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अमर प्रेम कथा : नगरवधू से राजा के प्रेम की कहानी
वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली के बारे में बौद्ध काल की कई दंतकथाएं प्रचलित हैं. इसके अलावा, भारतीय भाषाओं में उस पर केंद्रित बहुत से काव्य, नाटक और उपन्यास भी लिखे गये हैं. इनमें से कुछ में आम्रपाली और मगध सम्राट बिंबिसार के प्रेम का वर्णन है़ एक नगरवधू से राजा के प्रेम को जमाने […]
वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली के बारे में बौद्ध काल की कई दंतकथाएं प्रचलित हैं. इसके अलावा, भारतीय भाषाओं में उस पर केंद्रित बहुत से काव्य, नाटक और उपन्यास भी लिखे गये हैं. इनमें से कुछ में आम्रपाली और मगध सम्राट बिंबिसार के प्रेम का वर्णन है़ एक नगरवधू से राजा के प्रेम को जमाने के विरोध का सामना करना पड़ा. बाद में बुद्ध के उपदेश से प्रभावित होकर आम्रपाली बुद्ध और उनके संघ की अनन्य उपासिका हो गयी़
आम्रपाली अपूर्व सुंदरी, कुशल गायिका और लिच्छवी नर्तकी थी़ वह बेहद खूबसूरत थी और कहते हैं जो भी उसे एक बार देख लेता, वह उस पर मुग्ध हो जाता था. मगध सम्राट बिंबिसार भी आम्रपाली पर मोहित हो गये थे. दोनों ने एक-दूसरे से प्रेम किया़ बाद में बिंबिसार ने आम्रपाली काे पाने के लिए लिच्छवियों से युद्ध किया. इस युद्ध में जीत कर वह आम्रपाली काे मगध स्थित अपने राजमहल ले आये और उनसे विवाह किया़
लेकिन, एक नर्तकी से राजा का विवाह, राजपरिवार और समाज ने सहज स्वीकार नहीं किया़ आम्रपाली को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. राजमहल में आम्रपाली को अपमान के घूंट पीने पड़े़ इसलिए वह नगर के बाहर एक आम्र वन में रह कर संगीत साधना में लीन रहा करती थी.
एक अन्य लोककथा के अनुसार, आम्रपाली का जन्म वैशाली के आम्रकुंज में हुआ था. वह आम वृक्ष के नीचे से वैशाली गणतंत्र के महनामन नामक एक सामंत को मिली.
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