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मंगल पर गहरी धारियां बहते पानी का संकेत दे सकती हैं :अध्ययन

वाशिंगटन : मंगल ग्रह पर दिखाई देने वाले गड्ढों की हजारों विशेषताओं के एक नये अध्ययन के अनुसार इस लाल ग्रह पर ढलाननुमा आकृतियों पर मौसम के अनुसार बार-बार पडने वाली रेखा और गहरे रंग की धारियां बहते पानी की मौजूदगी की ओर संकेत करती हैं. अध्ययन में मंगल की मध्यरेखा के पास के वैलीज […]

वाशिंगटन : मंगल ग्रह पर दिखाई देने वाले गड्ढों की हजारों विशेषताओं के एक नये अध्ययन के अनुसार इस लाल ग्रह पर ढलाननुमा आकृतियों पर मौसम के अनुसार बार-बार पडने वाली रेखा और गहरे रंग की धारियां बहते पानी की मौजूदगी की ओर संकेत करती हैं. अध्ययन में मंगल की मध्यरेखा के पास के वैलीज मारिनरीज क्षेत्र में गर्म मौसम की इन विशेषताओं का विश्लेषण किया गया. मौसम संबंधी प्रवाह दर्शा रहीं कुछ जगहों में दराई उभार और अलग-थलग चोटियां, धरातली आकृतियां हैं जो इन धारियों के सतह के नीचे से पानी सीधे तल तक पहुंचने के नतीजतन उभरने की बात की पुरजोर तरीके से व्याख्या करती हैं.

अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि गर्म मौसम में पिघलकर पानी आता होगा और इसकी वजह सतह पर उथली बर्फ होगी. इन जगहों पर इस तरह की विशेषताओं के लिए जो संभावित व्याख्याएं हो सकती हैं उनमें लवणों द्वारा वातावरण से पानी अवशोषित करना एक व्याख्या हो सकती है. इन लक्षणों को ‘रिकरिंग स्लोप लाइन’ (आरएसएल) कहा जाता है.

मंगल पर आरएसएल की खोज 2011 में हुई थी और उसके बाद से ये ग्रह पर तमाम अन्वेषणों में सबसे बहस वाले विषयों में शामिल हो गया है. यह आधुनिक मंगल की सतह पर किसी तरल पदार्थ के मौजूद होने का सबसे पुख्ता प्रमाण माना जा सकता है, भले ही वह अस्थाई हो.

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