की कोशिश करें.
स्टार्टअप क्लास
लोन के िलए जरूरी है अच्छा बिजनेस प्लान
अपना उद्यम शुरू करने के इच्छुक युवाओं की जानकारियों को पुख्ता करते हुए इनकी आगे बढ़ने की राह आसान बनाने में सहयोग दे रहे हैं दिव्येंदु शेखर. कुछ ग्लोबल फाइनेंशियल और कंज्यूमर कंपनियों में काम करने के बाद अब ये ग्लोबल कॉरपोरेशंस और स्टार्टअप्स को ई-कॉमर्स और फाइनेंशियल प्लानिंग में सुझाव देते हैं. ‘स्टार्टअप क्लास’ में पढ़ें प्रभात खबर के पाठकों के सवालों पर इनके जवाब.
स्टार्टअप के तहत मैं किस तरह मैन्यूफैक्चरिंग का छोटा प्लांट शुरू कर सकता हूं और इसके लिए जानकारी कहां से मिलेगी? साथ ही इसके लिए बैंक से लोन कैसे मिलेगा? – विनय जायसवाल, कोलकाता और वीरेंद्र कुमार, मेहसी, पश्चिम चंपारण.
स्टार्टअप के तहत आप किसी भी प्रकार का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा सकते हैं. फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में अच्छा काम हो रहा है. अनेक युवा आजकल सोलर प्लांट के उद्यम भी लगा रहे हैं.
हर क्षेत्र की जानकारी आपको उस क्षेत्र के व्यापार मंडल से मिल सकती है. फूड प्रोसेसिंग के लिए आप एफएसएसएआइ से भी संपर्क कर सकते हैं. बैंक लोन आपको आपकी वित्तीय स्थिति के हिसाब से मिल सकता है. आप किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी बैंक की शाखा से बात कर जानकारी ले सकते हैं. लोन आपको तभी मिल सकता है, जब आपके पास एक अच्छा बिजनेस प्लान व शुरुआती पूंजी या जमीन हो. बैंक आपको लोन किसी संपत्ति के एवज में ही देंगे.
पंजीकरण की प्रक्रिया जानें
स्टार्टअप को रजिस्टर कराने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है? वेब डिजाइन कहां से करायें और इसमें कितना खर्च होता है?
– कुमार नीरज, गया़
स्टार्टअप को रजिस्टर करने के लिए आपको ‘एमसीए डॉट जीओवी डॉट इन’ पर जा कर अपनी कंपनी के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करनी होगी. आपको दो निदेशक बनाने पड़ेंगे और कंपनी के पूरे कागजात बनवाने होंगे. इस वेबसाइट पर आपको इस से जुड़ी सारी जानकारी और आवेदन प्रक्रिया मिल जायेगी. पंजीकरण में तकरीबन एक-से-डेढ़ महीने का समय लगता है.
एक अच्छी वेबसाइट बनाने के लिए आपको पहले एक डोमेन खरीदना पड़ेगा. ये आपको ‘गोडैडी डॉट कॉम’ या ऐसी अन्य वेब होस्टिंग कंपनियों से मिल सकता है. यहीं पर आपको काफी सारे वेब डेवलपर्स व होस्टिंग की सुविधा भी मिल जायेगी. एक अच्छी वेबसाइट आपको 50 हजार से दो लाख रुपये के बीच में मिल जायेगी. लेकिन अगर आपको वेबसाइट में काफी सारी फंक्शनलिटी डालनी है, तो यह खर्च 15-20 लाख रुपये तकभी हो सकता है.
शुरू में खुद पूंजी लगानी होती है
स्टार्टअप के माध्यम से किन-किन तरीकों से हम आर्थिक तरक्की कर सकते हैं? वित्तीय मदद कैसे हासिल की जा सकती है?
– उत्तम कुमार, पटना व मदन सिंह.
स्टार्टअप एक व्यापारिक उद्यम है, जो आपकी आजीविका चलाने में उसी प्रकार से मदद करता है, जैसे कोई और उद्यम करता है. इसमें कोई शक नहीं है कि लंबी अवधि में यह आपको आर्थिक फायदा देता है, लेकिन आरंभिक चार-पांच वर्षों में कड़ी मेहनत व पूंजी निवेश की जरूरत होती है.
शुरू में आपको खुद पूंजी लगाना होता है. अगर आपके पास कोई बहुत ही अच्छा बिजनेस प्लान है, तो आप निवेशकों से कुछ मदद ले सकते हैं. वित्तीय मदद आपको ‘सिडबी’ या फिर लघु उद्यम मंत्रालय से भी मिल सकती है, लेकिन वह भी ये शर्त रखते हैं कि थोड़ी पूंजी आप भी डालें! मगर आपको यह समझना पड़ेगा कि स्टार्टअप रातोंरात किसी को भी आर्थिक तरक्की नहीं देते. इसमें समय और मेहनत दोनों लगता है.
योजनाआें की जानकारी ले, निवेशकों से करें बात
बीइ के बाद मुझे चार वर्षों का इंडस्ट्रियल एक्सपीरिएंस है. स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के तहत मैं स्टील मैन्युफैक्चरिंग का वर्कशॉप शुरू करना चाहता हूं. इस प्रोग्राम से मुझे कैसे मदद मिलेगी?
– विक्रम कुमार, झारखंड.
वैसे तो सरकार ने स्टार्टअप इंडिया के तहत स्टील को एक प्रमुख सेक्टर माना है और टैक्स तथा लोन की सुविधाएं भी देने का सुझाव रखा है, लेकिन यह अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है.
मैं आपको यह सलाह दूंगा कि आप स्टार्टअप इंडिया के तहत अपना बिजनेस प्लान तथा पूंजी की जरूरत उनकी वेबसाइट पर जा कर डालें. पिछले दिनों 2,500 स्टार्टअप्स ने इसके लिए आवेदन दिया था, लेकिन सिर्फ एक का ही मंजूर हुआ है. इसीलिए मेरी ये सलाह होगी कि आप स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम से बाहर भी कुछ निवेशकों से बात करें. ऐसे निवेशक आपको ‘एंजल डॉट को’ पर भी मिल सकते हैं. इसके अलावा आप लघु उद्यम मंत्रालय तथा सिडबी से भी बात करें. ये समय-समय पर आप जैसे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी योजनाएं लाते रहते हैं.
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