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‘दहशतगर्दी में भारत की रॉ का हाथ नई बात नहीं’

जावेद सुमरू बीबीसी संवाददाता, पेरिस पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने कहा है कि पाकिस्तान में दहशतगर्दी की घटनाओं में भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ का हाथ कोई नई बात नहीं है और यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता. बीबीसी उर्दू टीवी के कार्यक्रम सैरबीन में उन्होंने कहा […]

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पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने कहा है कि पाकिस्तान में दहशतगर्दी की घटनाओं में भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ का हाथ कोई नई बात नहीं है और यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता.

बीबीसी उर्दू टीवी के कार्यक्रम सैरबीन में उन्होंने कहा पाकिस्तान के अंदर कथित भारतीय दख़ल पर विचार रखे.

उन्होंने कहा, "अधिक जानकारी तो गृह मंत्री के पास होगी, पर हम जानते हैं बलूचिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते भारत, पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दख़ल देता रहा है और पाकिस्तान में होने वाली चरमपंथी वारदातों में कहीं न कहीं रॉ का हाथ ज़रूर नज़र आता है. यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे इंकार करना मुश्किल है."

हिना रब्बानी खर ने ये भी कहा कि सीमा की दूसरी ओर भारत में भी इस आरोप को बार-बार दोहराया जाता है कि पाकिस्तान भारत में दहशतगर्दी को बढ़ावा देता है.

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भारत-पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर कोई भी देश यह समझता है वह दूसरे मुल्क में आग लगाएगा और उसका अपना घर नहीं जलेगा तो यह उसकी गलतफ़हमी है.

पाकिस्तान की पू्र्व विदेश मंत्री ने कहा, "पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, भारत, ईरान और चीन पड़ोसी हैं और अगर मेरे घर में आग लगेगी तो नुक़सान पड़ोसी को ज़रूर पहुंचेगा. अगर पाकिस्तान और भारत की खुफ़िया एजेंसियां समझती हैं कि वह दूसरे के घर में आग लगा रही हैं, तो मेरा मानना यही है कि वह अपने ही घर में आग लगा रहे हैं."

हिना रब्बानी खर के मुताबिक़ इस प्रकार की रणनीति से राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं की जा सकती.

सुलह और दोस्ती की संभावना नज़र आने पर हालात के फिर बिगड़ जाने के बारे में उन्होंने कहा, "दोनों देशों की सरकारों और जनता में ऐसे तत्व हैं जो शांति के पक्ष में नहीं होते हैं. वो संबंधों को अपनी ही विचारधारा से देखते हैं, शांति की बात नहीं करना चाहते. ऐसे में कोई न कोई घटना हो जाती है और हमें एक क़दम आगे, दो क़दम पीछे की स्थिति का सामना करना पड़ता है."

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हिना रब्बानी खर ने अपने कार्यकाल के दौरान विदेश मंत्रालय का बचाव करते हुए कहा कि उस दौर में देश की विदेश नीति सरकार बनाती थी और उसमें सेना की भूमिका केवल सीमा विवाद और सुरक्षा मामलों पर परामर्श देने तक सीमित होती थी.

उन्होंने कहा, "हमारे समय में अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीमा और सुरक्षा मामलों पर सेना से बात होती थी, जो कि उचित है और सेना की भूमिका इन्हीं मामलों में थी."

उन्होंने कहा है कि भारत के साथ व्यापार या भारत को मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्जा देने का फ़ैसला सरकार को करना है.

सेना और नवाज़ शरीफ़ सरकार के संबंधों पर हिना रब्बानी खर ने कहा "अगर कोई अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी ख़ुद न लेना चाहे और एक ख़ाली जगह क़ायम हो जाए तो कोई न कोई दूसरी शक्ति आकर इस खाई को भर देगी. तो ग़लती किसकी है? खाई पैदा करने वाले की या पैदा होने वाली खाई को भरने वाले की?"

उन्होंने कहा, "अगर सरकार ख़ुद कोई फ़ुल टाइम विदेश मंत्री नियुक्त नहीं करेगी तो यक़ीनन इससे पैदा होने वाली खाई को कोई और भरेगा."

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